✍️ लेखक ➩ अरुण कुमार आर्यवीर
बाइबल में नारी का स्थान
➤ नारी के प्रति तलाक में भेदभाव
- यदि कोई पुरूष किसी स्त्री को ब्याह ले, और उसके बाद उसमें लज्जा की बात पाकर उस से अप्रसन्न हो, तो वह उसके लिये त्यागपत्र लिखकर और उसके हाथ में देकर उसको अपने घर से निकाल दे। (व्यवस्थाविवरण २४:१)
- और जब वह उसके घर से निकल जाए, तब दूसरे पुरूष की हो सकती है। (व्यवस्थाविवरण २४:२)
➤ क्या नारी जाति लूट का माल है?
- जब तू अपने शत्रुओं से युद्ध करने को जाए, और तेरा परमेश्वर यहोवा उन्हें तेरे हाथ में कर दे, और तू उन्हें बन्धुआ कर ले, (व्यवस्थाविवरण २१:१०)
- तब यदि तू बन्धुओं में किसी सुन्दर स्त्री को देखकर उस पर मोहित हो जाए, और उस से ब्याह कर लेना चाहे.. (व्यवस्थाविवरण २१:११)
- और जो वस्तुएं सेना के पुरूषों ने अपने अपने लिये लूट ली थीं उन से अधिक की लूट यह थी; अर्थात छ: लाख पचहत्तर हजार भेड़-बकरियां, (गिनती ३१:३२)
- बहत्तर हजार गाय बैल, (गिनती ३१:३३)
- इकसठ हजार गदहे, (गिनती ३१:३४)
- और मनुष्यों में से जिन स्त्रियों ने पुरूष का मुंह नहीं देखा था वह सब बत्तीस हजार थीं। (गिनती ३१:३५)
➧ देखिए Bible यहां नारी को गधे आदि पशुओं लूट का माल मानता है।
➤ नारी के अधिकारों का हनन?
- फिर यदि कोई स्त्री अपने पति के घर में रहते मन्नत माने, वा शपथ खाकर अपने आप को बान्धे, (गिनती ३०:१०)
- और उसका पति सुनकर कुछ न कहे, और न उसे मना करे; तब तो उसकी सब मन्नतें स्थिर बनी रहें, और हर एक बन्धन क्यों न हो, जिस से उसने अपने आप को बान्धा हो, वह स्थिर रहे। (गिनती ३०:११)
- परन्तु यदि उसका पति उसकी मन्नत आदि सुनकर उसी दिन पूरी रीति से तोड़ दे, तो उसकी मन्नतें आदि, जो कुछ उसके मुंह से अपने बन्धन के विषय निकला हो, उस में से एक बात भी स्थिर न रहे; उसके पति ने सब तोड़ दिया है; इसलिये यहोवा उस स्त्री का वह पाप क्षमा करेगा। (गिनती ३०:१२)
➧ देखिए यहां नारी स्वतंत्रता से इच्छाएं भी नहीं कर सकती।
see also: बाइबल में ईश्वर का स्वरूप
➤ नारी जाति से पक्षपात
- इस्त्राएलियों से कह, कि जो स्त्री गभिर्णी हो और उसके लड़का हो, तो वह सात दिन तक अशुद्ध रहेगी; जिस प्रकार वह ऋतुमती हो कर अशुद्ध रहा करती। (लैव्यव्यवस्था १२:२)
- ……और यदि उसके लड़की पैदा हो, तो उसको ऋतुमती की सी अशुद्धता चौदह दिन की लगे; और फिर छियासठ दिन तक अपने शुद्ध करने वाले रूधिर में रहे। (लैव्यव्यवस्था १२:५)
- क्योंकि पुरूष स्त्री से नहीं हुआ, परन्तु स्त्री पुरूष से हुई है। (१ कुरिन्थियों ११:८)
➤ करे कोई भरे कोई
- फिर स्त्री से उसने कहा, मैं तेरी पीड़ा और तेरे गर्भवती होने के दु:ख को बहुत बढ़ाऊंगा; तू पीड़ित हो कर बालक उत्पन्न करेगी; और तेरी लालसा तेरे पति की ओर होगी, और वह तुझ पर प्रभुता करेगा। (उत्पत्ति ३:१६)
➤ बहुपत्नीवाद का बाईबल में वर्णन
- जब ऐसाव चालीस वर्ष का हुआ, तब उसने हित्ती बेरी की बेटी यहूदीत, और हित्ती एलोन की बेटी बाशमत को ब्याह लिया। (उत्पत्ति २६:३४)
- उसी रात को वह उठा और अपनी दोनों स्त्रियों, और दोनों लौंडियों, और ग्यारहों लड़कों को संग ले कर घाट से यब्बोक नदी के पार उतर गया। (उत्पत्ति ३२:२२)
➧देखिए बाईबल में बहुपत्नीवाद जैसी अमानवीय घटनाएं मिलती है।
➤ बहु द्वारा श्वसुर के साथ मुंह काला करना
- जब यहूदा ने उसको देखा, उसने उसको वेश्या समझा; क्योंकि वह अपना मुंह ढ़ापे हुए थी। (उत्पत्ति ३८:१५)
- और वह मार्ग से उसकी ओर फिरा और उससे कहने लगा, मुझे अपने पास आने दे, (क्योंकि उसे यह मालूम न था कि वह उसकी बहू है)। और वह कहने लगी, कि यदि मैं तुझे अपने पास आने दूं, तो तू मुझे क्या देगा? (उत्पत्ति ३८:१६)
- उसने कहा, मैं अपनी बकरियों में से बकरी का एक बच्चा तेरे पास भेज दूंगा। तब उसने कहा, भला उस के भेजने तक क्या तू हमारे पास कुछ रेहन रख जाएगा? (उत्पत्ति ३८:१७)
- उस ने पूछा, मैं तेरे पास क्या रेहन रख जाऊं? उस ने कहा, अपनी मुहर, और बाजूबन्द, और अपने हाथ की छड़ी। तब उसने उसको वे वसतुएं दे दीं, और उसके पास गया, और वह उससे गर्भवती हुई। (उत्पत्ति ३८:१८)
➧ देखिए चरित्रहीनता एवं व्यभिचार का विभत्स स्वरूप।
➤ नारी का मोल
- तुम मुझ से कितना ही मूल्य वा बदला क्यों न मांगो, तौभी मैं तुम्हारे कहे के अनुसार दूंगा: परन्तु उस कन्या को पत्नी होने के लिये मुझे दो। (उत्पत्ति ३४:१२)
इसी प्रकार का वर्णन रूत (४:१०) तथा होशे (३:२) में भी मिलता है।
➧ देखिए बाइबल के अनुसार नारी भी खरीदने की वस्तु है।
➤ नारी पैर की जूती
- यदि कोई पुरूष किसी कन्या को जिसके ब्याह की बात न लगी हो फुसलाकर उसके संग कुकर्म करे, तो वह निश्चय उसका मोल देके उसे ब्याह ले। (निर्गमन २२:१६)
- परन्तु यदि उसका पिता उसे देने को बिल्कुल इनकार करे, तो कुकर्म करने वाला कन्याओं के मोल की रीति के अनुसार रूपये तौल दे॥ (निर्गमन २२:१७)
➤ लेवीय द्वारा नारी जाति पर बर्बरता
- उन दिनों में जब………और बताओ॥ (न्यायियों १९:१–३०)
➤ नारी जाति की पिता द्वारा दुर्गति
- तब यहोवा का………जाया करती थी।। (न्यायियों ११:२९–४०)
➤ नातान द्वारा स्वामी की पत्तियां दाऊद को देना
- फिर मैं ने तेरे स्वामी का भवन तुझे दिया, और तेरे स्वामी की पत्नियां तेरे भोग के लिये दीं; और मैं ने इस्राएल और यहूदा का घराना तुझे दिया था; और यदि यह थोड़ा था, तो मैं तुझे और भी बहुत कुछ देने वाला था। (२ शामुएल १२:८)
➤ यहोवा द्वारा नातान की पत्तियां औरों को देना
- यहोवा यों कहता है, कि सुन, मैं तेरे घर में से विपत्ति उठा कर तुझ पर डालूंगा; और तेरी पत्नियों को तेरे साम्हने ले कर दूसरे को दूंगा, और वह दिन दुपहरी में तेरी पत्नियों से कुकर्म करेगा। (२ शामुएल १२:११)
➤ Bible में पुनर्विवाह का खण्डन
- परन्तु मैं तुम से यह कहता हूं कि जो कोई अपनी पत्नी को व्यभिचार के सिवा किसी और कारण से छोड़ दे, तो वह उस से व्यभिचार करवाता है; और जो कोई उस त्यागी हुई से ब्याह करे, वह व्यभिचार करता है॥ (मत्ती ५:३२)
➤ नारी को व्याभिचार हेतु उकसाना
- जब तुम्हारी बेटियां छिनाला और तुम्हारी बहुएं व्यभिचार करें, तब मैं उन को दण्ड न दूंगा; क्योंकि मनुष्य आप ही वेश्याओं के साथ एकान्त में जाते, और देवदासियों के साथी हो कर यज्ञ करते हैं; और जो लोग समझ नहीं रखते, वे नाश हो जाएंगे॥ (होशे ४:१४)
➤ विधवा विवाह निषेध
- जो विधवा, वा त्यागी हुई, वा भ्रष्ट, वा वेश्या हो, ऐसी किसी को वह न ब्याहे, वह अपने ही लोगों के बीच में की किसी कुंवारी कन्या को ब्याहे। (लैव्यव्यवस्था २१:१४)
वेदों में नारी का स्थान
⏩ इमा नारीरविधवाः सुपत्नीञ्ज॑नेन सर्पिषा सं स्पृशन्ताम् । अनश्रवो अनमीवाः सुरत्ना आ रोहन्तु जन॑यो योनिमग्रे ॥ (अथर्ववेद १२/२/३१)
भावार्थ➨ स्त्रियों उत्तम धर्मपत्नियां बनें, ये कभी विधवा न बनें। वे सौभाग्यशाली होकर अपने शरीर को अंजन आदि द्वारा सुशोभित करें। नीरोग बनें, शोकरहित होकर अश्रुरहित रहें और आभूषण से सुशोभित रहें। अपने घर में ये स्त्रियां सुपुजित होती हुई महत्त्व का स्थान प्राप्त करें।
⏩ अघोरचक्षुरपतिघ्नी स्योना शग्मा सुशेवा सुयमा गृहेभ्यः । वीरसूर्देवृकामा सं त्वयैधिषीमहि सुमस्यमाना ॥ (अथर्ववेद १४/२/१७)
भावार्थ➨ यह स्त्री पति के घर में आकर आनन्द से रहे, आंखें क्रोधयुक्त न करें, पति की हितकारिणी बने, धर्मनियमों का पालन करें, सबको सुख देवें, अपनी संतानों को वीरता की शिक्षा देवे, देवरादि को सन्तुष्ट रखें, अन्तःकरन में शुभ भाव रखें। ऐसी स्त्री से घर सुसम्पन्न होता है।
⏩ सुमङ्गली प्रतरणी गृहाणां सुशेवा पत्ये श्वशु॑राय शंभूः । स्योना य श्व॒श्र्वै प्र गृ॒हान्विशेमान् ॥ (अथर्ववेद १४/२/२६)
भावार्थ➨ उत्तम मंगल कामनावाली, गृहवालों को दुःख से छुड़ानेवाली, पति की सेवा करनेवाली, ससुर को सुख देने वाली, सास का हितकारिणी स्त्री अपने घर में प्रविष्ट हो।
⏩ इडे रन्ते हव्ये काम्ये चन्द्रे ज्योतेऽदिते सरस्वति महि विश्रुति।
एता तेऽअघ्न्ये नामानि देवेभ्यो मा सुकृतं ब्रूतात्॥ (यजुर्वेद ८/४३)
भावार्थ➨ जो विद्वानों से शिक्षा पाई हुई स्त्री हो वह अपने–अपने पति और अन्य सब को यथायोग्य उत्तम कर्म सिखलावे जिससे किसी तरह वे अधर्म की ओर न डिगे। वे दोनों स्त्री–पुरुष विद्या की वृद्धि और बालकों तथा कन्याओं को शिक्षा किया करें।
⏩ प्रेतो मुञ्चामि नामुतः सुबद्धाममुतस्करम् । यथेयमिन्द्र मीढ्वः सुपुत्रा सुभगासति ॥ (ऋग्वेद १०/८५/२५)
भावार्थ➨ वधू का सम्वन्ध पितृकुल से छुटे, परन्तु पतिकुल से न छूटे। पतिकुल से सम्बन्ध सुदृढ़ होवे। परमेश्वर इस वधू को पतिकुल में उत्तम पुत्रों से युक्त करें, और उत्तम भाग्य से युक्त करें।
⏩ सा विट् सुवीरा मरुद्भिरस्तु सनात्सहन्ती पुष्यन्ती नृम्णम् ॥ (ऋग्वेद ७/५६/५)
भावार्थ➨ वही स्त्री श्रेष्ठ है, जो ब्रह्मचर्य से समस्त विद्याओं को पढ़कर वीर सन्तानो को जन्म देती है, जो सहनशील है और जो धनकोश वाली है।
⏩ इह प्रियं प्रजायै ते समृध्यतामस्मिन्गृहे गार्हपत्याय जागृहि।
एना पत्या तन्वं सं सृजस्वाथ जिर्विर्विदथमा वदासि।। (अथर्ववेद १४/१/२१)
भावार्थ➨ इस धर्मपत्नी के सन्तान उत्तम सुख से रहें। यह धर्मपत्नी अपना गृहस्थाश्रम उत्तम रीति से चलावे। यह धर्मपत्नी अपने पति के साथ सुख से रहें। जब इस तरह धर्ममार्ग से गृहस्थाश्रम चलाती हुई यह स्त्री वृद्ध होगी तब यह योग्य सम्मति देने योग्य होगी।
⏩ सम्राज्ञेधि श्वसुरेषु सम्राज्ञयुत देवृषु ।
ननान्दुः सम्राज्ञेधि सम्राज्ञयुत श्वश्रवाः ।। (अथर्ववेद १४/१/४४)
भावार्थ➨ अपने श्वसुर आदि के बीच, देवरों के बीच व ननन्द के साथ ससुराल में महारानी बन कर रह ।
⏩ इयं नारी पतिलोकं वृणाना नि पद्यत उप त्वा मर्त्य प्रेतम् ।
धर्मं पुराणमनुपालयन्ती तस्यै प्रजां द्रविणं चेह धेहि ॥ (अथर्ववेद १८/३/१)
भावार्थ➨ पति की अकस्मात् मृत्यु हो जाने पर पत्नी ही धन व सन्तान की उत्तराधिकारिणी है, यदि धर्म का पालन करती हुई वह पतिलोक का ही वरण करती है, पिता के घर नहीं लौट जाती और न ही अन्य विवाह करती है।
⏩ आ रोह तल्पं सुमनस्यमानेह प्रजां जनय पत्ये अस्मै ।
इन्द्राणीव सुबुधा बुध्यमाना ज्योतिरग्रा उषसः प्रति जागरासि ॥ (अथर्ववेद १४/२/३१)
भावार्थ➨ सन्तानों की उत्तमता के लिए गृहिणी ने ‘सदा प्रसन्न मनवाली, जितन्द्रिय व ज्ञानरुचि, समझदार व उषाकाल में प्रबुद्ध होनेवाली’ होना है। ऐसी बनकर ही वह उत्तम सन्तानों को जन्म दे पाती है।
⏩ ब्रह्मापरं यु ज्यतां ब्रह्म पूर्वं ब्रह्मान्ततो मध्यतो ब्रह्म सर्वतः । अनाव्याधां देवपुरां प्रपद्य शिवा स्योना प॑तिलोके वि राज ॥ (अथर्ववेद १४/१/६४)
भावार्थ➨ नववधू को वह घर प्राप्त हों जहाँ सब प्रभु का स्मरण करनेवाले लोग हो, जिस घऱ में रोग नही, जिस घर में लोग देववृत्ति के हैं। यहाँ यह कर्तव्यपरायण सुखी जीवनवाली होवे।
🍁🌷🌺🌹 नमस्ते 🍁🌷🌺🌹
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