बुधवार, 24 अप्रैल 2019

बाइबल Vs वेद (भाग २)- गुलामप्रथा | मानवता

✍️ लेखक ➩ अरुण कुमार आर्यवीर

बाइबल में गुलामप्रथा

बाइबल Vs वेद


  • जब तुम कोई इब्री दास मोल लो, तब वह छ: वर्ष तक सेवा करता रहे, और सातवें वर्ष स्वतंत्र हो कर सेंतमेंत चला जाए। (निर्गमण २१:२)
  • यदि उसके स्वामी ने उसको पत्नी दी हो और उससे उसके बेटे वा बेटियां उत्पन्न हुई हों, तो उसकी पत्नी और बालक उसके स्वामी के ही रहें, और वह अकेला चला जाए। (निर्गमण २१:४)
  • यदि कोई अपने दास वा दासी को सोंटे से ऐसा मारे कि वह उसके मारने से मर जाए, तब तो उसको निश्चय दण्ड दिया जाए। (निर्गमण २१:२०)
  • परन्तु यदि वह दो एक दिन जीवित रहे, तो उसके स्वामी को दण्ड न दिया जाए; क्योंकि वह दास उसका धन है॥ (निर्गमण २१:२१)
  • तो सुतारी ले कर उसका कान किवाड़ पर लगाकर छेदना, तब वह सदा तेरा दास बना रहेगा। और अपनी दासी से भी ऐसा ही करना। (व्यवस्थाविवरण १५:१७)
  • हे दासो, जो लोग शरीर के अनुसार तुम्हारे स्वामी हैं, अपने मन की सीधाई से डरते, और कांपते हुए, जैसे मसीह की, वैसे ही उन की भी आज्ञा मानो। (इफिसियों ६:५)
  • हे सेवकों, जो शरीर के अनुसार तुम्हारे स्वामी हैं, सब बातों में उन की आज्ञा का पालन करो, मनुष्यों को प्रसन्न करने वालों की नाईं दिखाने के लिये नहीं, परन्तु मन की सीधाई और परमेश्वर के भय से। (कुलुस्सियों ३:२२)
  • हे सेवकों, हर प्रकार के भय के साथ अपने स्वामियों के आधीन रहो, न केवल भलों और नम्रों के, पर कुटिलों के भी। (१ एतरस २:१८)
  • और तुम अपने पुत्रों को भी जो तुम्हारे बाद होंगे उनके अधिकारी कर सकोगे, और वे उनका भाग ठहरें; उन में से तुम सदा अपने लिये दास लिया करना, परन्तु तुम्हारे भाईबन्धु जो इस्त्राएली हों उन पर अपना अधिकार कठोरता से न जताना॥ (लैव्यव्यवस्था २५:४६)

देखिए बाइबल गुलाम प्रथा को न केवल मान्यता देता है अपितु उनके साथ अमानवीय बर्बरता पूर्ण क्रुर व्यवहार की अनुमति भी देता है।

वेदों में मानवता

बाइबल Vs वेद

दृते दृंह मा मित्रस्य मा चक्षुषा सर्वाणि भूतानि समीक्षन्ताम्।
मित्रस्याऽहं चक्षुषा सर्वाणि भूतानि समीक्षे।
मित्रस्य चक्षुषा समीक्षामहे॥ (यजुर्वेद ३६/१८)
भावार्थ ➨ हे (दृते) अविद्यारूपी अन्धकार के निवारक जगदीश्वर वा विद्वन्! जिससे (सर्वाणि) सब (भूतानि) प्राणी (मित्रस्य) मित्र की (चक्षुषा) दृष्टि से (मा) मुझको (सम्, ईक्षन्ताम्) सम्यक् देखें (अहम्) मैं (मित्रस्य) मित्र की (चक्षुषा) दृष्टि से (सर्वाणि, भूतानि) सब प्राणियों को (समीक्षे) सम्यक् देखूं, इस प्रकार सब हम लोग परस्पर (मित्रस्य) मित्र की (चक्षुषा) दृष्टि से (समीक्षामहे) देखें इस विषय में हमको (दृंह) दृढ़ कीजिये।

सहृदयं सांमनस्यमविद्वेषं कृणोमि वः ।
अन्यो अन्यमभि हर्यत वत्सं जातमिवाघ्न्या ॥ (अथर्ववेद ३/३०/१)
भावार्थ ➨ घर में सहृदयता , सांमनस्य व अविद्वेष का राज्य हो । सब एक - दूसरे के प्रति प्रेम करने वाले हों ।

समानी व आकूतिः समाना हृदयानि वः । समानमस्तु वो मनो यथा वः सुसहासति ॥ (ऋग्वेद १०/१९१/४)
भावार्थ ➨ तुम्हारा संकल्प व अध्यवसाय समान हो। आपके हृदय समान हों। तुम्हारा मन समान हों। सब को इस प्रकार हो कि जिससे तुम्हारा उत्तम मेल किसी भी प्रकार का तुम्हारा विरोध न हो। यह अविरोध ही तुम्हें देव बनायेगा, यही तुम्हें विजयी करेगा।

बाइबल में निर्दोषों को सजा

बाइबल Vs वेद

  • कोई कुकर्म से जन्मा हुआ यहोवा की सभा में न आने पाए; किन्तु दस पीढ़ी तक उसके वंश का कोई यहोवा की सभा में न आने पाए। (व्यवस्थाविवरण २३:२)
  • यहोवा यों कहता है, कि सुन, मैं तेरे घर में से विपत्ति उठा कर तुझ पर डालूंगा; और तेरी पत्नियों को तेरे साम्हने ले कर दूसरे को दूंगा, और वह दिन दुपहरी में तेरी पत्नियों से कुकर्म करेगा। (२ शमूएल १२:११)
  • तौभी तू ने जो इस काम के द्वारा यहोवा के शत्रुओं को तिरस्कार करने का बड़ा अवसर दिया है, इस कारण तेरा जो बेटा उत्पन्न हुआ है वह अवश्य ही मरेगा। (२ शमूएल १२:१४)
  • जो कोई मिले सो बेधा जाएगा, और जो कोई पकड़ा जाए, वह तलवार से मार डाला जाएगा। उनके बाल-बच्चे उनके साम्हने पटक दिए जाएंगे; और उनके घर लूटे जाएंगे, और उनकी स्त्रियां भ्रष्ट की जाएंगी। (यशायाह १३:१५,१६)
  • उनके पूर्वजों के अधर्म के कारण पुत्रों के घात की तैयारी करो, ऐसा न हो कि वे फिर उठ कर पृथ्वी के अधिकारी हो जाएं, और जगत में बहुत से नगर बसाएं। सेनाओं के यहोवा की यह वाणी है कि मैं उनके विरुद्ध उठूंगा, और बाबुल का नाम और निशान मिटा डालूंगा, और बेटों-पोतों को काट डालूंगा, यहोवा की यही वाणी है। (यशायाह १४:२१)
  • सामरिया दोषी ठहरेगा, क्योंकि उसने अपने परमेश्वर से बलवा किया है; वे तलवार से मारे जाएंगे, उनके बच्चे पटके जाएंगे, और उनकी गर्भवती स्त्रियां चीर डालीं जाएंगी। (होशे १३:१६)
  • प्रभु यहोवा यों कहता है, देख, मैं तेरे विरुद्ध हूँ, ओर अपनी तलवार मियान में से खींच कर तुझ में से धमीं और अधर्मी दोनों को नाश करूंगा। (यहेजकेल २१:३)
दुनियां को शांति का संदेश देने का दम्भ भरने वाला ईसाईयों की पवित्र पुस्तक में मार-काट, आतंक, अन्याय एवं निर्दोषों को नाहक सजा देने की घटनाएं यत्र तत्र देखी जा सकती है।

➪ छत्रपति शिवाजी ने अपनी सैन्य द्वारा कल्याण के मुसलमान सूबेदार की बीवी युद्ध पश्चात प्रस्तुत किए जाने पर उसे सम्मान वस्त्र आभूषणों के साथ वापस पतिगृह भेज दिया था। जबकि उसका पति शिवाजी का शत्रु था इसी प्रकार वीर दुर्गादास राठौर ने अपने कट्टर विरोधी औरंगजेब के पोता पोती को वापस कर दिया था। आर्य राजाओं का वेदानुकूल यह व्यवहार निश्चित रूप से प्रशंसनीय है।

वेदों में निरपराधों के प्राणों की रक्षा

बाइबल Vs वेद

अनागोहत्या वै भीमा कृत्ये मा नो गामश्वं पुरुषं वधी:। (अथर्ववेद १०/१/२९)
भावार्थ➨ निर्दोषों को मारना निश्चित ही महा पाप है । हमारे गाय, घोड़े और मनुष्यों को मत मार ।

अधा मन्ये श्रत्ते अस्मा अधायि वृषा चोदस्व महते धनाय।
मा नो अकृते पुरुहूत योनाविन्द्र क्षुध्यद्भ्यो वय आसुतिं दाः।।
(ऋग्वेद १/१०४/७)
भावार्थ➨ न्यायाधीश आदि राजपुरुषों को चाहिये कि जिन्होंने अपराध न किया हो उन प्रजाजनों को कभी ताड़ना न करें, सब दिन इनसे राज्य का कर धन लेवें, तथा इनको अच्छी प्रकार पाल और उन्नति दिलाकर विद्या और पुरुषार्थ के बीच प्रवृत्त कराकर आनन्दित करावें, सभापति आदि के इस सत्य काम को प्रजाजनों को सदैव मानना चाहिए।

मा नो वधीरिन्द्र मा परा दा मा नः प्रिया भोजनानि प्र मोषीः।
आण्डा मा नो मघवञ्छक्र निर्भेन्मा नः पात्रा भेत्सहजानुषाणि।।
(ऋग्वेद १/१०४/८)
भावार्थ➨ हे सभापति ! तू जैसे अन्याय से किसी को न मारके किसीभी धार्मिक सज्जन से विमुख न होकर चोरी-चपारी आदि दोषरहित परमेश्वर दया का प्रकाश करता है वैसे ही अपने राज्य के काम करने में प्रवृत्त हो, ऐसे वर्त्ताव के विना राजा से प्रजा सन्तोष नहीं पाती।।


बाइबल Vs वेद (भाग १)

🌺🌷🌸💐 नमस्ते 🌺🌷🌸💐

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