सोमवार, 6 मई 2019

बाइबल Vs वेद (भाग ४)- मांसाहार | अहिंसा

✍️ लेखक ➩ अरुण कुमार आर्यवीर


बाइबल में मांसाहार


बाइबल Vs वेद
  • तब नूह ने यहोवा के लिये एक वेदी बनाई; और सब शुद्ध पशुओं, और सब शुद्ध पक्षियों में से, कुछ कुछ ले कर वेदी पर होमबलि चढ़ाया। (उत्पत्ति ८:२०)
  • यहोवा ने उससे कहा, मेरे लिये तीन वर्ष की एक कलोर, और तीन वर्ष की एक बकरी, और तीन वर्ष का एक मेंढ़ा, और एक पिण्डुक और कबूतर का एक बच्चा ले। और इन सभों को ले कर, उसने बीच में से दो टुकड़े कर दिया, और टुकड़ों को आम्हने-साम्हने रखा: पर चिडिय़ाओं को उसने टुकड़े न किया। (उत्पत्ति १५:९,१०)
  • बकरियों के पास जा कर बकरियों के दो अच्छे अच्छे बच्चे ले आ; और मैं तेरे पिता के लिये उसकी रूचि के अनुसार उन के मांस का स्वादिष्ट भोजन बनाऊंगी। (उत्पत्ति २७:९)
  • उनके साथ बिन्यामीन को देखकर यूसुफ ने अपने घर के अधिकारी से कहा, उन मनुष्यों को घर में पहुंचा दो, और पशु मारके भोजन तैयार करो; क्योंकि वे लोग दोपहर को मेरे संग भोजन करेंगे। (उत्पत्ति ४३:१६)
  • और जब उसके शुद्ध हो जाने के दिन पूरे हों, तब चाहे उसके बेटा हुआ हो चाहे बेटी, वह होमबलि के लिये एक वर्ष का भेड़ी का बच्चा, और पापबलि के लिये कबूतरी का एक बच्चा वा पंडुकी मिलापवाले तम्बू के द्वार पर याजक के पास लाए। (लैव्यव्यवस्था १२:६)
  • ऐसा कुछ वर्णन लैव्यव्यवस्था (८:१-१९), (१:१-९) में भी दिया गया है।
  • और यदि अभिषिक्त याजक ऐसा पाप करे, जिस से प्रजा दोषी ठहरे, तो अपने पाप के कारण वह एक निर्दोष बछड़ा यहोवा को पापबलि करके चढ़ाए। (लैव्यव्यवस्था ४:३)
  • उन्होंने उसे भूनी मछली का टुकड़ा दिया। (लुका २४:४२)

  • इस प्रकार के मांसाहार के विवरण बाइबल में अन्यत्र भी देखने को मिलता है।
    क्या बलि देने से पाप क्षमा हो जाते हैं? क्या बलि देने से व्यक्ति शुद्ध हो सकता है? क्या निरीह प्राणियों की हत्या पाप नहीं है? होम में मांस डालने से तो दुर्गन्ध ही उत्पन्न होगी। मांसाहार के लिए हजार बहाने। बाइबल के ईश्वर की ऐसी अपरिपक्व सोच निश्चित रूप से खेदजनक है।

    वेदों में मांस भक्षण निषेध


    बाइबल Vs वेद


    ⏩यदि नो गां हंसि यद्यश्वं यदि पूरुषम् । तं त्वा सीसेन विध्यामो यथा नो ऽसो अवीरहा ॥ (अथर्ववेद १/१६/४)
    भावार्थ➨ है चोर ! यदि तू हमारी गाय हमारा घोड़ा अथवा मनुष्य का वध करेगा, तुझे हम प्रहार कर देंगे, जिससे तू हमारा नाश करने के लिए फिर जीवित ना रह सकेगा।
    ⏩गोभिष्टरेमामतिं दुरेवां यवेन क्षुधं पुरुहूत विश्वाम् । वयं राजभिः प्रथमा धनान्यस्माकेन वृजनेना जयेम ॥ (ऋग्वेद १०/४३/१०)
    भावार्थ गोओं के दूध आदि द्वारा दुष्परिणाम मतिहीनता का हम अपनयन करें। हे बहुतों द्वारा पुकारे गए परमेश्वर ! हम सब प्रकार की खुदा का जो द्वारा (हम अपनयन करें)। राजाओं के सहयोग द्वारा हम प्रजानन, दुग्ध और यव मुख्य धनों को हम दोनों के बल अर्थात प्रयत्न द्वारा जीते।

    बाइबल में ईश्वर के दूतों द्वारा नरसंहार

    बाइबल Vs वेद


    • और उसी समय हम ने उसके सारे नगर ले लिए, और एक एक बसे हुए नगर का स्त्रियों और बाल-बच्चों समेत यहाँ तक सत्यनाश किया कि कोई न छूटा। (व्यवस्थाविवरण २:३४)
    • और यहोवा ने उसको भी राजा समेत इस्राएलियों के हाथ मे कर दिया; और यहोशू ने उसको और उस में के सब प्राणियों को तलवार से मारा; और उस में से किसी को भी जीवित न छोड़ा; और उसके राजा से वैसा ही किया जैसा उसने यरीहो के राजा के साथ किया था। (यहोशू १०:३०)
    • तब गेजेर का राजा होराम लाकीश की सहायता करने को चढ़ आया; और यहोशू ने प्रजा समेत उसको भी ऐसा मारा कि उसके लिये किसी को जीवित न छोड़ा। (यहोशू १०:३३)
    • और उन्होंने उसे ले लिया, और उसको और उसके राजा और सब गावों को और उन में के सब प्राणियों को तलवार से मारा; जैसा यहोशू ने एग्लोन से किया था वैसा ही उसने हेब्रोन में भी किसी को जीवित न छोड़ा; उसने उसको और उस में के सब प्राणियों को सत्यानाश कर डाला। (यहोशू १०:३७)
    • और यहोशू ने कादेशबर्ने से ले अज्जा तक, और गिबोन तक के सारे गोशेन देश के लोगों को मारा। (यहोशू १०:४१)
    • शमूएल ने कहा, जैसे स्त्रियां तेरी तलवार से निर्वंश हुई हैं, वैसे ही तेरी माता स्त्रियों में निर्वंश होगी। तब शमूएल ने आगाग को गिलगाल में यहोवा के साम्हने टुकड़े टुकड़े किया। (१ शमूएल १५:३३)
    • तब दाऊद अपने जनों को संग ले कर चला, और पलिश्तियों के दो सौ पुरूषों को मारा; तब दाऊद उनकी खलडिय़ों को ले आया, और वे राजा को गिन गिन कर दी गईं, इसलिये कि वह राजा का दामाद हो जाए। और शाऊल ने अपनी बेटी मीकल को उसे ब्याह दिया। (१ शमूएल १८:२७)
    • और उसने उसके रहने वालों को निकाल कर आरों से दो दो टुकड़े कराया, और लोहे के हेंगे उन पर फिरवाए, और लोहे की कुल्हाडिय़ों से उन्हें कटवाया, और ईट के पजावे में से चलवाया; और अम्मोनियों के सब नगरों से भी उसने ऐसा ही किया। तब दाऊद समस्त लोगों समेत यरूशलेम को लौट आया। (२ शमूएल १२:३१)
    • एलिय्याह ने उन से कहा, बाल के नबियों को पकड़ लो, उन में से एक भी छूटने न पाए; तब उन्होंने उन को पकड़ लिया, और एलिय्याह ने उन्हें नीचे किशोन के नाले में ले जा कर मार डाला। (१ राजा १८:४०)
    • तब उसने पीछे की ओर फिर कर उन पर दृष्टि की और यहोवा के नाम से उन को शाप दिया, तब जंगल में से दो रीछिनियों ने निकल कर उन में से बयालीस लड़के फाड़ डाले। (२ राजा २:२४)
    • तब अहाब के घराने के जितने लोग यिज्रैल में रह गए, उन सभों को और उसके जितने प्रधान पुरुष और मित्र और याजक थे, उन सभों को येहू ने मार डाला, यहां तक कि उसने किसी को जीवित न छोड़ा। (२ राजा १०:११)
    जिस ईश्वर के दूत इतने क्रूर हो, वह जाति कितनी हिंसक एवं बर्बर होगी इसकी पाठक ही स्वयं कल्पना कर लें।

    वेदों में अहिंसा एवं भाईचारा


    बाइबल Vs वेद

    ⏩दृते दृंह मा मित्रस्य मा चक्षुषा सर्वाणि भूतानि समीक्षन्ताम्।
    मित्रस्याऽहं चक्षुषा सर्वाणि भूतानि समीक्षे।
    मित्रस्य चक्षुषा समीक्षामहे॥ (यजुर्वेद ३६/१८)
    शब्दार्थ➠ हे (दृते) अविद्यारूपी अन्धकार के निवारक जगदीश्वर वा विद्वन्! जिससे (सर्वाणि) सब (भूतानि) प्राणी (मित्रस्य) मित्र की (चक्षुषा) दृष्टि से (मा) मुझको (सम्, ईक्षन्ताम्) सम्यक् देखें (अहम्) मैं (मित्रस्य) मित्र की (चक्षुषा) दृष्टि से (सर्वाणि, भूतानि) सब प्राणियों को (समीक्षे) सम्यक् देखूं, इस प्रकार सब हम लोग परस्पर (मित्रस्य) मित्र की (चक्षुषा) दृष्टि से (समीक्षामहे) देखें इस विषय में हमको (दृंह) दृढ़ कीजिये।
    ⏩मा नो वधाय हत्नवे जिहीळानस्य रीरधः । 
    मा हृणानस्य मन्यवे।। (ऋग्वेद १/२५/२)
    भावार्थ➨ हे वरूण! हमें घृणा करनेवाले के वध के लिए अथवा मारपीट के लिए मत सिद्ध कीजिए और क्रोध करनेवाले के क्रोध के लिए भी हमें मत सिद्ध कीजिए, अर्थात् घृणा करनेवाले लोग औरों के वध व घातपात में लगे रहते हैं। हम उनकी भाँति घृणा से परिपूर्ण हृदयवाले होकर औरों का वध व घातपात न करते रहें और न ही क्रोधी बनकर सदा औरों पर क्रोध बरसाते रहें।
    सहृदयं सांमनस्यमवि॑द्वेषं कृणोमि वः । 
    अन्यो अन्यमभि हर्यत वत्सं जातमिवाघ्न्या ॥ (अथर्ववेद ३/३०/१)
    भावार्थ➨ तुम्हारे हृदय में समानता  हो, मनों में द्वेष न हों, सब परस्पर स्नेह करें जैसे एक गौ अपने नव जात बछड़े को करती है । समानता की अवधारणा कठिन है। इसका अर्थ यह नहीं है कि कोई छोटा और बड़ा नहीं होता, सब बराबर हैं। छोटे और बड़े तो अपने कर्मों के अनुसार होते ही‌ हैं। किन्तु समानता का अर्थ है कि बिना  पक्षपात के, सब के साथ उनकी‌ क्षमता, योग्यता तथा उनकी आवश्यकताओं के अनुसार व्यवहार करना। 
    ⏩सध्रीचीनान्वः संमनसस्कृणोम्येकश्नुष्टीन्त्संवननेन सर्वान् ।
     देवा इवामृतं रक्षमाणाः सायंप्रातः सौमनसो वो अस्तु ॥ (अथर्ववेद ३/३०/७)
    भावार्थ➨ तुम परस्पर सेवा भाव से सबके साथ मिलकर पुरूषार्थ करो। उत्तम ज्ञान प्राप्त करो। योग्य नेता की आज्ञा में कार्य करने वाले बनो। दृढ़ संकल्प से कार्य में दत्त चित्त हो तथा जिस प्रकार देव अमृत की रक्षा करते हैं। इसी प्रकार तुम भी सायं प्रात: अपने मन में शुभ संकल्पों की रक्षा करो।
    ⏩सं गच्छध्वं सं वदध्वं, सं वो मनांसि जानताम् ।देवा भागं यथा पूर्वे संजानाना उपासते ।। (ऋग्वेद १०/१९१/१)
    शब्दार्थ➠ (हे जना:) हे मनुष्यो, (सं गच्छध्वम्) मिलकर चलो । (सं वदध्वम्) मिलकर बोलो । (वः) तुम्हारे, (मनांसि) मन, (सं जानताम्) एक प्रकार के विचार करे । (यथा) जैसे, (पूर्वे) प्राचीन, (देवा:) देवो या विद्वानों ने, (संजानाना:) एकमत होकर, (भागम्) अपने - अपने भाग को, (उपासते) स्वीकार किया, इसी प्रकार तुम भी एकमत होकर अपना भाग स्वीकार करो ।


    बाइबल Vs वेद (भाग ५)
    🙏🙏🙏 नमस्ते 🙏🙏🙏

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