शनिवार, 11 मई 2019

बाइबल Vs वेद (भाग ५) - नरबलि | नियोग

✍️ लेखक ➩ अरुण कुमार आर्यवीर


बाइबल और नरबलि


बाइबल Vs वेद


  • परन्तु अपनी सारी वस्तुओं में से जो कुछ कोई यहोवा के लिये अर्पण करे, चाहे मनुष्य हो चाहे पशु, चाहे उसकी निज भूमि का खेत हो, ऐसी कोई अर्पण की हुई वस्तु न तो बेची जाए और न छुड़ाई जाए; जो कुछ अर्पण किया जाए वह यहोवा के लिये परमपवित्र ठहरे। मनुष्यों में से जो कोई अर्पण किया जाए, वह छुड़ाया न जाए; निश्चय वह मार डाला जाए॥ (लैैैैव्यव्यवस्था २७:२८,२९)
  • और तुम को अपने बेटों और बेटियों का मांस खाना पड़ेगा। (लैैैैव्यव्यवस्था २६:२९)
  • तब घिर जाने और उस सकेती के समय जिस में तेरे शत्रु तुझ को डालेंगे, तू अपने निज जन्माए बेटे-बेटियों का मांस जिन्हें तेरा परमेश्वर यहोवा तुझ को देगा खाएगा। (व्यवस्थाविवरण २८:५३)
  • तब यहोवा का आत्मा………………चार दिन तक जाया करती थीं। (न्यायियों ११:२९-४०)
  • उसके वंश के सात जन हमें सौंप दिए जाएं, और हम उन्हें यहोवा के लिये यहोवा के चुने हुए शाऊल की गिबा नाम बस्ती में फांसी देंगे। राजा ने कहा, मैं उन को सौंप दूंगा। (२ शमुएल २१:६)
  • जो तुझ पर अन्धेर करते हैं उन को मैं उन्हीं का मांस खिलाऊंगा, और, वे अपना लोहू पीकर ऐसे मत वाले होंगे जैसे नये दाखमधु से होते हैं। तब सब प्राणी जान लेंगे कि तेरा उद्धारकर्ता यहोवा और तेरा छुड़ाने वाला, याकूब का शक्तिमान मैं ही हूं॥ (यशायाह ४९:२६)
  • और घिर जाने और उस सकेती के समय जिस में उनके प्राण के शत्रु उन्हें डाल देंगे, मैं उनके बेटे-बेटियों का मांस उन्हें खिलाऊंगा और एक दूसरे का भी मांस खिलाऊंगा। (यिर्मयाह १९:९)
  • फिर राजा ने उस से पूछा, तुझे क्या हुआ? उसने उत्तर दिया, इस स्त्री ने मुझ से कहा था, मुझे अपना बेटा दे, कि हम आज उसे खा लें, फिर कल मैं अपना बेटा दूंगी, और हम उसे भी खाएंगी। तब मेरे बेटे को पका कर हम ने खा लिया, फिर दूसरे दिन जब मैं ने इस से कहा कि अपना बेटा दे कि हम उसे खा लें, तब इस ने अपने बेटे को छिपा रखा।  (२ राजा ६:२८,२९)
  • दयालु स्त्रियों ने अपने ही हाथों से अपने बच्चों को पकाया है; मेरे लोगों के विनाश के समय वे ही उनका आहार बन गए। (विलापगीत ४:१०)
  • अर्थात वे अपने सब पहिलौठों को आग में होम करने लगे; इस रीति मैं ने उन्हें उन्हीं की भेंटों के द्वारा अशुद्ध किया जिस से उन्हें निर्वश कर डालूं; और तब वे जान लें कि मैं यहोवा हूँ। (यहेजकेल २०:२६)
  • क्या यहोवा हजारों मेढ़ों से, वा तेल की लाखों नदियों से प्रसन्न होगा? क्या मैं अपने अपराध के प्रायश्चित्त में अपने पहिलौठे को वा अपने पाप के बदले में अपने जन्माए हुए किसी को दूं? (मीका ६:७)
  • यीशु ने उन से कहा; मैं तुम से सच सच कहता हूं जब तक मनुष्य के पुत्र का मांस न खाओ, और उसका लोहू न पीओ, तुम में जीवन नहीं। (युहन्ना ६:५३)
अपने प्रयोजनों को सिद्ध करने के लिए बाइबल के ईश्वर नरबलि से भी परहेज नहीं है। हजारों पशुओं की हत्या से भी वह तृप्त ना हुआ इसलिए उसने नरबलि का विधान दिया।


वेदों में नरबलि निषेध


बाइबल Vs वेद

मा नो गामश्वं पुरुषं वधीः। (अथर्ववेद १०/१/२९)
भावार्थ तु गाय, घोड़े तथा मनुष्य का वध मत कर।


बाइबल और नियोग

बाइबल Vs वेद

  • अब्राम की पत्नी सारै के कोई सन्तान न थी: और उसके हाजिरा नाम की एक मिस्री लौंडी थी। सो सारै ने अब्राम से कहा, देख, यहोवा ने तो मेरी कोख बन्द कर रखी है सो मैं तुझ से बिनती करती हूं कि तू मेरी लौंडी के पास जा: सम्भव है कि मेरा घर उसके द्वारा बस जाए। (उत्पत्ति १६:१,२)
  • और लूत ने सोअर को छोड़ दिया, और पहाड़ पर अपनी दोनों बेटियों समेत रहने लगा; क्योंकि वह सोअर में रहने से डरता था: इसलिये वह और उसकी दोनों बेटियां वहां एक गुफा में रहने लगे। तब बड़ी बेटी ने छोटी से कहा, हमारा पिता बूढ़ा है, और पृथ्वी भर में कोई ऐसा पुरूष नहीं जो संसार की रीति के अनुसार हमारे पास आए: सो आ, हम अपने पिता को दाखमधु पिला कर, उसके साथ सोएं, जिस से कि हम अपने पिता के वंश को बचाए रखें। सो उन्होंने उसी दिन रात के समय अपने पिता को दाखमधु पिलाया, तब बड़ी बेटी जा कर अपने पिता के पास लेट गई; पर उसने न जाना, कि वह कब लेटी, और कब उठ गई। और ऐसा हुआ कि दूसरे दिन बड़ी ने छोटी से कहा, देख, कल रात को मैं अपने पिता के साथ सोई: सो आज भी रात को हम उसको दाखमधु पिलाएं; तब तू जा कर उसके साथ सोना कि हम अपने पिता के द्वारा वंश उत्पन्न करें। सो उन्होंने उस दिन भी रात के समय अपने पिता को दाखमधु पिलाया: और छोटी बेटी जा कर उसके पास लेट गई: पर उसको उसके भी सोने और उठने के समय का ज्ञान न था। इस प्रकार से लूत की दोनो बेटियां अपने पिता से गर्भवती हुई। (उत्पत्ति १९:३०–३६)
  • और यहूदा ने तामार नाम एक स्त्री से अपने जेठे एर का विवाह कर दिया। परन्तु यहूदा का वह जेठा एर यहोवा के लेखे में दुष्ट था, इसलिये यहोवा ने उसको मार डाला। तब यहूदा ने ओनान से कहा, अपनी भौजाई के पास जा, और उसके साथ देवर का धर्म पूरा करके अपने भाई के लिये सन्तान उत्पन्न कर। (उत्पत्ति ३८:६,७,८)
  • जब कोई भाई संग रहते हों, और उन में से एक निपुत्र मर जाए, तो उसकी स्त्री का ब्याह पर गोत्री से न किया जाए; उसके पति का भाई उसके पास जा कर उसे अपनी पत्नी कर ले, और उस से पति के भाई का धर्म पालन करे। और जो पहिला बेटा उस स्त्री से उत्पन्न हो वह उस मरे हुए भाई के नाम का ठहरे, जिस से कि उसका नाम इस्राएल में से मिट न जाए। (व्यवस्थाविवरण २५:५,६)

वेदों में नियोगव्यवस्था


बाइबल Vs वेद

कुह स्विद्दोषा कुह वस्तोरश्विना कुहाभिपित्वं करतः कुहोषतुः ।
 को वां शयुत्रा विधवेव देवरं मर्यं न योषा कृणुते सधस्थ आ।। (ऋग्वेद १०/४०/२)
भावार्थ➨ हे प्राणापानो! आप रात्रि में कहाँ अभिप्राप्ति को करते हो। कहाँ दिन में होते हो, कहाँ आपका निवास होता है। जब कि सब इन्द्रियाँ सो जाती हैं उस समय भी ये प्राणापान जागते रहकर अपने कार्य में प्रवृत्त रहते हैं। वस्तुतः उस रात्रि के समय सारे शोधन के कार्य को ये करनेवाले होते हैं। कोई व्यक्ति ही आप दोनों को आत्मा और परमात्मा के सम्मिलित रूप से स्थित होने के स्थान हृदय में अभिमुख करता है। प्राणसाधना का ध्यान विरल पुरूषों को ही होता है। इस साधना में प्राणों को हृदय में पूरित करके उन्हें इस प्रकार वेग से छोड़ा जाता है जैसे कि उनका प्रच्छर्दन (वमन) ही हो रहा है। इस ‘प्रच्छर्दन व विधारण‘ रूप प्राणसाधन से रूधिर का शोधन होकर शरीर में सब उत्तमताओं का प्रापण होता है। प्राणों को इस प्रकार अभिमुख करने का प्रशुभ करना चाहिये जैसे कि पति के चले जाने पर अपत्रीक स्त्री देवर को अभिमुख करती है और जैसे पत्री शयन-स्थान में पति को अभिमुख करती है। जैसे घर का कार्य केवल पत्री नहीं चला सकती, वह पति को अभिमुख करके ही कार्य कर पाती है, इसी प्रकार जी प्राणों को अभिमुख करके ही घर के कार्य को चला पाता है। एक विधवा के लिये देवर की सहायता आवश्यक है, इसी प्रकार जीव के लिए प्राण का सहाय आवश्यक है।
उदीर्ष्व नार्यभि जीवलोकं गतासुमेतमुप शेष एहि ।
 हस्तग्राभस्य दिधिषोस्तवेदं पत्युर्जनित्वमभि सं बभूथ ॥ (ऋग्वेद १०/१८/८)
भावार्थ➨ समान्यतः पति को दीर्घजीवी होना चाहिए। यदि अचानक पति का देहावसान हो जाए तो पत्नी श्मशान में ही न पड़ी रह जाए, मृत पति का ही सदा शोक न करती रहे, अपितु अपने कर्तव्य कर्मां में लगे। अपने पति की सन्तानों का ध्यान करते हुए वह शोक-मोह को छोड़कर तत्परता से कार्यों में लगी रहे। मन्त्र में कहते हैं कि हे गृह की उन्नति की कारणभूत पत्नी ! तू ऊपर उठ और घर के कार्यों में लग (ईर गतौ), इस जीवित संसार का तू ध्यान कर। जो गये, वे तो गये ही। अब तू गत प्राण इस पति के समीप पड़ी है। इस प्रकार शोक का क्या लाभ ? उठ और घर की ओर चल। घर की सब क्रियाओं को ठीक से करनेवाली हो। अपने साथ ग्रहण करनेवाले, धारण करनेवाले अथवा गर्भ में सन्तान को स्थापित करनेवाले अपने पति की इस उत्पादित सन्तान को स्थापित करनेवाले अपने पति की इस उत्पादित सन्तान को लक्ष्य करके सम्यक्तया होनेवाली हो। अर्थात् तू अपने स्वास्थ्य का पूरा ध्यान कर जिससे सन्तान के पालन व पोषण में किसी प्रकार से तू असमर्थ न हो जाए।
इयं नारी पतिलोकं वृणाना नि पद्यत उपत्वा मर्त्य प्रेतम्|
धर्म पुराणमनुपालयन्ती तस्यै प्रजां द्रविणं चेह धेहि|| (अर्थववेद १८/३/१)
भावार्थ➨ पति के मर जाने के पर सन्तान की कामना करने वाली स्त्री धर्मानुकूल दूसरे पुरूष को पति बनाकर धन व सन्तान प्राप्ति करे|वह पुरूष भी उसे पत्नी बनाकर सन्तान व धन से पालन पोषण करे|


🙏🙏🙏 नमस्ते 🙏🙏🙏

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