- 13.3 तथा वही है जिसने धरती को फैलाया। और उसमें पर्वत तथा नहरें बनायी।
- 15.19 और हमने धरती को फैलाया, और उसमें पर्वत बना दिए, और उसमें हमने प्रत्येक उचित चीजें उगायी।
- 20.53 जिसने तुम्हारे लिए धरती को बिस्तर बनाया है और तुम्हारे चलने के लिए उसमें मार्ग बनाए हैं, और तुम्हारे लिए आकाश से जल बरसाया, फिर उसके द्वारा विभिन्न प्रकार की उपज निकाली।
- 2.22 जिसने धरती को तुम्हारे लिए बिछौना तथा गगन को छत बनाया। और आकाश से जल बरसाया, फिर उससे तुम्हारे लिए प्रत्येक प्रकार के खाद्य पदार्थ उपजाये, अतः जानते हुए भी उसके साझी न बनाओ।
- 43.10 जिसने बनाया तुम्हारे लिए धरती को पालना। और बनाये उसमें तुम्हारे लिए मार्ग ताकि तुम मार्ग पा सको।
- 50.6-7 क्या उन्होंने नहीं देखा आकाश की ओर अपने ऊपर की कैसा बनाया है हमने उसे और सजाया है उसको और नहीं है उसमें कोई दराड़? तथा हमने धरती को फैलाया, और डाल दिए उसमें पर्वत। तथा उपजायीं उसमें प्रत्येक प्रकार की सुंदर वनस्पतियां।
- 51.48 तथा धरती को हमने बिछाया है तो हम क्या ही अच्छे बिछाने बिछाने वाले हैं।
- 71.19 और अल्ल्लाह ने बनाया है तुम्हारे लिए धरती को बिस्तर।
- 78.6 क्या हमने धरती को पालना नहीं बनाया?
- 79.27-30 क्या तुमको पैदा करना कठिन है अथवा आकाश को, जिसे उसने बनाया। उसकी छत ऊंची की और चौरस किया। और उस की रात को अंधेरी तथा दिन को उजाला किया। और इस के बाद धरती को फैलाया।
- 88.20 तथा धरती को, कि कैसे पसारी गई?
- 91.5-6 और आकाश की सौगंध, तथा उस की जिस ने उसे बनाया! तथा धरती की सौगंध और जिसने उसे फैलाया!
➧ उपर दिया गए आयातों में लिखा है धरती चपटी है। यहां से यह स्पष्ट हो गया है कि, कुरान के अनुसार, अल्लाह मनुष्य को बोल रहे हैं कि धरती चपटी है। 1400 वर्षो से मनुष्य क्या समझ पाए हैं कुरान से।
➤ भ्रूण का विकास
- 23.12-14 और हमने उत्पन्न में किया है मनुष्य को मिट्टी के सार से। फिर हमने उसे वीर्य बनाकर रख दिया एक सुरक्षित स्थान में। फिर बदल दिया वीर्य को जमे हुए रक्त में, फिर हमने उसे मांस का लोथड़ा बना दिया, फिर हमने लोथड़े में हड्डियां बनायीं, फिर हमने पहना दिया हड्डियों को मांस, फिर उसे एक अन्य रूप में उत्पन्न कर दिया। तो शुभ है अल्लाह जो सबसे अच्छी उत्पत्ति करने वाला है।
➧ ऊपर दी गई आयात में विज्ञान किधर है? Ovum के बारे में कुछ Clear mention किया गया है? अल्लाह क्यों नहीं जानता है वीर्य की तरह ovum भी महत्वपूर्ण है? उपर दी गई आयातों मैं साफ-साफ के बताया गया है कि lump को हड्डियों में convert किया गया है, तो फिर उसके बाद किस चीज से मांस को ढक दिया गया?
(for heavens) = 8 days; and not 6 days.
➤अल्लाह ने धरती पहले बनाया या फिर आकाश?
- 2.29 वही है जिसने धरती में जो भी है, सबको तुम्हारे लिए उत्पन्न किया। फिर आकाश की ओर आकृष्ट हुआ, तो बराबर सात आकाश बना दिये। और वह प्रत्येक चीज का जानकार है।
- 79.27-30 क्या तुम को पैदा करना कठिन है अथवा आकाश को, जिसे उसने बनाया। उसकी छत ऊंची की और चौरस किया। और उसने रात को अंधेरी, तथा दिन को उजाला किया। और इसके बाद धरती को फैलाया।
- अभी क्या यह विज्ञान से सम्बंधित है?
- 7.54 तुम्हारा पालनहार वहीं अल्लाह है जिसमें आकाश तथा धरती को 6 दिनों में बनाया।
- 10.3 वास्तव में तुम्हारा पालनहार वही अल्लाह है जिसने आकाशों तथा धरती को छः दिनों में उत्पन्न किया, फिर अर्श पर स्थिर हो गया।
- 11.7 और वहीं है, जिस ने आकाशों तथा धरती की उत्पत्ति छः दिनों में की।
- 25.59 जिसने उत्पन्न कर दिया आकाशों तथा धरती को और जो कुछ उनके बीच है छः दिनों में।
- 41.9 आप कहें कि क्या तुम उसे नकारते हो जिसने पैदा किया धरती को दो दिनों में।
- 41.10 तथा बनाये उस (धरती) में पर्वत उसके ऊपर तथा बरकर रख दी उस में। और अंकन किया उस में उसके वासियों के आहारों का चार दिनों में समान रूप से प्रश्न करने वालों के लिए।
- 41.12 तथा बना दिया उन को सात आकाश दो दिनों में।.......
(for heavens) = 8 days; and not 6 days.
➤ कुरान हमें यह शिक्षा देता है कि सूर्यास्त muddy में होता है
- 18.86 यहां तक कि जब सूर्यास्त के स्थान तक पहुंचा, तो उस ने पाया कि वह एक काली कीचड़ के स्रोत में डुब रहा है.........
- 18.90 यहां तक कि सूर्योदय के स्थान तक पहुंचा। उसे पाया कि ऐसी जाति पर उदय हो रहा है जिससे हमने उनके लिए कोई आड़ नहीं बनायी है।
➤ चंद्र के आकार में परिवर्तन
- 36.39 चंद्रमा के हमने निर्धारित कर दिया है गंतव्य स्थान। यहां तक कि फिर वह हो जाता है पुरानी खजूर की सूखी शाखा के समान।
➤ कुरान बताता है कि कैसे/क्यों सूर्य और चंद्र दूसरों के साथ collide/meet नहीं कर सकता
- 36.40 न तो सूर्य के लिए उचित है कि चंद्रमा को पा जाये। और न रात अग्रगामी हो सकती है दिन से।
➤ अल्लाह के अनुसार पृथ्वी move नहीं करता
- 35.41 अल्लाह ही रोकता है आकाशों तथा धरती को खिसक जाने से। और यदि खिसक जाए वह दोनों तो नहीं रोक सकेगा उनको कोई उस (अल्लाह) के पश्चात। वास्तव में वह अत्यंत सहनशील क्षमाशील है।
➤ अल्लाह ने तारों को क्यों बनाई?
- 67.5 और हमने सजाया है संसार के आकाशों को प्रदीपों (ग्रहों) से। तथा बनाया हैं उन्हें (तारों को) मार भगाने का साधन शैतानों को, और तैयार की है हमने उनके लिए दहकती अग्नि की यातना।
- 37.6-8 हमने अलंकृत किया है संसार के आकाश को तारों की शोभा से। तथा रक्षा करने के लिये प्रत्येक उद्धत शैतान से। नहीं सुन सकते उच्च सभा तक फरिश्तों की बात, तथा मारे जाते हैं प्रत्येक दिशा से।
➤ अल्लाह के दिन=1000 वर्ष या फिर 50000 वर्ष?
- 32.5 वह उपाय करता है प्रत्येक कार्य की आकाश से धरती तक, फिर प्रत्येक कार्य ऊपर उसके पास जाता है 1 दिन में जिसका माप 1000 वर्ष है।
- 70.4 चढ़ते हैं फरिश्ते तथा रूह जिस की ओर, एक दिन में जिस का माप पचास हजार वर्ष है।
➤ सातवे आसमान?
- 41.12 तथा बना दिया उनको सात आकाश 2 दिन में। तथा वह्यी कर दिया प्रत्येक आकाश में उसका आदेश। तथा हमने सुसज्जित किया समीप(संसार) के आकाश को दीपों (तारों) से तथा सुरक्षा के लिये। यह अति प्रभावशाली सर्वज्ञ की योजना है।
- 67.3-5 जिसने उत्पन्न किए सात आकाश ऊपर तले। तो क्या तुम देखते हो अत्यंत कृपाशील की उत्पत्ति में कोई असंगति? फिर पुनः देखो क्या तुम देखते हो कोई दराड़? फिर बार बार देखो, वापिस आएगी तुम्हारी ओर निगाह थक-हार कर। और हमने सजाया है संसार के आकाश को प्रदीपों (ग्रहों) से। तथा बनाया है उन्हें (तारों को) मार भगाने का साधन शैतानों को, और तय्यार की है हमने उनके लिए दहकती अग्नि की यातना।
- 71.15-16 क्या तुमने नहीं देखा कि कैसे पैदा किए हैं अल्लाह ने सात आकाश ऊपर तले? और बनाया है चंद्रमा को उन्हें प्रकाश, और बनाया है सूर्य को प्रदीप?
➤ अल्लाह ने पर्वत क्यु बनाईं?
- 21.31 और हमने बना दिये धरती में पर्वत ताकि झुक न जाए उनके साथ , और बना दिये उन (पर्वतों) में चोड़े रास्ते ताकि लोग राह पायें।
- 16.15 और उसने धरती में पर्वत गाड़ दिये, ताकि तुम को लेकर डोलने न लगे, तथा नदियां और राहें, ताकि तुम राह पाओ।
- 31.10 उसने उत्पन्न किया है आकाशों को बिना किसी स्तम्भ के जिन्हें तुम देख रहे हो और बना दिये धरती में पर्वत ताकि डोल न जाये तुम्हें लेकर, और फैला दिये उनमें हर प्रकार के जीव, तथा हमने उतारा आकाश से जल, फिर हम ने उगाये उस में प्रत्येक प्रकार के सुन्दर जोड़े।
➤ आकाश स्तम्भ के बिना hanging है?
- 31.10 उसने उत्पन्न किया है आकाशों को बिना किसी स्तम्भ के जिन्हें तुम देख रहे हो और बना दिये धरती में पर्वत ताकि डोल न जाये तुम्हें लेकर, और फैला दिये उनमें हर प्रकार के जीव, तथा हमने उतारा आकाश से जल, फिर हम ने उगाये उस में प्रत्येक प्रकार के सुन्दर जोड़े।
➤ सूर्य और चंद्र घूम/चल रहा हैं?
- 31.29 क्या तुमने नहीं देखा कि अल्लाह मिला देता है रात्रि को दिन में और मिला देता है दिन को रात्रि में, तथा वश में कर रखा है सूर्य तथा चांद को, प्रत्येक चल रहा है एक निर्धारित समय तक, और अल्लाह उस से जो तुम कर रहे हो भली भांति अवगत हैं।
- 39.5 उस ने पैदा किया है आकाशों तथा धरती को सत्य के आधार पर। वह लपेट देता है रात्रि को दिन पर तथा दिन को रात्रि पर तथा वशवर्ती किया है सूर्य और चंद्रमा को। प्रत्येक चल रहा है अपनी निर्धारित अवधि के लिए। सावधान! वही अत्यन्त प्रभावशाली क्षमी है।
- 21.33 तथा वही है जिसने उत्पत्ति की है रात्रि तथा दिवस की और सूर्य तथा चांद की, प्रत्येक एक मण्डल में तैर रहे हैं।
N.B👉 जिस कुरान से इस पोस्ट को लिखा गया है उसका हिन्दी भाषा में अनुवाद किया है हरमैन शरीफैन सेवक किंग अब्दुल्लाह बिन अब्दुल अजीज आल सऊद, इसलिए अरबी से हिन्दी में अनुवाद में अगर कोई भूल है, तो उसमें मेरा कोई दोष नहीं है।
कुरान समीक्षा (भाग २)
🙏🙏🙏 नमस्ते 🙏🙏🙏
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें