मंगलवार, 26 नवंबर 2019

आर्य संस्कृति | वैदिक ज्ञान

🛑 वैदिक साहित्य

वैदिक साहित्य

🛡 वेद किसे कहते हैं ?
ईश्वर के उपदेश को वेद कहते हैं।
🛡 वेद का ज्ञान कब दिया गया था ?
वेद का ज्ञान सृष्टि के आरंभ में दिया गया था।
🛡 ईश्वर ने वेद का ज्ञान किसे दिया था ?
ईश्वर ने वेद का ज्ञान चार ऋषियों को दिया था।
🛡 हमारा धर्मिक ग्रन्थ कौन सा है?
हमारा धर्मिक ग्रन्थ वेद है।
🛡 हमें वेद को ही क्यों मानना चाहिए ?
वेद ईश्वरीय ज्ञान है। वेद में सब सत्य बातें हैं, इसलिए वेद को ही मानना चाहिए।
🛡 वेद किस भाषा में है ?
वेद संस्कृत भाषा में है
🛡 क्या वेद ऋषियों ने नहीं लिखा है ?
नहीं, वेद ऋषियों ने नहीं लिखा है।
🛡 उन ऋषियों के नाम बताइए जिन्हें वेद का ज्ञान प्राप्त हुआ ?
उन ऋषियों के नाम हैं - अग्नि, वायु, आदित्य और अंगिरा।
🛡 वेद पढ़नें का अधिकार किसे है ?
सभी मनुष्यों को वेद पढ़ने का अधिकार है।
🛡 वेद ज्ञान किसने दिया ?
ईश्वर ने दिया।
🛡 ईश्वर ने वेद ज्ञान क्यों दिया ?
मनुष्य मात्र के कल्याण के लिए।
🛡 वेद कितने है ?
चार प्रकार के : ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद।
🛡 वेदों के ब्राह्मण कौन है ?
*वेद ब्राह्मण*
*ऋग्वेद - ऐतरेय,*
*यजुर्वेद - शतपथ,*
*सामवेद - तांड्य,*
*अथर्ववेद - गोपथ ।*
🛡 वेदों के उपवेद कितने है ?
📌 *वेदों के चार उप वेद है।*
*वेद उपवेद*
*ऋग्वेद - आयुर्वेद,*
*यजुर्वेद - धनुर्वेद,*
*सामवेद - गंधर्ववेद,*
*अथर्ववेद - अर्थवेद ।*
🛡 वेदों के अंग कितने होते है ?
📌 *वेदों के छः अंग होते है।*
*शिक्षा,*
*कल्प,*
*निरूक्त,*
*व्याकरण,*
*छंद,*
*ज्योतिष ।*
🛡 वेदों का ज्ञान ईश्वर ने किन किन ऋषियो को दिया ?
📌 वेदों का ज्ञान चार ऋषियों को दिया।
*वेद ऋषि*
*ऋग्वेद - अग्नि,*
*यजुर्वेद - वायु,*
*सामवेद - आदित्य,*
*अथर्ववेद - अंगिरा ।*
🛡 वेदों का ज्ञान ईश्वर ने कैसे दिया ?
वेदों का ज्ञान ऋषियों को समाधि की अवस्था में दिया ।
🛡 वेदों में कैसे ज्ञान है ?
वेदों मै सत्य विद्याओं का ज्ञान विज्ञान ह
🛡 वेदो के विषय कौन कौन से हैं ?
📌 *वेदों के चार विषय है।
*वेद विषय*
*ऋग्वेद - ज्ञान,*
*यजुर्वेद - कर्म,*
*सामवेद - उपासना,*
*अथर्ववेद - विज्ञान ।*
🛡 किस वेद में क्या है ?
📌 *ऋग्वेद में...*
*मंडल - १०,*
*अष्टक - ०८,*
*सूक्त - १,०२८,*
*अनुवाक - ८५,*
*ऋचाएं (मंत्र)- १०,५८९ ।*
📌 *यजुर्वेद में...*
*अध्याय - ४०,*
*मंत्र - १,९७५ ।*
📌 *सामवेद में...*
*आरचिक - ०६,*
*अध्याय - ०६,*
*ऋचाएं - १,८७५ ।*
📌 *अथर्ववेद में...*
*कांड - २०,*
*सूक्त - ७३१,*
*मंत्र - ५,९७७ ।*
🛡 वेद पढ़ने का अधिकार किसको है?
मनुष्य मात्र को वेद पढ़ने का अधिकार है।
🛡 क्या वेदों में मूर्तिपूजा का विधान है ?
मूर्ति पूजा का विधान नहीं।
🛡 क्या वेदों में अवतारवाद का प्रमाण है ?
वेदों मै अवतारवाद का प्रमाण नहीं है।
🛡 सबसे बड़ा वेद कौनसा है ?
सबसे बड़ा वेद ऋग्वेद है।
🛡 वेदों की उत्पत्ति कब हुई ?
वेदो की उत्पत्ति सृष्टि के आदि से परमात्मा द्वारा हुई । अर्थात १ अरब ९६ करोड़ ८ लाख ४३ हजार १२० वर्ष पूर्व ।
🛡 वेद के सहायक दर्शन शास्त्र(उपअंग) कितने हैं और लेखकों का क्या नाम है ?
📌 ६ है।
*दर्शनशास्त्र लेखक*
*न्याय दर्शन : गौतम मुनि*
*वैशेषिक दर्शन : कणाद मुनि*
*योगदर्शन : पतंजलि मुनि*
*मीमांसा दर्शन : जैमिनी मुनि*
*सांख्य दर्शन : कपिल मुनि*
*वेदांत दर्शन : व्यास मुनि*
🛡 शास्त्रों के विषय क्या है ?
आत्मा, परमात्मा, प्रकृति, जगत की उत्पत्ति, मुक्ति अर्थात सब प्रकार का भौतिक व आध्यात्मिक ज्ञान विज्ञान आदि।
🛡 प्रामाणिक उपनिषदे कितनी है ?
प्रामाणिक उपनिषदे केवल ग्यारह है।
🛡 उपनिषदों के नाम बतावे ?
*ईश (ईशावास्य),*
*केन,*
*कठो,*
*प्रश्न,*
*मुंडक,*
*मांडूक्य,*
*ऐतरेय,*
*तैत्तिरीय,*
*छांदोग्य,*
*वृहदारण्यक,*
*श्वेताश्वतर ।*
🛡 उपनिषदों के विषय कहाँ से लिए गए है ?
उपनिषदों के विषय वेदों से लिए गए है
🛡 चार वर्ण कौन कौन से होते हैं ?
*ब्राह्मण,*
*क्षत्रिय,*
*वैश्य,*
*शूद्र।*
*जो कर्म आधारित हैं|
🛡 चार युग कोन कोनसे होते है और कितने वर्षों के ?
*सतयुग : १७,२८,००० वर्षों का है।*
*त्रेतायुग : १२,९६,००० वर्षों का है।*
*द्वापरयुग : ८,६४,००० वर्षों का है।*
*कलयुग : ४,३२,००० वर्षों का है।*
📌 *कलयुग के ४,९७७ वर्षों का भोग हो चुका है अभी ४,२७,०२३ वर्षों का भोग होना बाकी है।
🛡 पंच महायज्ञ कोन कोनसे होते है ?
*ब्रह्म यज्ञ,*
*देव यज्ञ,*
*पितृ यज्ञ,*
*बलिवैश्वदेव यज्ञ,*
*अतिथि यज्ञ।*
🛡 स्वर्ग और नरक कहां है ?
*स्वर्ग : जहाँ सुख है।
*नरक : जहाँ दुःख है।
🛡 ‘सत्यार्थ प्रकाश’ नामक ग्रन्थ की रचना किसने की थी ?
*‘सत्यार्थ प्रकाश’ नामक ग्रन्थ की रचना महर्षि दयानन्द ने की थी।

🛑 ईश्वर

ईश्वर

🛡 ईश्वर का मुख्य नाम क्या है ?
ईश्वर का मुख्य नाम ‘ओ३म्’ है।
🛡 ईश्वर के कुल कितने नाम हैं
ईश्वर के असंख्य नाम हैं।
🛡 ईश्वर के नामों से हमें क्या पता चलता है ?
ईश्वर के नामों से हमें उसके गुण, कर्म और स्वभाव का पता चलता है
🛡 ईश्वर एक है या अनेक ?
ईश्वर एक ही है उसके नाम अनेक हैं।
🛡 क्या ईश्वर कभी जन्म लेता है ?
नहीं, ईश्वर कभी जन्म नहीं लेता। वह अजन्मा है
🛡 स्तुति, प्रार्थना, उपासना किसकी करनी चाहिए ?
स्तुति, प्रार्थना, उपासना केवल ईश्वर की ही करनी चाहिए।
🛡 ईश्वर से अध्कि सामर्थ्यशाली कौन है ?
ईश्वर से अध्कि सामर्थ्यशाली और कोई नहीं है। वह सर्वशक्तिमान् है।
🛡 ‘इन्द्र’ नाम किसका है ?
जिसमें सबसे अधिक ऐश्वर्य होता है उसे इन्द्र कहते हैं अर्थात् ‘इन्द्र’ ईश्वर का नाम है।
🛡 दुःख कितने प्रकार के और कौन-कौन से होते हैं ?
📌 दुःख तीन प्रकार के होते हैं -
*(१) आध्यात्मिक, (२) आधिभौतिक, (३) आधिदैविक दुःख।
🛡 आध्यात्मिक दुःख किसे कहते हैं ?
अविद्या, राग-द्वेष, रोग इत्यादि से होने वाले दुःख को आध्यात्मिक दुःख कहते हैं।
🛡 आधिभौतिक दुःख किसे कहते हैं ?
मनुष्य, पशु-पक्षी, कीट-पतंग, मक्खी-मच्छर, साप इत्यादि से होने वाले दुःख को आधिभौतिक दुःख कहते हैं।
🛡 आधिदैविक दुःख किसे कहते हैं ?
अधिक सर्दी-गर्मी-वर्षा, भूख-प्यास, मन की अशान्ति से होने वाले दुःख को आधिदैविक दुःख कहते हैं।
🛡 ईश्वर के कोई दस नाम बताइए।
(१) विष्णु, (२) वरुण, (३) परमात्मा, (४) पिता, (५) अनन्त, (६) शुद्ध, (७) निराकार, (८) सरस्वती, (९) न्यायकारी, (१०) भगवान्।
🛡 ईश्वर के तीन गुण बताइए।
ईश्वर के तीन गुण हैं - न्याय, दया और ज्ञान। 
🛡 ईश्वर के तीन कर्म बताइए।
*(१) ईश्वर संसार को बनाता है।*
*(२) ईश्वर वेदों का उपदेश करता है।*
*(३) ईश्वर कर्मों का फल देता है।*
🛡 ‘अनन्त’ का अर्थ क्या है ?*
जिसका कभी अन्त नहीं होता उसे अनन्त कहते हैं। ईश्वर अनन्त है।
🛡 क्या ‘गणेश’ ईश्वर का नाम है? क्यों ?
हाँ, क्योंकि वह पूरे संसार का स्वामी है और सबका पालन करता है
🛡 ‘सरस्वती’ से आप क्या समझते हैं ?
‘सरस्वती’ ईश्वर का एक नाम है। संसार का पूर्ण ज्ञान जिसे होता है, उसे सरस्वती कहते हैं।
🛡 ईश्वर को ‘निराकार’ क्यों कहते हैं ?
ईश्वर का कोई आकार, रुप, रंग, मूर्ति नहीं है। अतः उसे निराकार कहते हैं ।
🛡 क्या राहु और केतु ग्रहों के नाम हैं?
नहीं, इस नाम के कोई ग्रह नहीं होते। ये दोनों नाम ईश्वर के हैं
🛡 ईश्वर के किन्हीं दो नामों की व्याख्या कीजिए।
(क) ब्रह्मा - ईश्वर जगत् को बनाता है इसलिए उसे ब्रह्मा कहते हैं
(ख) शुद्ध - राग-द्वेष, छल-कपट, झूठ इत्यादि समस्त बुराइयों से वह दूर है। उसका स्वभाव पवित्र है।
🛡 नास्तिक किसे कहते हैं ?
जो व्यक्ति ईश्वर को ठीक से नहीं जानता, नहीं मानता और उसका ध्यान नहीं करता है उसे नास्तिक कहते हैं।
🛡 मनुष्य के समस्त दुःखों का कारण क्या है ?
ईश्वर को न मानना ही मनुष्य के समस्त दुःखों का कारण है।
🛡 जड़ और चेतन मे अंतर बताइए ?
📌 *जड*
*इच्छा नहीं होती है।*
*सुख आदि की अनुभूति नही होती है।*
*परिवर्तन सड़ना, गलना होता है ।*
*ज्ञान नहीं होता है।*
*लंबाई, चौडाई, रूप रंग होते हैं ।*
📌 *चेतन*
*इच्छा होती है।*
*सुखादि की अनुभूति होती है।*
*परिवर्तन सड़ना गलना नहीं होता है।*
*ज्ञान होता है।*
*निराकार होता है।*
🛡 जड़ और चेतन के उदाहरण दीजिए।
जड़ के उदाहरण -पत्थर, लकड़ी, लोहा, अग्नि, वायु, कार, कम्प्यूटर, मोबाइल।
चेतन के उदाहरण - आत्मा और परमात्मा।
🛡 क्या ईश्वर सर्वव्यापक है ?
हाँ, ईश्वर सर्वव्यापक है। ऐसा कोई स्थान नहीं है जहाँ पर ईश्वर न हो।
🛡 यदि ईश्वर सब जगह है तो वह दिखाई क्यों नहीं देता है ?
निराकार होने के कारण ईश्वर दिखाई नही देता है।
🛡 न्याय किसे कहते हैं ?
कर्मों के अनुसार पफल देने को न्याय कहते हैं।
🛡 बुरे कर्मों का पफल माफ होता है अथवा नहीं ?
नहीं, बुरे कर्मों का फल माफ नहीं होता है।
🛡 क्या दण्ड से बचने के लिए पूजा, प्रार्थना, यज्ञ करना चाहिए ?
एक बार अपराध कर लेने पर उस कर्म का फल भोगना ही पड़ता है। यह ईश्वर का नियम है। अतः दण्ड से बचने के लिए पूजा, प्रार्थना, यज्ञ, करना व्यर्थ है।
🛡 दया किसे कहते हैं ?
दूसरों के दुःखों को दूर करने की इच्छा को दया कहते हैं।
🛡 ईश्वर दयालु है तो हमारे पापों को क्षमा क्यों नहीं करता ?
पाप क्षमा होने से सुधार नहीं होता बल्कि व्यक्ति पहले से और अधिक पाप करने लग जाता है। ईश्वर की इच्छा है कि हमारा सुधार हो । जिससे हम भविष्य में बुरे कर्म न करें । इसलिए ईश्वर हमारे पापों को क्षमा नही करता है।
🛡 सर्वशक्तिमान् शब्द का क्या अर्थ है?
जो अपने किसी भी कार्य को करने में दूसरों की सहायता नही लेता उसे सर्वशक्तिमान् कहते हैं ।
🛡 ईश्वर ने संसार क्यों बनाया है ?
ईश्वर ने इस संसार को हमारे सुख, कल्याण, और शान्ति के लिए बनाया है।
🛡 हमें ईश्वर से क्या मांगना चाहिए ?
हमें ईश्वर से विद्या, बल, बुद्धि, शक्ति और समृद्धि मांगना चाहिए।
🛡 क्या प्रार्थना करने से सब चीजें मिल जाती हैं ?
केवल प्रार्थना करने से कुछ प्राप्त नहीं होता। प्रार्थना के साथ पूर्ण पुरुषार्थ करना चाहिए।
🛡 उपासना शब्द का क्या अर्थ है ?
उपासना शब्द का अर्थ है मन से शुद्ध होकर ईश्वर के गुणों की अनुभूति करना।
🛡 उपासना करने से क्या लाभ हैं ?
उपासना करने से हमारा आत्मिक बल बढता है, दुःख दूर होते हैं, विद्या, बल, और आनंद की प्राप्ति होती है।
🛡 ईश्वर निराकार है तो बिना हाथ-पैर के संसार को कैसे बना लेता है ?
जैसे चुम्बक बिना हाथ के लोहे को खींच लेता है, सूर्य की किरणें जिस प्रकार बिना पैर के गति करती हैं, वैसे ईश्वर भी अपने शक्ति सामर्थ्य से बिना हाथ - पैर के ही संसार की रचना कर लेता है।
🛡 क्या ईश्वर अवतार लेता है ?
नहीं, ईश्वर अवतार नहीं लेता है।
🛡 ईश्वर का अवतार मानने में क्या दोष है ?
📌 ईश्वर का अवतार मानने में निम्न दोष हैं -
*अवतार लेने के लिए जन्म लेना होगा।*
*जो सर्वव्यापक है उसका जन्म लेना असंभव है।*
*जो जन्म लेगा उसे सुख-दुःख, भूख-प्यास, सर्दी-गर्मी की अनुभूति होगी।*
*ईश्वर निराकर है अतः उसका अवतार नहीं हो सकता।*
🛡 क्या आत्मा और परमात्मा एक ही है ?
नहीं, आत्मा और परमात्मा एक नहीं है।
🛡 हम अपनी इच्छा से कर्म करते हैं अथवा परमात्मा की ?
हम अपनी इच्छा से ही कर्म करते हैं, परमात्मा की इच्छा से नहीं।
🛡 परमात्मा की इच्छा से कर्म करना मानने में क्या दोष है ?
हम परमात्मा की इच्छा से ही कर्म करना मानेंगे तो संसार में बुराई नहीं रहनी चाहिए। क्योंकि ईश्वर की इच्छा कभी बुरी नहीं हो सकती है।
🛡 ईश्वर के साथ हमारा क्या संबंध है ?
ईश्वर हमारा पालक, रक्षक, बन्धु, गुरु, आचार्य, स्वामी, राजा और न्यायाधीश है।

🛑 बाल शिक्षा

🛡 शिक्षक कितने और कौन-कौन से होते हैं ?
शिक्षक तीन होते हैं - (१) माता (२) पिता (३) गुरु।
🛡 माता को सबसे उत्तम शिक्षक क्यों कहते हैं ?
संतानों के लिए प्रेम, हित की भावना सबसे अध्कि माता में होती है । इसलिए वह सर्वोत्तम शिक्षक है।*
🛡 संतानों के प्रति माता के क्या कर्त्तव्य हैं ?
📌 संतानों के प्रति माता के निम्न कर्त्तव्य हैं-
*(१) शुद्ध उच्चारण सिखलाना,*
*(२) संतानों को उत्तम गुणों से युक्त करना,*
*(३) छोटे-बड़ों से व्यवहार करना सिखलाना,*
*(४) धर्म की शिक्षा देना।*
🛡 क्या भूत-प्रेत वास्तव में होते हैं ?
नहीं, भूत-प्रेत नहीं होते, उनको मानना अंध्विश्वास है।
🛡 संसार में बहुत से लोग भूत-प्रेत क्यों मानते हैं ?
अविद्या, कुसंस्कार, भय, आशंका, मानसिक रोग, ध्ूर्तों के बहकाने से लोग भूत-प्रेत मानने लग जाते हैं।
🛡 हम मरने के बाद कहाँ जाते हैं ?
मरने के बाद हम पाप-पुण्य का फल भोगने के लिए पिफर से जन्म लेते हैं।
🛡 हमें दूसरे जन्म में कौन भेजता है ?
हमें दूसरे जन्म में ईश्वर भेजता है।
🛡 क्या मन्त्र-फूंकने से किसी रोग की चिकित्सा होती है ?
✒  नहीं, मन्त्र फुंकने से किसी रोग की चिकित्सा नहीं होती है।
🛡 हमारे जीवन में सुख-दुःख क्या ग्रहों के कारण हैं?
नहीं, हमारे जीवन में सुख-दुःख ग्रहों के कारण नहीं है।
🛡 मंगल, शनि आदि ग्रहों का हमारे कर्मों पर कोई प्रभाव पड़ता है ?
नहीं, हमारे कर्मों पर इनका कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
🛡 जन्म-पत्रा में लिखी गई बातें क्या सच होती है ?
हमारे भविष्य की बातें कोई नहीं जान सकता, इसलिए जन्म-पत्रा की बातें सच नहीं होती हैं।
🛡 छल-कपट किसे कहते हैं ?
दूसरों की हानि पर ध्यान न देकर केवल अपना स्वार्थ सिद्ध करना छल-कपट कहलाता है।
🛡 विद्यार्थी का मुख्य कर्त्तव्य क्या है ?
विद्यार्थी को अपनी विद्या और शरीर का बल सदैव बढाते रहना चाहिए।
🛡 माता-पिता, गुरु हमें दण्ड क्यों देते हैं ?
हमारे जीवन से बुराइयों को हटाने के लिए माता-पिता, गुरु हमें दण्ड देते हैं।
🛡 दण्ड प्राप्त होने पर क्या विचारना चाहिए ?
दण्ड प्राप्त होने पर हमें विचारना चाहिए कि मेरे सुधर के लिए दण्ड दिया गया है। क्रोध न करते हुए सुधरने का प्रयास करना चाहिए।
🛡 सदाचार के तीन उदाहरण दीजिए ?
(१) शान्त, मधुर और सत्य बोलना,
*(२) बड़ों को नमस्ते करना,*
*(३) माता, पिता, गुरु की सेवा करना।*
🛡 माता-पिता का परम कर्त्तव्य क्या है ?
अपने संतानों को विद्या, धर्म, श्रेष्ठ आचरण, उत्तम संस्कारों से युक्त करना ही माता-पिता का परम धर्म है ।

🛑 अध्ययन-अध्यापन

अध्ययन-अध्यापन

किन बातों से मनुष्य सुशोभित होता है ?
विद्या, संस्कार, उत्तम गुण, कर्म और स्वभाव से मनुष्य सुशोभित होता है।
श्रेष्ठ मनुष्य बनने के लिए क्या आवश्यक है ?
श्रेष्ठ मनुष्य बनने के लिए निम्न बातों का होना आवश्यक है -
(१) विद्या प्राप्ति (२) अभिमान न होना (३) दूसरों का सहयोग।
अध्यापक कैसे होने चाहिए ?
अध्यापक पूर्ण विद्वान् व धर्मिक होने चाहिए।
➤: वैदिक नियम के अनुसार शिक्षा व्यवस्था कैसी होनी चाहिए ?
वैदिक नियम के अनुसार शिक्षा व्यवस्था इस प्रकार होनी चाहिए -
(१) विद्यालय नगर से दूर, शान्त, एकान्त स्थान में होने चाहिए।
(२) लड़के व लड़कियों के विद्यालय अलग-अलग होने चाहिए।
(३) विद्यार्थी का जीवन तपस्वी, संयमी होना चाहिए।
(४) सभी विद्यार्थियों की सुविधएँ एक समान होनी चाहिए।
गायत्री मंत्र कौन सा है ?
गायत्री मंत्र निम्न है -
ओऽम् भूर्भुवः स्वः। तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि । धियो यो नः प्रचोदयात्।
गायत्री मन्त्र का संक्षिप्त अर्थ बताइए
गायत्री मन्त्र का संक्षिप्त अर्थ इस प्रकार है -
हे संपूर्ण जगत् के निर्माता, शुद्धस्वरुप, सुखों को प्रदान करने वाले परमपिता परमेश्वर! कृपा करके हमारी बुद्धि को श्रेष्ठ मार्ग में प्रेरित करें।
प्रतिदिन स्नान क्यों करना चाहिए ?
स्नान करने से शरीर शुद्ध तथा स्वस्थ रहता है, इसलिए प्रतिदिन स्नान करना चाहिए।
मन की शुद्धि कैसे होती है ?
मन की शुद्धि सत्य के आचरण से होती है।
प्राणायाम के क्या लाभ हैं ?
प्राणायाम के निम्न लाभ हैं -
(1) स्मृति शक्ति का बढ़ना, (2) ज्ञान की प्राप्ति, (3) बल का बढ़ना, (4) सूक्ष्म बुद्धि की प्राप्ति।
ईश्वर का ध्यान कब करना चाहिए ?
ईश्वर का ध्यान प्रतिदिन प्रातः व सायंकाल करना चाहिए।
क्या ईश्वर का ध्यान करना आवश्यक है ?
हाँ, ईश्वर का ध्यान करना आवश्यक है।
वायु की शुद्धि का क्या उपाय है ?
वायु की शुद्धि के लिए प्रतिदिन हवन करना चाहिए।
हवन करना क्यों आवश्यक है ?
हवन करने से अनेक प्राणियों का उपकार, वायु-जल-अन्न की शुद्धि, रोगों का दूर होना इत्यादि अनेक लाभ होते हैं।
ब्रह्मचर्य के पालन से क्या लाभ हैं ?
ब्रह्मचर्य के पालन से शारीरिक व मानसिक विकास, शुभ गुणों की प्राप्ति, दीर्घायु, उत्तम स्वास्थ, कुशाग्र बुद्धि की प्राप्ति होती है।
यम कितने प्रकार के व कौन-कौन से हैं ?
यम पाँच प्रकार के होते हैं । वे निम्न हैं -
*(1) अहिंसा, (2) सत्य, (3) अस्तेय, (4) ब्रह्मचर्य, (5) अपरिग्रह।
आयु, विद्या, यश और बल बढ़ाने का उपाय क्या है ?
माता-पिता, गुरु, वृद्धजनों की सेवा, आदर और उनकी आज्ञाओं का पालन करने से आयु, विद्या, यश और बल बढ़ते हैं।
विद्यार्थी को कौन से कार्य नहीं करने चाहिए ?
➨  विद्यार्थी को निम्न कार्य नहीं करने चाहिए -
*(1) ईर्ष्या, द्वेष, लोभ, मोह, झूठ बोलना।
*(2) अंडे, मांस का सेवन।
*(3) आलस्य, प्रमाद।
*(4) दूसरों की हानि करना।
संपूर्ण सुख किसे प्राप्त होता है ?
जो व्यक्ति विद्या प्राप्त कर धर्म कर आचरण करता है वही संपूर्ण सुख को प्राप्त करता है ।
धर्म किसे कहते हैं ?
श्रेष्ठ कर्मों के आचरण को धर्म कहते हैं ।
धर्म का ज्ञान कहाँ से होता है ?
धर्म का ज्ञान वेद, ऋषियों के ग्रन्थ, महापुरुषों के आचरण से होता है।
सत्य-असत्य की परीक्षा किस प्रकार की जाती है ?
सत्य वह होता है जो -**(1) वेद के अनुकूल हो, (2) सृष्टि नियम से विपरीत न हो, (3) धर्मिक विद्वानों द्वारा कहा गया हो, (4) आत्मा के अनुकूल हो, (5) प्रमाणों से जांचा गया हो।
प्रमाण कितने प्रकार के होते हैं ?
प्रमाण 8 प्रकार के होते हैं।
किन्हीं 4 प्रमाणों के नाम बताइए ।
ये चार प्रकार के प्रमाण हैं - (1) प्रत्यक्ष, (2) अनुमान, (3) शब्द, (4) उपमान प्रमाण।
प्रत्यक्ष प्रमाण किसे कहते हैं ?
देखने, सुनने, गंध लेने, स्पर्श व स्वाद की अनुभूति से जो वास्तविक ज्ञान होता है, उसे प्रत्यक्ष प्रमाण कहते हैं।
असंभव बातों के 5 उदाहरण दीजिए ।
असंभव बातों के 5 उदाहरण निम्न हैं -
*(1) पहाड़ उठाना, (2) समुद्र में पत्थर तैराना, (3) चन्द्रमा के टुकड़े करना,
*(4) परमेश्वर का अवतार लेना, (5) मनुष्य के सींग होना।
आत्मा के गुण कौन-कौन से हैं ?
इच्छा, द्वेष, प्रयत्न, सुख, दुःख और ज्ञान आत्मा के गुण हैं।
➤ 6 दर्शन शास्त्रों के नाम बताइए।
6 दर्शन शास्त्रों के नाम इस प्रकार हैं
*(1) योग दर्शन, (2) सांख्य दर्शन, (3) वैशेषिक दर्शन, (4) न्याय दर्शन, (5) मीमांसा दर्शन, (6) वेदान्त दर्शन।
सर्वश्रेष्ठ दान कौन सा है ?
विद्या का दान सर्वश्रेष्ठ दान है।
वेद पढ़ने का अध्किार किसे है ?
➨  सभी मनुष्यों को वेद पढ़ने का अधिकार है।
देश की उन्नति के लिए तीन उपाय बताइए।
देश की उन्नति के लिए (1) ब्रह्मचर्य, (2) विद्या और (3) धर्म का प्रचार आवश्यक है।

🛑 गृहस्थ आश्रम

गृहस्थ आश्रम

विवाह करने का अधिकार किसे है ?
धर्मिक, विद्वान्, सदाचारी और ब्रह्मचारी व्यक्ति को विवाह करने का अधिकार है।
विवाह करने का मुख्य आधर क्या है ?
विवाह करने का मुख्य आधर है - अनुकूल गुण-कर्म-स्वभाव का मेल होना।
जन्म-कुंडली के आधर पर विवाह करना क्या उचित नहीं है ?
जन्म-कुंडली देखकर विवाह करना उचित नहीं है क्योंकि हमारे भविष्य और परस्पर मेल का जन्म-कुंडली से कोई संबंध नहीं है।
वर्ण व्यवस्था किसे कहते है ?
वर्ण व्यवस्था एक सामाजिक व्यवस्था है। जिसमें योग्यता के आधर पर समाज को चार वर्णों में बांटा जाता है।*
वर्ण कितने होते हैं ? उनके नाम बताइए।
वर्ण चार होते हैं । उनके नाम हैं - 1.ब्राह्मण; 2. क्षत्रिय; 3. वैश्य; 4. शूद्र।
क्या वर्ण व्यवस्था जन्म से नहीं मानी जाती है ?
नहीं, वर्ण व्यवस्था जन्म से नहीं मानी जाती है। उसका आधर गुण-कर्म और स्वभाव है।
क्या कोई भी व्यक्ति ब्राह्मण बन सकता है ?
शास्त्रों में ब्राह्मण बनने के लिए कुछ कर्म निश्चित किए हैं। उन कर्मों को करने वाला कोई भी व्यक्ति ब्राह्मण बन सकता है।
ब्राह्मण बनने के लिए ब्राह्मण परिवार में जन्म लेना आवश्यक है ?
नहीं, ब्राह्मण बनने के लिए ब्राह्मण परिवार में जन्म लेना आवश्यक नहीं है।
किन कर्मों को करने से व्यक्ति ब्राह्मण बन सकता है ?
ब्राह्मण बनने के लिए इन कर्मों को करना आवश्यक है -
*(1) पढ़ना व पढ़ाना, (2) यज्ञ करना व कराना, (3) धर्म का आचरण करना, (4) वेदों को मानना।
क्षत्रिय किसे कहते हैं ?
जो व्यक्ति प्रजा की रक्षा और पालन करता है उसे क्षत्रिय कहते हैं।
वैश्य का मुख्य कर्म क्या है ?
वैश्य का मुख्य कर्म व्यापार करना है।
शूद्र किसे कहते हैं ?
जो व्यक्ति पढ़ाने पर भी नहीं पढ़ सकता उसे शूद्र कहते हैं।
शूद्र का मुख्य कार्य क्या है ?
शूद्र का मुख्य कार्य सेवा करना है।
क्या शूद्र की संताने ब्राह्मण बन सकती हैं ?
हाँ, शूद्र की संताने ब्राह्मण बन सकती हैं।
विवाह कितने प्रकार के होते हैं ?
विवाह आठ प्रकार के होते हैं।
सबसे उत्तम विवाह कौन सा है ?
सबसे उत्तम विवाह ब्राह्म विवाह है।
ब्राह्म विवाह किसे कहते हैं ?
पूर्ण विद्वान, धर्मिक, सुशील वर-वधू का परस्पर प्रसन्नता के साथ विवाह होना ब्राह्म विवाह है।
वाणी की चार विशेषताएँ बताइए ?
वाणी की चार विशेषताएँ हैं - (1) वाणी सुमधुर हो, (2) सदैव सत्य बोलना, (3) हितकारी बोलना, (4) प्रिय बोलना।
निंदा किसे कहते हैं ?
अच्छे को बुरा कहना और बुरे को अच्छा कहना निंदा कहलाती है।
श्राद्ध क्या होता है ?
जीवित माता-पिता, विद्वान्, वृद्धजनों की श्रद्धा से सेवा करने को श्राद्ध कहते हैं।
तर्पण का क्या अर्थ है ?
जीवित माता-पिता, विद्वान् आदि को अपने व्यवहार से प्रसन्न रखना तर्पण है।
क्या मृत पितरों का श्राद्ध व तर्पण नहीं हो सकता?
नहीं, मृत पितरों का श्राद्ध व तर्पण संभव नहीं है। ऐसा करना वेद आदि शास्त्रों से विरुद्ध है।
पंचमहायज्ञ कौन से हैं ?
(1) ब्रह्मयज्ञ, (2) देवयज्ञ, (3) पितृयज्ञ, (4) बलिवैश्वदेव यज्ञ, (5) अतिथियज्ञ।
अतिथियज्ञ किसे कहते हैं ?
धर्मिक, विद्वान्, सत्य के उपदेशक व्यक्ति की सेवा, सत्कार और सम्मान करना अतिथियज्ञ है।
पाप किसे कहते हैं।
अधर्म के आचरण को पाप कहते हैं।
अधर्म के आचरण से क्या हानि होती है ?
जैसे जड़ से काटा हुआ वृक्ष नष्ट हो जाता है वैसे ही अधर्मिक व्यक्ति भी पूर्णतः नष्ट हो जाता है।
किसे दान नहीं देना चाहिए ?
तप से रहित, अधर्मिक, अविद्वान् व्यक्ति को दान नहीं देना चाहिए।
पाखण्डी के लक्षण क्या हैं ?
जो व्यक्ति धर्म के नाम पर दूसरों को ठगता हो, अपनी प्रशंसा स्वंय करे, अच्छे-बुरे सब लोगों से मित्राता करे, स्वार्थ के लिए दूसरों की हानि करता हो वह पाखण्डी होता हैं।
बुद्धिमान् किसे कहते हैं ?
ईश्वर, वेद पर श्रद्धा रखने वाला व्यक्ति बुद्धिमान् होता है।

🛑 वानप्रस्थ और संन्यास आश्रम

🛡 वानप्रस्थ का अर्थ क्या है ?
एकांत स्थान में जाकर स्वाध्याय-साधना करना वानप्रस्थ कहलाता है।
🛡 वानप्रस्थ लेने का अधिकार किसे है ?
वानप्रस्थ लेने का अधिकार गृहस्थी को है।
🛡 वानप्रस्थ कब लिया जाता है ?
परिवार के प्रति अपने कर्त्तव्य पूरे हो जाने पर वानप्रस्थ लिया जाता है।
🛡 वानप्रस्थ के प्रमुख कर्त्तव्य क्या हैं ?
स्वाध्याय करना, पंचमहायज्ञ, धर्म का आचरण और योगाभ्यास करना वानप्रस्थ के प्रमुख कर्त्तव्य हैं।
🛡 वानप्रस्थ के बाद अगला आश्रम कौन सा है ?
वानप्रस्थ के बाद अगला आश्रम संन्यास है।
🛡 संन्यास ग्रहण क्यों किया जाता है ?
ईश्वर को प्राप्त करने के लिए संन्यास ग्रहण किया जाता है।
🛡 *किन्हीं तीन संन्यासियों के नाम बताइए।
📌 *तीन संन्यासियों के नाम हैं -
*स्वामी दयानन्द सरस्वती,*
*स्वामी श्रद्धानन्द,*
*स्वामी दर्शनानन्द*
🛡 संन्यास ग्रहण करने के लिए सबसे अनिवार्य योग्यता क्या है ?
संन्यास ग्रहण के लिए वैराग्य होना अनिवार्य है।
🛡 संन्यासी का मुख्य कार्य क्या है?
संन्यासी का मुख्य कार्य सत्योपदेश और राष्ट्र में वेद का प्रचार करना है।
🛡 क्या दण्ड, कमण्डल, काषाय वस्त्र धरण करने वाले को ही संन्यासी कहते है ?
नहीं, दण्ड, कमण्डल, काषाय वस्त्र धरण करने मात्र से कोई संन्यासी नहीं होता, उसके लिए संन्यासी के कर्म करने आवश्यक हैं।
🛡 समाज में अंधविश्वास क्यों फैलता है ?
योग्य संन्यासी के न होने से समाज में अंधविश्वास फैलता है ।
🛡 संन्यास ग्रहण करने का अधिकार किसे है ?
संन्यास ग्रहण करने का अधिकार पूर्ण विद्वान् को है।
🛡 हमारे देश में लाखों की संख्या में संन्यासी हैं, फिर भी इतना अंध्विश्वास क्यों है ?
अधिकांश संन्यासी विद्या और वैराग्य से रहित हैं। उनमें अंधविश्वास को दूर करने की न तो इच्छा है और न सामर्थ्य। अतः अंधविश्वास, पाखण्ड फैल रहा है।
🛡 धर्म के लक्षण कितने हैं ?
धर्म के दस लक्षण हैं।
🛡 धर्म के दस लक्षण कौन से हैं ?
📌 *धर्म के दस लक्षण हैं -
*धैर्य,*
*क्षमा,*
*मन को धर्म में लगाना,*
*चोरी न करना,*
*शुद्धि,*
*इन्द्रियों पर नियंत्रण,*
*बुद्धि बढ़ाना,*
*विद्या,*
*सत्य,*
*क्रोध न करना।*
🛡 योग्य संन्यासी का परीक्षण कैसे होता है ?
सत्योपदेश, वेद, धर्म का प्रचार करने वाला संन्यासी योग्य संन्यासी कहलाता है।
🛡 योग के कितने अंग होते हैं ?
योग के आठ अंग होते हैं।
🛡 योग के किन्हीं चार अंगों के नाम बताइए ?
*यम,*
*नियम,*
*आसन,*
*प्राणायाम।*
🛡 परिव्राजक किसे कहते हैं ?
संन्यासी को ही परिव्राजक कहते हैं।
🛡 वैराग्य का अर्थ क्या होता हैं ?
संसार के विषयों को भोगने की इच्छा न होना वैराग्य कहलाता है।

🛑 राजधर्म

राजधर्म

🛡 राजधर्म का अर्थ क्या है ?
प्रजा के प्रति राजा के कर्त्तव्य को राजधर्म कहते हैं।
🛡 राज्य करने का अधिकार किसे है ?
✒ उत्तर: राज्य करने का अधिकार न्यायप्रिय, वेद को मानने वाले क्षत्रिय को है।
🛡 राज्य के अंतर्गत कितनी सभाएँ होती हैं ? उनके नाम बताइए
📌 *राज्य के अंतर्गत तीन सभाएँ होती हैं । उनके नाम हैं -
*विद्या सभा,
*धर्म सभा और राज सभा।
🛡 तीनों सभाएँ किसके अधीन होती हैं ?
तीनों सभाएँ राजा के अधीन होती हैं।
🛡 क्या राजा स्वतंत्र होता है ?
नही, राजा तीनों सभाओं के अधीन होता है
🛡 विद्यासभा के अधिकारी कौन होते हैं ?
वेद के विद्वान् विद्यासभा के अधिकारी होते हैं।
🛡 पधर्म सभा में अधिकारी बनने की योग्यता क्या है ?
धर्म सभा का अधिकारी धार्मिक और विद्वान् होना चाहिए।
🛡 राज सभा का अधिकारी कौन बन सकता है ?
धार्मिक व्यक्ति जो दण्डनीति और न्याय की नीति को जानता हो वह राज सभा का अधिकारी बन सकता है।
🛡 राजा में कौन से गुण होने चाहिए ?
राजा वेद का विद्वान्, शूरवीर, पक्षपात रहित, दुष्टों का नाश करने वाला, श्रेष्ठ पुरुषों का सम्मान करने वाला और प्रजा को संतान के समान समझने वाला होना चाहिए।
🛡 धर्म की स्थापना के लिए क्या आवश्यक है
धर्म की स्थापना के लिए दण्ड व्यवस्था आवश्यक है।
🛡 किन व्यक्तियों को सभा में नियुक्त नहीं करना चाहिए ?
वेद विद्या से रहित मूर्ख, अधर्मिक व्यक्तियों को सभा में नियुक्त नहीं करना चाहिए।
🛡 राजा को किन बुराइयों से दूर रहना चाहिए ?
📌 *राजा को ५ बुराइयों से दूर रहना चाहिए:
*जुआ खेलना,*
*नशा करना,*
*अधर्म,*
*निंदा,*
*बिना अपराध के दण्ड देना।
🛡 मन्त्री किसे बनाना चाहिए?
वेद आदि शास्त्रों को जानने वाला, अपने देश में उत्पन्न उत्तम धार्मिक व्यक्ति को मन्त्री बनाना चाहिए।
🛡 राजदूत में कौन से गुण होने चाहिए ?
राजदूत निर्भीक, कुशल वक्ता, छल-कपट से रहित और विद्वान् होना चाहिए।
🛡 किन व्यक्तियों को युद्ध में नहीं मारना चाहिए ?
अत्यन्त घायल, दुःखी, शस्त्र से रहित, भागने वाला योद्धा, हार स्वीकार करने वाले को युद्ध में नही मारना चाहिए।
🛡 उपरोक्त व्यक्तियों के साथ क्या करें ?
उन्हें बंदी बनाकर जेल में डाल देना चाहिए।
🛡 पराजित शत्रुओं के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए ?
पराजित शुत्रुओं को भोजन, वस्त्र व औषधि देनी चाहिए। जिनसे भविष्य में हानि की संभावना हो उन्हें जीवन भर जेल में ही रखना चाहिए। उनके परिवार की सुरक्षा करनी चाहिए।
🛡 राजा का परम धर्म क्या है ?
राजा का परम धर्म प्रजा का पालन करना है।
🛡 किन से शत्रुता नहीं करनी चाहिए ?
बुद्धिमान्, कुलीन, शूरवीर, धैर्यवान् व्यक्ति से शत्रुता नहीं करनी चाहिए।
🛡 क्या राजनीति का धर्म से कोई संबंध नहीं है ?
राजधर्म को ही राजनीति कहते हैं इसलिए राजनीति धर्म से अलग नहीं है।


📌 *जयतु वैदिक विज्ञान...*
*जयतु सनातन वैदिक धर्म...*

📌 *वैदिक धर्म...विश्व धर्म...*

*🙏🙏🙏 नमस्ते 🙏🙏🙏*

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