रविवार, 1 दिसंबर 2019

कुरान समीक्षा (भाग ४)- अल्लाह

संकलक 👉 शुभंकर मण्डल

कुरान में अल्लाह का स्वरूप

अल्लाह मानवाकृतीय/मानवरूपी है

मुसलमान लोग यह मानते/सोचते हैं कि उनका अल्लाह, कोई एक है जो सर्वव्यापक है, सर्वशक्तिमान है, निराकार है, अमोघ है और जिसने कुरान के माध्यम से कुछ rules पालन करने की आदेश दिया है। बहुत सारे Islamist apologists मानते हैं कि अल्लाह से बढ़कर कोई नहीं है। कुछ इस्लामिक विद्वानों ने इस्लाम के बारे में विस्तृत रूप से लिखा। They will write, extolling various features of the invisible, incomprehensible and impenetrable Allah. Imbued with utmost devotion to Allah, many Muslims, five times a day, will seek bounty and forgiveness from Him. Obviously, there is some kind of contradiction here. On one hand, while conversing loosely, they will portray the concept of Allah as someone who is unreal and ephemeral, जब वह लोग नमाज पढ़ते हैं तब वह यह सोचते हैं कि, अल्लाह to be like a real entity जिसका आंख है देखने के लिए, कान है शुनने के लिए, and has the physical means to deliver to the faithful all their requests. So, what is the correct situation—a non-physical, unreal, unseen, ephemeral Allah or a real, temporal, physical deity? कुरान, हादिस, Sirah (Muhammad’s biography) and Sharia के समीक्षा के बाद हम इस नतीजे पर पहुंचे की अल्लाह अपने हाथों से कुरान लिखा है।
  • 68:42 ➤जिस दिन पिंडली खुल जाएगी और वे सजदे के लिए बुलाए जाएँगे, तो वे (सजदा) न कर सकेंगे [1] ⇄ [1] हदीस में है कि प्रलय के दिन अल्लाह अपनी पिंडली खोलेगा तो प्रत्येक मोमिन पुरुष तथा स्त्री सजदे में गिर जायेंगे। हाँ वह शेष रह जायेंगे जो दिखावे और नाम के लिये (संसार में) सजदे किया करते थे। वह सज्दा करना चाहेंगे परन्तु उन की रीढ़ की हड्डी तख्त के समान बन जायेगी जिस के कारण उन के लिये सज्दा करना असंभव हो जायेगा। (बुख़ारीः 4919)
इससे यह प्रतीत होता है कि मनुष्य की तरह अल्लाह के भी शरीर है और विभिन्न अंग भी, जैसे कि — हाथ, पैर, आंख, कान।

➢अन्यान्य creatures की तरह अल्लाह भी एक living being
  • 20:111 चेहरे उस जीवन्त, शाश्वत सत्ता (अल्लाह) के आगे झुकें होंगे। असफल हुआ वह जिसने ज़ुल्म का बोझ उठाया।
➢अल्लाह का आंख, कान, मूंह और हाथ है
  • 42:11 ➤ वह आकाशों और धरती का पैदा करनेवाला है। उसने तुम्हारे लिए तुम्हारी अपनी सहजाति से जोड़े बनाए और चौपायों के जोड़े भी। फैला रहा है वह तुमको अपने में। उसके सदृश कोई चीज़ नहीं। वही सबकुछ सुनता, देखता है।
  • 48:10 ➤ (ऐ नबी) वे लोग जो तुमसे बैअत करते है वे तो वास्तव में अल्लाह ही से बैअत करते है। उनके हाथों के ऊपर अल्लाह का हाथ होता है। फिर जिस किसी ने वचन भंग किया तो वह वचन भंग करके उसका बवाल अपने ही सिर लेता है, किन्तु जिसने उस प्रतिज्ञा को पूरा किया जो उसने अल्लाह से की है तो उसे वह बड़ा बदला प्रदान करेगा।
  • 35:41 ➤ अल्लाह ही आकाशों और धरती को थामे हुए है कि वे टल न जाएँ और यदि वे टल जाएँ तो उसके पश्चात कोई भी नहीं जो उन्हें थाम सके। निस्संदेह, वह बहुत सहनशील, क्षमा करनेवाला है।
This verse clearly depicts the hugeness of Allah’s hand and personifies Allah’s might so much so, that only Allah has the physical strength to keep perfectly the earth in its position of rest.
  • 5:64 ➤ और यहूदी कहते है, "अल्लाह का हाथ बँध गया है।" उन्हीं के हाथ-बँधे है, और फिटकार है उनपर, उस बकबास के कारण जो वे करते है, बल्कि उसके दोनो हाथ तो खुले हुए है। वह जिस तरह चाहता है, ख़र्च करता है। जो कुछ तुम्हारे रब की ओर से तुम्हारी ओर उतारा गया है, उससे अवश्य ही उनके अधिकतर लोगों की सरकशी और इनकार ही में अभिवृद्धि होगी। और हमने उनके बीच क़ियामत तक के लिए शत्रुता और द्वेष डाल दिया है। वे जब भी युद्ध की आग भड़काते है, अल्लाह उसे बुझा देता है। वे धरती में बिगाड़ फैलाने के लिए प्रयास कर रहे है, हालाँकि अल्लाह बिगाड़ फैलानेवालों को पसन्द नहीं करता।
  • 38:75 ➤ कहा, "ऐ इबलीस! तूझे किस चीज़ ने उसको सजदा करने से रोका जिसे मैंने अपने दोनों हाथों से बनाया? क्या तूने घमंड किया, या तू कोई ऊँची हस्ती है?"
  • 39:67 ➤ उन्होंने अल्लाह की क़द्र न जानी, जैसी क़द्र उसकी जाननी चाहिए थी। हालाँकि क़ियामत के दिन सारी की सारी धरती उसकी मुट्ठी में होगी और आकाश उसके दाएँ हाथ में लिपटे हुए होंगे। महान और उच्च है वह उससे, जो वे साझी ठहराते है।
➢अल्लाह का बहुत बड़ा पैर है
  • 50:30 ➤ जिस दिन हम जहन्नम से कहेंगे, "क्या तू भर गई?" और वह कहेगी, "क्या अभी और भी कुछ है?"[1] ⇄ [1] और जब वह कहेगी कि क्या कुछ और है? तो अल्लाह उस में अपना पैर रख देगा। और वह बस-बस कहने लगेगी। (बुखारी: 4848)
➢अल्लाह मनुष्य की तरह बात करता है
  • 7:143 ➤ जब मूसा हमारे निश्चित किए हुए समय पर पहुँचा और उसके रब ने उससे बातें की, तो वह करने लगा, "मेरे रब! मुझे देखने की शक्ति प्रदान कर कि मैं तुझे देखूँ।" कहा, "तू मुझे कदापि न देख सकेगा। हाँ, पहाड़ की ओर देख। यदि वह अपने स्थान पर स्थिर रह जाए तो फिर तू मुझे देख लेगा।" अतएव जब उसका रब पहाड़ पर प्रकट हुआ तो उसे चकनाचूर कर दिया और मूसा मूर्छित होकर गिर पड़ा। फिर जब होश में आया तो कहा, "महिमा है तेरी! मैं तेरे समझ तौबा करता हूँ और सबसे पहला ईमान लानेवाला मैं हूँ।"
  • 27:9 ➤ ऐ मूसा! वह तो मैं अल्लाह हूँ, अत्यन्त प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी!
  • 27:10 ➤ तू अपनी लाठी डाल दे।" जब मूसा ने देखा कि वह बल खा रहा है जैसे वह कोई साँप हो, तो वह पीठ फेरकर भागा और पीछे मुड़कर न देखा। "ऐ मूसा! डर मत। निस्संदेह रसूल मेरे पास डरा नहीं करते,
  • 28:30 ➤ फिर जब वह वहाँ पहुँचा तो दाहिनी घाटी के किनारे से शुभ क्षेत्र में वृक्ष से आवाज़ आई, "ऐ मूसा! मैं ही अल्लाह हूँ, सारे संसार का रब!"
  • 28:31 ➤ और यह कि "डाल दे अपनी लाठी।" फिर जब उसने देखा कि वह बल खा रही है जैसे कोई साँप हो तो वह पीठ फेरकर भागा और पीछे मुड़कर भी न देखा। "ऐ मूसा! आगे आ और भय न कर। निस्संदेह तेरे लिए कोई भय की बात नहीं।
  • 79:15 ➤ क्या तुम्हें मूसा की ख़बर पहुँची है?
  • 79:16 ➤ जबकि उसके रब ने पवित्र घाटी 'तुवा' में उसे पुकारा था
How was it possible for Moses to hear Allah’s voice if Allah did not use the same language as a human would to communicate verbally with Moses?
 
 
कुरान में अल्लाह का स्वरूप


➢अल्लाह से मिलने के लिए non-jihaditst मुसलमान को कियामत के दिन तक इन्तजार करना पड़ेगा
  • 89:22 ➤ और तुम्हारा रब और फ़रिश्ता (बन्दों की) एक-एक पंक्ति के पास आएगा,
  • 33:44 ➤ जिस दिन वे उससे मिलेंगे उनका अभिवादन होगा, सलाम और उनके लिए प्रतिष्ठामय प्रदान तैयार कर रखा है।
  • 40:16 ➤ जिस दिन वे खुले रूप में सामने उपस्थित होंगे, उनकी कोई चीज़ अल्लाह से छिपी न रहेगी, "आज किसकी बादशाही है?" "अल्लाह की, जो अकेला सबपर क़ाबू रखनेवाला है।"
Please reflect on verse 40:16: who do you think is talking here—Allah or Muhammad?

➢अल्लाह एक security guard कि तरह मुहम्मद, और अन्यान्य पैगम्बर को देखता है 
  • 26:218 ➤ जो तुम्हें देख रहा होता है, जब तुम खड़े होते हो।
  • 26:219 ➤ और सजदा करनेवालों में तुम्हारे चलत-फिरत को भी वह देखता है।
  • 26:220 ➤ निस्संदेह वह भली-भाँति सुनता-जानता है।
Those few verses will give us the impression that Allah really lives above us and glances over all His creations—similar to the astronauts in an orbit who, from their windows of their spacecraft, glance on the mother planet (earth).

➢अल्लाह ने रहने के लिए मक्का decide किया जब मुहम्मद मक्का में थे
  • 27:91 ➤ मुझे तो बस यही आदेश मिला है कि इस नगर (मक्का) के रब की बन्दगी करूँ, जिसने इस आदरणीय ठहराया और उसी की हर चीज़ है। और मुझे आदेश मिला है कि मैं आज्ञाकारी बनकर रहूँ
  • 2:158 ➤ निस्संदेह सफ़ा और मरवा अल्लाह की विशेष निशानियों में से हैं; अतः जो इस घर (काबा) का हज या उमपा करे, उसके लिए इसमें कोई दोष नहीं कि वह इन दोनों (पहाडियों) के बीच फेरा लगाए। और जो कोई स्वेच्छा और रुचि से कोई भलाई का कार्य करे तो अल्लाह भी गुणग्राहक, सर्वज्ञ है।
  • 106:1 ➤ कितना है क़ुरैश को लगाए और परचाए रखना,
  • 106:2 ➤ लगाए और परचाए रखना उन्हें जाड़े और गर्मी की यात्रा से
  • 106:3 ➤ अतः उन्हें चाहिए कि इस घर (काबा) के रब की बन्दगी करे,
➢अल्लाह cave में रहा करते थे Moses' के समय में
अल्लाह मुहम्मद को मक्का भेजने से पहले कहां थे?
  • अन-नम्ल (An-Naml):8 ➤ फिर जब वह उसके पास पहुँचा तो उसे आवाज़ आई कि "मुबारक है वह जो इस आग में है और जो इसके आस-पास है। महान और उच्च है अल्लाह, सारे संसार का रब!
  • अल-कसस (Al-Qasas):44 ➤ तुम तो (नगर के) पश्चिमी किनारे पर नहीं थे, जब हमने मूसा को बात की निर्णित सूचना दी थी, और न तुम गवाहों में से थे।
➢अल्लाह देश/गांव विध्वंसक है
  • 28:59 ➤ तेरा रब तो बस्तियों को विनष्ट करनेवाला नहीं जब तक कि उनकी केन्द्रीय बस्ती में कोई रसूल न भेज दे, जो हमारी आयतें सुनाए। और हम बस्तियों को विनष्ट करनेवाले नहीं सिवाय इस स्थिति के कि वहाँ के रहनेवाले ज़ालिम हों।
  • 42:7 ➤ और (जैसे हम स्पष्ट आयतें उतारते है) उसी प्रकार हमने तुम्हारी ओर एक अरबी क़ुरआन की प्रकाशना की है, ताकि तुम बस्तियों के केन्द्र (मक्का) को और जो लोग उसके चतुर्दिक है उनको सचेत कर दो और सचेत करो इकट्ठा होने के दिन से, जिसमें कोई सन्देह नहीं। एक गिरोह जन्नत में होगा और एक गिरोह भड़कती आग में।
आजकल भी अल्लाह की नजर बड़े बड़े शहरों में है। क्योंकि वह अपने सैनिकों को भेजते हैं बड़े बड़े शहरों में जैसे कि New York, London, Madrid, Istanbul, Delhi, Baransi, Dhaka आदि शहरों में इस्लामिकरण करने के लिए।

 
➢अल्लाह एक राजा है
  • 67:1 ➤ बड़ा बरकतवाला है वह जिसके हाथ में सारी बादशाही है और वह हर चीज़ की सामर्थ्य रखता है।
➢मक्का के काफ़िर अल्लाह को अच्छी तरह से जानता था
  • 23:83 ➤ यह वादा तो हमसे और इससे पहले हमारे बाप-दादा से होता आ रहा है। कुछ नहीं, यह तो बस अगलों की कहानियाँ है।"
  • 23:84 ➤ कहो, "यह धरती और जो भी इसमें आबाद है, वे किसके है, बताओ यदि तुम जानते हो?"
  • 23:85 ➤ वे बोल पड़ेगे, "अल्लाह के!" कहो, "फिर तुम होश में क्यों नहीं आते?"
  • 23:88 ➤ कहो, "हर चीज़ की बादशाही किसके हाथ में है, वह जो शरण देता है औऱ जिसके मुक़ाबले में कोई शरण नहीं मिल सकती, बताओ यजि तुम जानते हो?"
  • 23:89 ➤ वे बोल पड़ेगे, "अल्लाह की।" कहो, "फिर कहाँ से तुमपर जादू चल जाता है?"
➢काफिरों सोचते थे कि फ़रिस्ते female है और अल्लाह की बेटीयां है
  • 37:149 ➤ अब उनसे पूछो, "क्या तुम्हारे रब के लिए तो बेटियाँ हों और उनके अपने लिए बेटे?
  • 37:150 ➤ क्या हमने फ़रिश्तों को औरतें बनाया और यह उनकी आँखों देखी बात हैं?"
  • 43:9 ➤ यदि तुम उनसे पूछो कि "आकाशों और धरती को किसने पैदा किया?" तो वे अवश्य कहेंगे, "उन्हें अत्यन्त प्रभुत्वशाली, सर्वज्ञ सत्ता ने पैदा किया।"
  • 43:20 ➤ वे कहते है कि "यदि रहमान चाहता तो हम उन्हें न पूजते।" उन्हें इसका कुछ ज्ञान नहीं। वे तो बस अटकल दौड़ाते है।
  • 43:87 ➤ यदि तुम उनसे पूछो कि "उन्हें किसने पैदा किया?" तो वे अवश्य कहेंगे, "अल्लाह ने।" तो फिर वे कहाँ उलटे फिर जाते है?
  • 29:61 ➤ और यदि तुम उनसे पूछो कि "किसने आकाशों और धरती को पैदा किया और सूर्य और चन्द्रमा को काम में लगाया?" तो वे बोल पड़ेगे, "अल्लाह ने!" फिर वे किधर उलटे फिरे जाते है?
  • 29:62 ➤ अल्लाह अपने बन्दों में से जिसके लिए चाहता है आजीविका विस्तीर्ण कर देता है और जिसके लिए चाहता है नपी-तुली कर देता है। निस्संदेह अल्लाह हरेक चीज़ को भली-भाँति जानता है।
  • 29:63 ➤ और यदि तुम उनसे पूछो कि "किसने आकाश से पानी बरसाया; फिर उसके द्वारा धरती को उसके मुर्दा हो जाने के पश्चात जीवित किया?" तो वे बोल पड़ेंगे, "अल्लाह ने!" कहो, "सारी प्रशंसा अल्लाह ही के लिए है।" किन्तु उनमें से अधिकतर बुद्धि से काम नहीं लेते।
  • 29:64 ➤ और यह सांसारिक जीवन तो केवल दिल का बहलावा और खेल है। निस्संदेह पश्चात्वर्ती घर (का जीवन) ही वास्तविक जीवन है। क्या ही अच्छा होता कि वे जानते!
  • 29:65 ➤ जब वे नौका में सवार होते है तो वे अल्लाह को उसके दीन (आज्ञापालन) के लिए निष्ठा वान होकर पुकारते है। किन्तु जब वह उन्हें बचाकर शु्ष्क भूमि तक ले आता है तो क्या देखते है कि वे लगे (अल्लाह का साथ) साझी ठहराने।
  • 39:38 ➤ यदि तुम उनसे पूछो कि "आकाशों और धरती को किसने पैदा किया?" को वे अवश्य कहेंगे, "अल्लाह ने।" कहो, "तुम्हारा क्या विचार है? यदि अल्लाह मुझे कोई तकलीफ़ पहुँचानी चाहे तो क्या अल्लाह से हटकर जिनको तुम पुकारते हो वे उसकी पहुँचाई हुई तकलीफ़ को दूर कर सकते है? या वह मुझपर कोई दयालुता दर्शानी चाहे तो क्या वे उसकी दयालुता को रोक सकते है?" कह दो, "मेरे लिए अल्लाह काफ़ी है। भरोसा करनेवाले उसी पर भरोसा करते है।"
➢अल्लाह खुद को पूज्य मानने में पसंद करता है (अल्लाह:– कभी कभी तो लगता है अपुन ही पूज्य है 😎🤓)
  • 2:163 ➤ तुम्हारा पूज्य-प्रभु अकेला पूज्य-प्रभु है, उस कृपाशील और दयावान के अतिरिक्त कोई पूज्य-प्रभु नहीं।
  • 43:84 ➤ वही है जो आकाशों में भी पूज्य है और धरती में भी पूज्य है और वह तत्वदर्शी, सर्वज्ञ है।
➢अल्लाह challenges पसंद नहीं करते
  • 10:38 ➤ (क्या उन्हें कोई खटक है) या वे कहते है, "इस व्यक्ति (पैग़म्बर) ने उसे स्वयं ही घड़ लिया है?" कहो, "यदि तुम सच्चे हो, तो इस जैसी एक सुरा ले आओ और अल्लाह से हटकर उसे बुला लो, जिसपर तुम्हारा बस चले।"
  • 11:13 ➤ (उन्हें कोई शंका है) या वे कहते है कि "उसने इसे स्वयं घड़ लिया है?" कह दो, "अच्छा, यदि तुम सच्चे हो तो इस जैसी घड़ी हुई दस सूरतें ले आओ और अल्लाह से हटकर जिस किसी को बुला सकते हो बुला लो।"
  • 28:49 ➤ कहो, "अच्छा तो लाओ अल्लाह के यहाँ से कोई ऐसी किताब, जो इन दोनों से बढ़कर मार्गदर्शन करनेवाली हो कि मैं उसका अनुसरण करूँ, यदि तुम सच्चे हो?"
  • 22:51 ➤ किन्तु जिन लोगों ने हमारी आयतों को नीचा दिखाने की कोशिश की, वही भड़कती आगवाले है।
  • 29:29 ➤ क्या तुम पुरुषों के पास जाते हो और बटमारी करते हो औऱ अपनी मजलिस में बुरा कर्म करते हो?" फिर उसकी क़ौम के लोगों का उत्तर बस यही था कि उन्होंने कहा, "ले आ हमपर अल्लाह की यातना, यदि तू सच्चा है।"
  • 34:5 ➤ "रहे वे लोग जिन्होंने हमारी आयतों को मात करने का प्रयास किया, वह है जिनके लिए बहुत ही बुरे प्रकार की दुखद यातना है।"
  • 34:38 ➤ रहे वे लोग जो हमारी आयतों को मात करने के लिए प्रयासरत है, वे लाकर यातनाग्रस्त किए जाएँगे
  • 51:14 ➤ "चखों मज़ा. अपने फ़ितने (उपद्रव) का! यहीं है जिसके लिए तुम जल्दी मचा रहे थे।"
कुरान समीक्षा (भाग ४)
Allah’s love for the blind believers knows no bound. Previously, we saw how much Allah hates those people who challenge Him intellectually and question about Him. Demanding unflinching devotion, allegiance and faithfulness, Allah promises His admiration and the garden of Paradise for such absolute blind followers of Islam. Let us read a few verses from the Quranwhich demonstrate Allah’s passionate love for His blind, ardent believers.

 
➢अल्लाह के प्रति जो अन्धविश्वास करते हैं, वह अल्लाह को अच्छा लगता है
  • 50:31 ➤ और जन्नत डर रखनेवालों के लिए निकट कर दी गई, कुछ भी दूर न रही।
  • 50:32 ➤ "यह है वह चीज़ जिसका तुमसे वादा किया जाता था हर रुजू करनेवाले, बड़ी निगरानी रखनेवाले के लिए;
  • 50:33 ➤ "जो रहमान से डरा परोक्ष में और आया रुजू रहनेवाला हृदय लेकर।
To be rewarded with fabulous richness of Paradise a believer must fear Allah, even though He is unseen. The believer must, without any hesitancy or doubt, obey Allah and His dearest companion Muhammad.
  • 67:12 ➤ जो लोग परोक्ष में रहते हुए अपने रब से डरते है, उनके लिए क्षमा और बड़ा बदला है।
  • 24:51 ➤ मोमिनों की बात तो बस यह होती है कि जब अल्लाह और उसके रसूल की ओर बुलाए जाएँ, ताकि वह उनके बीच फ़ैसला करे, तो वे कहें, "हमने सुना और आज्ञापालन किया।" और वही सफलता प्राप्त करनेवाले हैं।
➢अल्लाह के विषय में कोई भी प्रश्न अल्लाह को अच्छा नहीं लगता
  • 5:101 ➤ ऐ ईमान लानेवालो! ऐसी चीज़ों के विषय में न पूछो कि वे यदि तुम पर स्पष्ट कर दी जाएँ, तो तुम्हें बूरी लगें। यदि तुम उन्हें ऐसे समय में पूछोगे, जबकि क़ुरआन अवतरित हो रहा है, तो वे तुमपर स्पष्ट कर दी जाएँगी। अल्लाह ने उसे क्षमा कर दिया। अल्लाह बहुत क्षमा करनेवाला, सहनशील है।
  • 5:102 ➤ तुमसे पहले कुछ लोग इस तरह के प्रश्न कर चुके हैं, फिर वे उसके कारण इनकार करनेवाले हो गए।
  • 2:23 ➤ और अगर उसके विषय में जो हमने अपने बन्दे पर उतारा हैं, तुम किसी सन्देह में न हो तो उस जैसी कोई सूरा ले आओ और अल्लाह से हटकर अपने सहायकों को बुला लो जिनके आ मौजूद होने पर तुम्हें विश्वास हैं, यदि तुम सच्चे हो।
  • 36:78 ➤ और उसने हमपर फबती कसी और अपनी पैदाइश को भूल गया। कहता है, "कौन हड्डियों में जान डालेगा, जबकि वे जीर्ण-शीर्ण हो चुकी होंगी?"
  • 53:59 ➤ अब क्या तुम इस वाणी पर आश्चर्य करते हो;
  • 53:60 ➤ और हँसते हो और रोते नहीं?
  • 53:61 ➤ जबकि तुम घमंडी और ग़ाफिल हो।
  • 53:62 ➤ अतः अल्लाह को सजदा करो और बन्दगी करो।
  • 75:5 ➤ बल्कि मनुष्य चाहता है कि अपने आगे ढिठाई करता रहे।
  • 75:6 ➤ पूछता है, "आख़िर क़ियामत का दिन कब आएगा?"
➢अल्लाह उन मुसलमानों को पसंद करता है जो अपने पत्नीको प्रहार करते हैं
Here is the verse from the Quran which permits a Muslim husband to beat his wife/wives whenever he wished to do so. In this verse the reason why Allah allowed men to beat their wives is also provided. It is because the men are the owners of their women (wives and sex–slaves).
  • 4:34 ➤ पति पत्नियों संरक्षक और निगराँ है, क्योंकि अल्लाह ने उनमें से कुछ को कुछ के मुक़ाबले में आगे रहा है, और इसलिए भी कि पतियों ने अपने माल ख़र्च किए है, तो नेक पत्ऩियाँ तो आज्ञापालन करनेवाली होती है और गुप्त बातों की रक्षा करती है, क्योंकि अल्लाह ने उनकी रक्षा की है। और जो पत्नियों ऐसी हो जिनकी सरकशी का तुम्हें भय हो, उन्हें समझाओ और बिस्तरों में उन्हें अकेली छोड़ दो और (अति आवश्यक हो तो) उन्हें मारो भी। फिर यदि वे तुम्हारी बात मानने लगे, तो उनके विरुद्ध कोई रास्ता न ढूढ़ो। अल्लाह सबसे उच्च, सबसे बड़ा है।
  • 38:41 ➤ हमारे बन्दे अय्यूब को भी याद करो, जब उसने अपने रब को पुकारा कि "शैतान ने मुझे दुख और पीड़ा पहुँचा रखी है।"
  • 38:42 ➤ "अपना पाँव (धरती पर) मार, यह है ठंडा (पानी) नहाने को और पीने को।"
  • 38:43 ➤ और हमने उसे उसके परिजन दिए और उनके साथ वैसे ही और भी; अपनी ओर से दयालुता के रूप में और बुद्धि और समझ रखनेवालों के लिए शिक्षा के रूप में।
  • 38:44 ➤ "और अपने हाथ में तिनकों का एक मुट्ठा ले और उससे मार और अपनी क़सम न तोड़।" निश्चय ही हमने उसे धैर्यवान पाया, क्या ही अच्छा बन्दा! निस्संदेह वह बड़ा ही रुजू रहनेवाला था।
 
➢अल्लाह को स्वधर्मत्यागीयोंको मारना अच्छा लगता है
  • 4:89 ➤ वे तो चाहते है कि जिस प्रकार वे स्वयं अधर्मी है, उसी प्रकार तुम भी अधर्मी बनकर उन जैसे हो जाओ; तो तुम उनमें से अपने मित्र न बनाओ, जब तक कि वे अल्लाह के मार्ग में घरबार न छोड़े। फिर यदि वे इससे पीठ फेरें तो उन्हें पकड़ो, और उन्हें क़त्ल करो जहाँ कही भी उन्हें पाओ - तो उनमें से किसी को न अपना मित्र बनाना और न सहायक।
  • 9:12 ➤ और यदि अपने अभिवचन के पश्चात वे अपनी क़समॊं कॊ तॊड़ डालॆं और तुम्हारॆ दीन (धर्म) पर चॊटें करनॆ लगॆं, तॊ फिर कुफ़्र (अधर्म) कॆ सरदारों सॆ युद्ध करॊ, उनकी क़समॆं कुछ नहीं, ताकि वॆ बाज़ आ जाऐं।
  • 33:15 ➤ यद्यपि वे इससे पहले अल्लाह को वचन दे चुके थे कि वे पीठ न फेरेंगे, और अल्लाह से की गई प्रतिज्ञा के विषय में तो पूछा जाना ही है।
  • 33:16 ➤ कह दो, "यदि तुम मृत्यु और मारे जाने से भागो भी तो यह भागना तुम्हारे लिए कदापि लाभप्रद न होगा। और इस हालत में भी तुम सुख थोड़े ही प्राप्त कर सकोगे।"
  • 33:60 ➤ यदि कपटाचारी और वे लोग जिनके दिलों में रोग है और मदीना में खलबली पैदा करनेवाली अफ़वाहें फैलाने से बाज़ न आएँ तो हम तुम्हें उनके विरुद्ध उभार खड़ा करेंगे। फिर वे उसमें तुम्हारे साथ थोड़ा ही रहने पाएँगे,
  • 33:61 ➤ फिटकारे हुए होंगे। जहाँ कही पाए गए पकड़े जाएँगे और बुरी तरह जान से मारे जाएँगे।
  • 42:16 ➤ जो लोग अल्लाह के विषय में झगड़ते है, इसके पश्चात कि उसकी पुकार स्वीकार कर ली गई, उनका झगड़ना उनके रब की स्पष्ट में बिलकुल न ठहरनेवाला (असत्य) है। प्रकोप है उनपर और उनके लिए कड़ी यातना है।
➢अल्लाह राजसिंहासन पर बैठे हैं और पृथ्वी में सबकुछ देख रहे हैं और manage कर रहे हैं
In many verses of the Quran Allah manifestly declares that He does indeed have a huge executive office. He admits that after the creation of the Heavens and the Earth Hewalked to sit on his executive chair—His Throne to be precise. Allah even discloses the location of his throne: it is above the seventh heaven. Sitting on this ponderous Throne He looks at the earth and the earthlings. Here are a few verses which will leave no doubt that Allah manages His affairs from His Executive Office.
  • 10:3 ➤ निस्संदेह तुम्हारा रब वही अल्लाह है, जिसने आकाशों और धरती को छः दिनों में पैदा किया, फिर सिंहासन पर विराजमान होकर व्यवस्था चला रहा है। उसकी अनुज्ञा के बिना कोई सिफ़ारिश करनेवाला भी नहीं है। वह अल्लाह है तुम्हारा रब। अतः उसी की बन्दगी करो। तो क्या तुम ध्यान न दोगे?
  • 13:2 ➤ अल्लाह वह है जिसने आकाशों को बिना सहारे के ऊँचा बनाया जैसा कि तुम उन्हें देखते हो। फिर वह सिंहासन पर आसीन हुआ। उसने सूर्य और चन्द्रमा को काम पर लगाया। हरेक एक नियत समय तक के लिए चला जा रहा है। वह सारे काम का विधान कर रहा है; वह निशानियाँ खोल-खोलकर बयान करता है, ताकि तुम्हें अपने रब से मिलने का विश्वास हो।
  • 20:5 ➤ वह रहमान है, जो राजासन पर विराजमान हुआ।
  • 23:86 ➤ कहो, "सातों आकाशों का मालिक और महान राजासन का स्वामीकौन है?"
  • 85:14 ➤ वह बड़ा क्षमाशील, बहुत प्रेम करनेवाला है,
  • 85:15 ➤ सिंहासन का स्वामी है, बडा गौरवशाली,

➢अल्ल्लाह एक अभिलेखपाल है, जो एक पुस्तक में सबकुछ record रखता है, और तलाक़ का भी
Allah is a meticulous record-keeper, make no mistake on this. This means Allah has a huge database from which He easily digs up the records of every person on earth including those who had died and those who are yet to be born. In reality, Allah is so obsessed with the book-keeping of his slaves (I mean, humans), that He particularly records all Islamic divorces. Presumably, records of all legal and illegal sexual activities (such as boy-friend, girl-friend, fornication and adultery) must also be there, for, Allah is very particular about sex matters. Why should Allah be so concerned about His data collection when He could easily do just like that—in a jiffy, whatever He wished? The answer is: Allah is actually a cunning, conniving and unscrupulous swift plotter. He actually plots to foil the conspiracy of those who plan to topple Him or His ardent friend Muhammad. This means, Allah’s claim that He is almighty, most powerful; all knower is actually quite hollow–just fib. This should not surprise us at all. We had learnt previously that Allah allows Muslims to tell lies. So, why should not Allah, Himself tell lies? This is very much logical: if the father teaches his son to be a liar then him (the father) must be a liar too.
  • 2:226 ➤ जो लोग अपनी स्त्रियों से अलग रहने की क़सम खा बैठें, उनके लिए चार महीने की प्रतिक्षा है। फिर यदि वे पलट आएँ, तो अल्लाह अत्यन्त क्षमाशील, दयावान है।
  • 2:227 ➤ और यदि वे तलाक़ ही की ठान लें, तो अल्लाह भी सुननेवाला भली-भाँति जाननेवाला है।
  • 10:21 ➤ जब हम लोगों को उनके किसी तकलीफ़ में पड़ने के पश्चात दयालुता का रसास्वादन कराते है तो वे हमारी आयतों के विषय में चालबाज़ियाँ करने लग जाते है। कह दो, "अल्लाह की चाल ज़्यादा तेज़ है।" निस्संदेह, जो चालबाजियाँ तुम कर रहे हो, हमारे भेजे हुए (फ़रिश्ते) उनको लिखते जा रहे है।
  • 11:112 ➤ अतः जैसा तुम्हें आदेश हुआ है, जमें रहो और तुम्हारे साथ के तौबा करनेवाले भी जमें रहें, और सीमोल्लंघन न करना। जो कुछ भी तुम करते हो, निश्चय ही वह उसे देख रहा है।
  • 17:14 ➤ "पढ़ ले अपनी किताब (कर्मपत्र)! आज तू स्वयं ही अपना हिसाब लेने के लिए काफ़ी है।"
  • 17:71 ➤ (उस दिन से डरो) जिस दिन हम मानव के प्रत्येक गिरोह को उसके अपने नायक के साथ बुलाएँगे। फिर जिसे उसका कर्मपत्र उसके दाहिने हाथ में दिया गया, तो ऐसे लोग अपना कर्मपत्र पढ़ेंगे और उनके साथ तनिक भी अन्याय न होगा।
  • 18:49 ➤ किताब (कर्मपत्रिका) रखी जाएगी तो अपराधियों को देखोंगे कि जो कुछ उसमें होगा उससे डर रहे है और कह रहे है, "हाय, हमारा दुर्भाग्य! यह कैसी किताब है कि यह न कोई छोटी बात छोड़ती है न बड़ी, बल्कि सभी को इसने अपने अन्दर समाहित कर रखा है।" जो कुछ उन्होंने किया होगा सब मौजूद पाएँगे। तुम्हारा रब किसी पर ज़ुल्म न करेगा।
  • 19:94 ➤ उसने उनका आकलन कर रखा है और उन्हें अच्छी तरह गिन रखा है।
  • 21:94 ➤ फिर जो अच्छे कर्म करेगा, शर्त या कि वह मोमिन हो, तो उसके प्रयास की उपेक्षा न होगी। हम तो उसके लिए उसे लिख रहे है।
  • 22:70 ➤ क्या तुम्हें नहीं मालूम कि अल्लाह जानता है जो कुछ आकाश और धरती मैं हैं? निश्चय ही वह (लोगों का कर्म) एक किताब में अंकित है। निस्संदेह वह (फ़ैसला करना) अल्लाह के लिए अत्यन्त सरल है।
  • 78:29 ➤ और हमने हर चीज़ लिखकर गिन रखी है।
  • 81:14 ➤ तो कोई भी क्यक्ति जान लेगा कि उसने क्या उपस्थित किया है।
  • 83:7 ➤ कुछ नहीं, निश्चय ही दुराचारियों का काग़ज 'सिज्जीन' में है।
  • 83:8 ➤ तुम्हें क्या मालूम कि 'सिज्जीन' क्या हैं?
  • 83:9 ➤ मुहर लगा हुआ काग़ज।
  • 83:18 ➤ कुछ नही, निस्संदेह वफ़ादार लोगों का काग़ज़ 'इल्लीयीन' (उच्च श्रेणी के लोगों) में है।
  • 83:19 ➤ और तुम क्या जानो कि 'इल्लीयीन' क्या है?
  • 83:20 ➤ लिखा हुआ रजिस्टर।
  • 83:21 ➤ जिसे देखने के लिए सामीप्य प्राप्त लोग उपस्थित होंगे,
  • 84:7 ➤ फिर जिस किसी को उसका कर्म-पत्र उसके दाहिने हाथ में दिया गया,
  • 84:8 ➤ तो उससे आसान, सरसरी हिसाब लिया जाएगा।
  • 84:9 ➤ और वह अपने लोगों की ओर ख़ुश-ख़ुश पलटेगा।
  • 84:10 ➤ और रह वह व्यक्ति जिसका कर्म-पत्र (उसके बाएँ हाथ में) उसकी पीठ के पीछे से दिया गया,
  • 84:11 ➤ तो वह विनाश (मृत्यु) को पुकारेगा,
  • 84:12 ➤ और दहकती आग में जा पड़ेगा।
In the following verses Allah provides some clue as to why He is so thorough with His database. He has graded the Paradise into three classes. The highest grade is reserved for the jihadists (suicide bombers, kaffir killers, Murtad hunters, cyber jihadists, Islamic writers, imams, muezzins …and so on). Next will be Muslims from the first generation of Muslims (i.e. Muhammad’s time). The third group will the Muslims from other generation. In the same manner, Allah also has divided the denizens of Hell into two classes.

Here are the Quranic verses which grades paradise. 
Class 3: 
  •  56:10 ➤ और आगे बढ़ जानेवाले तो आगे बढ़ जानेवाले ही है।
  • 56:11 ➤ वही (अल्लाह के) निकटवर्ती है;
  • 56:12 ➤ नेमत भरी जन्नतों में होंगे;
  • 56:14 ➤ किन्तु पिछलों में से कम ही।
  • 56:38 ➤ सौभाग्यशाली लोगों के लिए;
  • 56:39 ➤ वे अगलों में से भी अधिक होगे।
  • 56:40 ➤ और पिछलों में से भी अधिक होंगे।
  • 69:19 ➤ फिर जिस किसी को उसका कर्म-पत्र उसके दाहिने हाथ में दिया गया, तो वह कहेगा, "लो पढ़ो, मेरा कर्म-पत्र!
  • 69:20 ➤ "मैं तो समझता ही था कि मुझे अपना हिसाब मिलनेवाला है।"
  • 69:21 ➤ अतः वह सुख और आनन्दमय जीवन में होगा;
Class 2 (upper paradise, reserved for Muhammad’s generation):
  • 56:15 ➤ जड़ित तख़्तो पर;
  • 56:16 ➤ तकिया लगाए आमने-सामने होंगे;
  • 56:17 ➤ उनके पास किशोर होंगे जो सदैव किशोरावस्था ही में रहेंगे,
  • 56:18 ➤ प्याले और आफ़ताबे (जग) और विशुद्ध पेय से भरा हुआ पात्र लिए फिर रहे होंगे।
  • 56:19 ➤ जिस (के पीने) से न तो उन्हें सिर दर्द होगा और न उनकी बुद्धि में विकार आएगा।
  • 56:20 ➤ और स्वादिष्ट॥ फल जो वे पसन्द करें;
  • 56:21 ➤ और पक्षी का मांस जो वे चाह;
  • 56:22 ➤ और बड़ी आँखोंवाली हूरें,
  • 56:23 ➤ मानो छिपाए हुए मोती हो।
  • 56:24 ➤ यह सब उसके बदले में उन्हें प्राप्त होगा जो कुछ वे करते रहे।
  • 56:25 ➤ उसमें वे न कोई व्यर्थ बात सुनेंगे और न गुनाह की बात;
  • 56:26 ➤ सिवाय इस बात के कि "सलाम हो, सलाम हो!"
Class 1(lower paradise, Muslims of later generation):
  • 56:27 ➤ रहे सौभाग्यशाली लोग, तो सौभाग्यशालियों का क्या कहना!
  • 56:28 ➤ वे वहाँ होंगे जहाँ बिन काँटों के बेर होंगे;
  • 56:29 ➤ और गुच्छेदार केले;
  • 56:30 ➤ दूर तक फैली हुई छाँव;
  • 56:31 ➤ बहता हुआ पानी;
  • 56:32 ➤ बहुत-सा स्वादिष्ट; फल,
  • 56:33 ➤ जिसका सिलसिला टूटनेवाला न होगा और न उसपर कोई रोक-टोक होगी।
  • 56:34 ➤ उच्चकोटि के बिछौने होंगे;
  • 56:35 ➤ (और वहाँ उनकी पत्नियों को) निश्चय ही हमने एक विशेष उठान पर उठान पर उठाया।
  • 56:36 ➤ और हमने उन्हे कुँवारियाँ बनाया;
  • 56:37 ➤ प्रेम दर्शानेवाली और समायु;
And here is how Allah will use His database to sort out the denizens of hell:
  • 56:41 ➤ रहे दुर्भाग्यशाली लोग, तो कैसे होंगे दुर्भाग्यशाली लोग!
  • 56:42 ➤ गर्म हवा और खौलते हुए पानी में होंगे;
  • 56:43 ➤ और काले धुएँ की छाँव में,
  • 56:44 ➤ जो न ठंडी होगी और न उत्तम और लाभप्रद।
  • 56:45 ➤ वे इससे पहले सुख-सम्पन्न थे;
  • 56:46 ➤ और बड़े गुनाह पर अड़े रहते थे।
  • 56:47 ➤ कहते थे, "क्या जब हम मर जाएँगे और मिट्टी और हड्डियाँ होकर रहे जाएँगे, तो क्या हम वास्तव में उठाए जाएँगे?
  • 56:48 ➤ "और क्या हमारे पहले के बाप-दादा भी?"
  • 69:19 ➤ फिर जिस किसी को उसका कर्म-पत्र उसके दाहिने हाथ में दिया गया, तो वह कहेगा, "लो पढ़ो, मेरा कर्म-पत्र!
  • 69:20 ➤ "मैं तो समझता ही था कि मुझे अपना हिसाब मिलनेवाला है।"
  • 69:21 ➤ अतः वह सुख और आनन्दमय जीवन में होगा;
  • 69:25 ➤ और रहा वह क्यक्ति जिसका कर्म-पत्र उसके बाएँ हाथ में दिया गया, वह कहेगा, "काश, मेरा कर्म-पत्र मुझे न दिया जाता।
  • 69:26 ➤ और मैं न जानता कि मेरा हिसाब क्या है!
  • 69:27 ➤ "ऐ काश, वह (मृत्यु) समाप्त करनेवाली होती!
  • 69:28 ➤ "मेरा माल मेरे कुछ काम न आया,
  • 69:29 ➤ "मेरा ज़ोर (सत्ता) मुझसे जाता रहा!"
  • 69:30 ➤ "पकड़ो उसे और उसकी गरदन में तौक़ डाल दो,
  • 69:31 ➤ "फिर उसे भड़कती हुई आग में झोंक दो,
  • 69:32 ➤ "फिर उसे एक ऐसी जंजीर में जकड़ दो जिसकी माप सत्तर हाथ है।
  • 83:19 ➤ और तुम क्या जानो कि 'इल्लीयीन' क्या है?
  • 83:20 ➤ लिखा हुआ रजिस्टर
  • 83:21 ➤ जिसे देखने के लिए सामीप्य प्राप्त लोग उपस्थित होंगे,
 
➢अल्लाह का खुद का official seal है
Just like any rulers, Allah has His own royal seal or stamp or official insignia. His seal is etched on baked clay. In fact, to confirm this, Allah inflicted with might a severe punishment to the citizens of Sodom and Gomorrah. He incessantly bombarded them with fiery baked-clay lumps bearing the official seal of Allah.
  • 11:82 ➤ फिर जब हमारा आदेश आ पहुँचा तो हमने उसको तलपट कर दिया और उसपर ककरीले पत्थर ताबड़-तोड़ बरसाए,
  • 11:83 ➤ जो तुम्हारे रब के यहाँ चिन्हित थे। और वे अत्याचारियों से कुछ दूर भी नहीं।
➢अल्लाह खुद के हाथों से कानून लिखा है
Those experts of Islam who claim that Allah’s hands, nose, ears, eyes…and so on are just symbolic, figurative and should not be taken as physical, must be telling flat lies. In the following verse, Allah unabashedly admits that He uses His own hands to write His Books, especially the Books on Law. He tells us that He personally wrote, with His own hands, the tablet on which He wrote the Mosaic laws
  • 7:145 ➤ और हमने उसके लिए तख़्तियों पर उपदेश के रूप में हर चीज़ और हर चीज़ का विस्तृत वर्णन लिख दिया। अतः उनको मज़बूती से पकड़। उनमें उत्तम बातें है। अपनी क़ौम के लोगों को हुक्म दे कि वे उनको अपनाएँ। मैं शीघ्र ही तुम्हें अवज्ञाकारियों का घर दिखाऊँगा।
➢अल्लाह अपने executive office में मनुष्य का विचार करने के लिए balance करता है
  • 23:101 ➤ फिर जब सूर (नरसिंघा) में फूँक मारी जाएगी तो उस दिन उनके बीच रिश्ते-नाते शेष न रहेंगे, और न वे एक-दूसरे को पूछेंगे।
  • 23:102 ➤ फिर जिनके पलड़े भारी हुए तॊ वही हैं जो सफल।
Allah gets sadistic satisfaction by feeding infidels with the fruit of Zaqqum tree. Here are a few verses which say how much satisfaction Allah derives by feeding the infidels with the bitter fruit of the Zaqqum tree.
  • 37:62 ➤ क्या वह आतिथ्य अच्छा है या 'ज़क़्क़ूम' का वृक्ष?
  • 37:63 ➤ निश्चय ही हमने उस (वृक्ष) को ज़ालिमों के लिए परीक्षा बना दिया है।
  • 37:64 ➤ वह एक वृक्ष है जो भड़कती हुई आग की तह से निकलता है।
  • 37:65 ➤ उसके गाभे मानो शैतानों के सिर (साँपों के फन) है।
  • 37:66 ➤ तो वे उसे खाएँगे और उसी से पेट भरेंगे।
  • 44:43 ➤ निस्संदेह ज़क़्क़ूम का वृक्ष।
  • 44:44 ➤ गुनहगार का भोजन होगा,
  • 56:52 ➤ ज़क्कूम के वृक्ष में से खाओंगे;
  • 42:27 ➤ यदि अल्लाह अपने बन्दों के लिए रोज़ी कुशादा कर देता तो वे धरती में सरकशी करने लगते। किन्तु वह एक अंदाज़े के साथ जो चाहता है, उतारता है। निस्संदेह वह अपने बन्दों की ख़बर रखनेवाला है। वह उनपर निगाह रखता है।
 
➢अल्लाह आसानी से क्षमा नहीं करता
कुरान समीक्षा (भाग ४)
  • 9:114 ➤ इबराहीम ने अपने बाप के लिए जो क्षमा की प्रार्थना की थी, वह तो केवल एक वादे के कारण की थी, जो वादा वह उससे कर चुका था। फिर जब उसपर यह बात खुल गई कि वह अल्लाह का शत्रु है तो वह उससे विरक्त हो गया। वास्तव में, इबराहीम बड़ा ही कोमल हृदय, अत्यन्त सहनशील था।
  • 28:56 ➤ तुम जिसे चाहो राह पर नहीं ला सकते, किन्तु अल्लाह जिसे चाहता है राह दिखाता है, और वही राह पानेवालों को भली-भाँति जानता है।
  • 19:47 ➤ कहा, "सलाम है आपको! मैं आपके लिए रब से क्षमा की प्रार्थना करूँगा। वह तो मुझपर बहुत मेहरबान है।
  • 60:4 ➤ तुम लोगों के लिए इबराहीम में और उन लोगों में जो उसके साथ थे अच्छा आदर्श है, जबकि उन्होंने अपनी क़ौम के लोगों से कह दिया कि "हम तुमसे और अल्लाह से हटकर जिन्हें तुम पूजते हो उनसे विरक्त है। हमने तुम्हारा इनकार किया और हमारे और तुम्हारे बीच सदैव के लिए वैर और विद्वेष प्रकट हो चुका जब तक अकेले अल्लाह पर तुम ईमान न लाओ।" इूबराहीम का अपने बाप से यह कहना अपवाद है कि "मैं आपके लिए क्षमा की प्रार्थना अवश्य करूँगा, यद्यपि अल्लाह के मुक़ाबले में आपके लिए मैं किसी चीज़ पर अधिकार नहीं रखता।" "ऐ हमारे रब! हमने तुझी पर भरोसा किया और तेरी ही ओर रुजू हुए और तेरी ही ओर अन्त में लौटना हैं।
  • 47:34 ➤ निश्चय ही जिन लोगों ने इनकार किया और अल्लाह के मार्ग से रोका और इनकार करनेवाले ही रहकर मर गए, अल्लाह उन्हें कदापि क्षमा न करेगा।
  • 4:167 ➤ निश्चय ही, जिन लोगों ने इनकार किया और अल्लाह के मार्ग से रोका, वे भटककर बहुत दूर जा पड़े
  • 4:168 ➤ जिन लोगों ने इनकार किया और ज़ुल्म पर उतर आए, उन्हें अल्लाह कदापि क्षमा नहीं करेगा और न उन्हें कोई मार्ग दिखाएगा।
  • 4:169 ➤ सिवाय जहन्नम के मार्ग के, जिसमें वे सदैव पड़े रहेंगे। और यह अल्लाह के लिए बहुत-ही सहज बात है।
  • 2:175 ➤ यहीं लोग हैं जिन्होंने मार्गदर्शन के बदले पथभ्रष्टका मोल ली; और क्षमा के बदले यातना के ग्राहक बने। तो आग को सहन करने के लिए उनका उत्साह कितना बढ़ा हुआ है!
  • 9:80 ➤ तुम उनके लिए क्षमा की प्रार्थना करो या उनके लिए क्षमा की प्रार्थना न करो। यदि तुम उनके लिए सत्तर बार भी क्षमा की प्रार्थना करोगे, तो भी अल्लाह उन्हें क्षमा नहीं करेगा, यह इसलिए कि उन्होंने अल्लाह और उसके रसूल के साथ कुफ़्र किया और अल्लाह अवज्ञाकारियों को सीधा मार्ग नहीं दिखाता।
  • 33:35 ➤ मुस्लिम पुरुष और मुस्लिम स्त्रियाँ, ईमानवाले पुरुष और ईमानवाली स्त्रियाँ, निष्ठा्पूर्वक आज्ञापालन करनेवाले पुरुष और निष्ठापूर्वक आज्ञापालन करनेवाली स्त्रियाँ, सत्यवादी पुरुष और सत्यवादी स्त्रियाँ, धैर्यवान पुरुष और धैर्य रखनेवाली स्त्रियाँ, विनम्रता दिखानेवाले पुरुष और विनम्रता दिखानेवाली स्त्रियाँ, सदक़ा (दान) देनेवाले पुरुष और सदक़ा देनेवाली स्त्रियाँ, रोज़ा रखनेवाले पुरुष और रोज़ा रखनेवाली स्त्रियाँ, अपने गुप्तांगों की रक्षा करनेवाले पुरुष और रक्षा करनेवाली स्त्रियाँ और अल्लाह को अधिक याद करनेवाले पुरुष और याद करनेवाली स्त्रियाँ - इनके लिए अल्लाह ने क्षमा और बड़ा प्रतिदान तैयार कर रखा है।
  • 63:6 ➤ उनके लिए बराबर है चाहे तुम उनके किए क्षमा की प्रार्थना करो या उनके लिए क्षमा की प्रार्थना न करो। अल्लाह उन्हें कदापि क्षमा न करेगा। निश्चय ही अल्लाह अवज्ञाकारियों को सीधा मार्ग नहीं दिखाया करता।
  • 67:2 ➤ जिसने पैदा किया मृत्यु और जीवन को, ताकि तुम्हारी परीक्षा करे कि तुममें कर्म की दृष्टि से कौन सबसे अच्छा है। वह प्रभुत्वशाली, बड़ा क्षमाशील है।
➢अल्लाह अपने खूनी दूतों को क्षमा कर देता है लेकिन समलैंगिकों को मार देता है
Allah loves His Apostles who resort to felony and genocide. In many verses of the Quran we read this bizarre state of mind of Allah—an obsession to instruct His representative on earth to murder, plunder and commit pogrom. But He has unlimited wrath for those who commit sexual deviation, for example: homosexuals, whether gays or lesbians. Here are a few verses from the Quran to comprehend the bizarre mentality of Allah.
  • 28:15 ➤ उसने नगर में ऐसे समय प्रवेश किया जबकि वहाँ के लोग बेख़बर थे। उसने वहाँ दो आदमियों को लड़ते पाया। यह उसके अपने गिरोह का था और यह उसके शत्रुओं में से था। जो उसके गिरोह में से था उसने उसके मुक़ाबले में, जो उसके शत्रुओं में से था, सहायता के लिए उसे पुकारा। मूसा ने उसे घूँसा मारा और उसका काम तमाम कर दिया। कहा, "यह शैतान की कार्यवाई है। निश्चय ही वह खुला पथभ्रष्ट करनेवाला शत्रु है।"
  • 28:16 ➤ उसने कहा, "ऐ मेरे रब, मैंने अपने आपपर ज़ुल्म किया। अतः तू मुझे क्षमा कर दे।" अतएव उसने उसे क्षमा कर दिया। निश्चय ही वही बड़ी क्षमाशील, अत्यन्त दयावान है।
  • 24:2 ➤ व्यभिचारिणी और व्यभिचारी - इन दोनों में से प्रत्येक को सौ कोड़े मारो और अल्लाह के धर्म (क़ानून) के विषय में तुम्हें उनपर तरस न आए, यदि तुम अल्लाह औऱ अन्तिम दिन को मानते हो। और उन्हें दंड देते समय मोमिनों में से कुछ लोगों को उपस्थित रहना चाहिए।
  • 7:80 ➤ और हमने लूत को भेजा। जब उसने अपनी क़ौम से कहा, "क्या तुम वह प्रत्यक्ष अश्लील कर्म करते हो, जिसे दुनिया में तुमसे पहले किसी ने नहीं किया?"
  • 7:81 ➤ तुम स्त्रियों को छोड़कर मर्दों से कामेच्छा पूरी करते हो, बल्कि तुम नितान्त मर्यादाहीन लोग हो।
  • 7:82 ➤ उसकी क़ौम के लोगों का उत्तर इसके अतिरिक्त और कुछ न था कि वे बोले, "निकालो, उन लोगों को अपनी बस्ती से। ये ऐसे लोग है जो बड़े पाक-साफ़ है!"
  • 7:83 ➤ फिर हमने उसे और उसके लोगों को छुटकारा दिया, सिवाय उसकी स्त्री के कि वह पीछे रह जानेवालों में से थी।
  • 7:84 ➤ और हमने उनपर एक बरसात बरसाई, तो देखो अपराधियों का कैसा परिणाम हुआ।
  • 26:165 ➤ क्या सारे संसारवालों में से तुम ही ऐसे हो जो पुरुषों के पास जाते हो,
  • 26:166 ➤ और अपनी पत्नियों को, जिन्हें तुम्हारे रब ने तुम्हारे लिए पैदा किया, छोड़ देते हो? इतना ही नहीं, बल्कि तुम हद से आगे बढ़े हुए लोग हो।"
  • 26:167 ➤ उन्होंने कहा, "यदि तू बाज़ न आया, ऐ लतू! तो तू अवश्य ही निकाल बाहर किया जाएगा।"
  • 26:168 ➤ उसने कहा, "मैं तुम्हारे कर्म से अत्यन्त विरक्त हूँ।
  • 26:169 ➤ ऐ मेरे रब! मुझे और मेरे लोगों को, जो कुछ ये करते है उसके परिणाम से, बचा ले।"
  • 26:170 ➤ अन्ततः हमने उसे और उसके सारे लोगों को बचा लिया;
  • 26:171 ➤ सिवाय एक बुढ़िया के जो पीछे रह जानेवालों में थी।
  • 26:172 ➤ फिर शेष दूसरे लोगों को हमने विनष्ट कर दिया।
  • 26:173 ➤ और हमने उनपर एक बरसात बरसाई। और यह चेताए हुए लोगों की बहुत ही बुरी वर्षा थी।
 
➢अल्लाह का क्रोध बहुत है
  • 20:81 ➤ "खाओ, जो कुछ पाक अच्छी चीज़े हमने तुम्हें प्रदान की है, किन्तु इसमें हद से आगे न बढ़ो कि तुमपर मेरा प्रकोप टूट पड़े और जिस किसी पर मेरा प्रकोप टूटा, वह तो गिरकर ही रहा।
  • 3:28 ➤ ईमानवालों को चाहिए कि वे ईमानवालों से हटकर इनकारवालों को अपना मित्र (राज़दार) न बनाएँ, और जो ऐसा करेगा, उसका अल्लाह से कोई सम्बन्ध नहीं, क्योंकि उससे सम्बद्ध यही बात है कि तुम उनसे बचो, जिस प्रकार वे तुमसे बचते है। और अल्लाह तुम्हें अपने आपसे डराता है, और अल्लाह ही की ओर लौटना है।
➢अल्लाह एक निपुण षड्यन्त्रकारी है
Here are few verses from the Quran to analyse the abnormal mindset of Allah. When we read these verses we have the impression that Allah, after all, is not really that powerful—He has to resort to scheming—just like humans, to destroy the infidels. In reality, Allah is simply copying the humans.
  • 10:21 ➤ जब हम लोगों को उनके किसी तकलीफ़ में पड़ने के पश्चात दयालुता का रसास्वादन कराते है तो वे हमारी आयतों के विषय में चालबाज़ियाँ करने लग जाते है। कह दो, "अल्लाह की चाल ज़्यादा तेज़ है।" निस्संदेह, जो चालबाजियाँ तुम कर रहे हो, हमारे भेजे हुए (फ़रिश्ते) उनको लिखते जा रहे है।
  • 13:42 ➤ उनसे पहले जो लोग गुज़रे है, वे भी चालें चल चुके है, किन्तु वास्तविक चाल तो पूरी की पूरी अल्लाह ही के हाथ में है। प्रत्येक व्यक्ति जो कमाई कर रहा है उसे वह जानता है। इनकार करनेवालों को शीघ्र ही ज्ञात हो जाएगा कि परलोक-गृह के शुभ परिणाम के अधिकारी कौन है।
  • 44:16 ➤ याद रखो, जिस दिन हम बड़ी पकड़ पकड़ेंगे, तो निश्चय ही हम बदला लेकर रहेंगे।
  • 86:15 ➤ वे एक चाल चल रहे है,
  • 86:16 ➤ और मैं भी एक चाल चल रहा हूँ।
➢अल्लाह यह पसंद नहीं करते कि मुसलमान इस सांसारिक जीवन भोग करें और आनन्द करें, वह उनको मरने के लिए उकसाता है ताकि वह आखिरत में आनंद पा सकें
Allah’s mind is truly bizarre. Previously, we noted how Allah dislikes this world (I mean the earth) even though, in the first place, He took such painstaking effort to create it. Not only that Allah hates this earthly life, He also commands his slaves (i.e., Muslims) to renounce this world and proceed for the next world (i.e., death and then the next world) pronto. Allah promises nothing to those who want to live and enjoy the earthly life. Allah prefers that Muslims die as soon as they are born, so that they will enjoy the life after death. We might wonder that only mad person will do such act—be born and then die soon after it. Why then Allah created His slaves? –if we are commanded to die soon after our birth? Please read the following verses from the Quran and wonder at Allah’s obsession with eschatology—a penchant with death and after life. Once we thoroughly comprehend these verses we will understand what motivates the Islamist suicide bombers to die willingly, with smiling faces. Yes, they just hate this world, and with absolute passion they simply want to enjoy the life after death. With so much glory, passion, attraction and a magnetic pull to enjoy death, why should not the suicide bombers do what they are doing? In essence, they are embracing death in the way of Allah—to meet Allah in person and to lead a happy, comely and rich life in Paradise in the company of Allah.
  • 6:32 ➤ सांसारिक जीवन तो एक खेल और तमाशे (ग़फलत) के अतिरिक्त कुछ भी नहीं है जबकि आख़िरत का घर उन लोगों के लिए अच्छा है, जो डर रखते है। तो क्या तुम बुद्धि से काम नहीं लेते?
  • 11:15 ➤ जो व्यक्ति सांसारिक जीवन और उसकी शोभा का इच्छुक हो तो ऐसे लोगों को उनके कर्मों का पूरा-पूरा बदला हम यहीं दे देते है और इसमें उनका कोई हक़ नहीं मारा जाता।
  • 11:16 ➤ यही वे लोग है जिनके लिए आख़िरत में आग के सिवा और कुछ भी नहीं। उन्होंने जो कुछ बनाया, वह सब वहाँ उनकी जान को लागू हुआ और उनका सारा किया-धरा मिथ्या होकर रहा।
  • 12:57 ➤ और ईमान लानेवालों और डर रखनेवालों के लिए आख़िरत का बदला इससे कहीं उत्तम है।
  • 14:3 ➤ जो आख़िरत की अपेक्षा सांसारिक जीवन को प्राथमिकता देते है और अल्लाह के मार्ग से रोकते है और उसमें टेढ़ पैदा करना चाहते है, वही परले दरजे की गुमराही में पड़े है।
  • 17:21 ➤ देखो, कैसे हमने उनके कुछ लोगों को कुछ के मुक़ाबले में आगे रखा है! और आख़िरत दर्जों की दृष्टि से सबसे बढ़कर है और श्रेष्ठ़ता की दृष्टि से भी वह सबसे बढ़-चढ़कर है।
  • 29:64 ➤ और यह सांसारिक जीवन तो केवल दिल का बहलावा और खेल है। निस्संदेह पश्चात्वर्ती घर (का जीवन) ही वास्तविक जीवन है। क्या ही अच्छा होता कि वे जानते!
  • 40:39 ➤ ऐ मेरी क़ौम के लोगो! यह सांसारिक जीवन तो बस अस्थायी उपभोग है। निश्चय ही स्थायी रूप से ठहरनेका घर तो आख़िरत ही है।
  • 43:35 ➤ और सोने द्वारा सजावट का आयोजन भी कर देते। यह सब तो कुछ भी नहीं, बस सांसारिक जीवन की अस्थायी सुख-सामग्री है। और आख़िरत तुम्हारे रब के यहाँ डर रखनेवालों के लिए है।
  • 87:17 ➤ हालाँकि आख़िरत अधिक उत्तम और शेष रहनेवाली है।
➢अल्लाह Jesus की तरह दिखता है
In verse 15:29, Allah says that He had breathed His spirit into Adam. In verse 4:171 Allah also claims that Jesus Christ was also a spirit from Him (i.e., born out of Allah’s spirit). The natural derivation from all these incredible feats of Allah will be that Allah must look like Jesus Christ (or Jesus must have looked like Allah).
  • 15:29 ➤ तो जब मैं उसे पूरा बना चुकूँ और उसमें अपनी रूह फूँक दूँ तो तुम उसके आगे सजदे में गिर जाना!"
  • 4:171 ➤ ऐ किताबवालों! अपने धर्म में हद से आगे न बढ़ो और अल्लाह से जोड़कर सत्य के अतिरिक्त कोई बात न कहो। मरयम का बेटा मसीह-ईसा इसके अतिरिक्त कुछ नहीं कि अल्लाह का रसूल है और उसका एक 'कलिमा' है, जिसे उसने मरमय की ओर भेजा था। और उसकी ओर से एक रूह है। तो तुम अल्लाह पर और उसके रसूलों पर ईमान लाओ और "तीन" न कहो - बाज़ आ जाओ! यह तुम्हारे लिए अच्छा है - अल्लाह तो केवल अकेला पूज्य है। यह उसकी महानता के प्रतिकूल है कि उसका कोई बेटा हो। आकाशों और धरती में जो कुछ है, उसी का है। और अल्लाह कार्यसाधक की हैसियत से काफ़ी है।
➢अल्लाह आकाश और धरती का बादशाह
Allah is the owner of the heavens and the earth; He is adamant on establishing His dictatorship Many verses in the Quran declare that Allah, truly, is a dictator. He rules earth in an absolute dictatorial manner. Below, I am providing excerpts of a few selected verses from the Quran. Please note that in many of these verses; it is quite clear that the speaker is not Allah, but someone else, most probably Muhammad. This should leave us beyond a shadow of doubt that Allah’s dictatorship is actually Muhammad (i.e. Islam’s) dictatorship.
  • 23:116 ➤ तो सर्वोच्च है अल्लाह, सच्चा सम्राट! उसके सिवा कोई पूज्य-प्रभु नहीं, स्वामी है महिमाशाली सिंहासन का
  • 24:42 ➤ अल्लाह ही के लिए है आकाशों और धरती का राज्य। और अल्लाह ही की ओर लौटकर जाना है।
  • 28:88 ➤ और अल्लाह के साथ किसी और इष्ट-पूज्य को न पुकारना। उसके सिवा कोई इष्ट-पूज्य नहीं। हर चीज़ नाशवान है सिवास उसके स्वरूप के। फ़ैसला और आदेश का अधिकार उसी को प्राप्त है और उसी की ओर तुम सबको लौटकर जाना है।
  • 34:1 ➤ प्रशंसा अल्लाह ही के लिए है जिसका वह सब कुछ है जो आकाशों और धरती में है। और आख़िरत में भी उसी के लिए प्रशंसा है। और वही तत्वदर्शी, ख़बर रखनेवाला है।
  • 37:4 ➤ कि तुम्हारा पूज्य-प्रभु अकेला है।
  • 57:5 ➤ आकाशों और धरती की बादशाही उसी की है और अल्लाह ही की है ओर सारे मामले पलटते है।
  • 67:1 ➤ बड़ा बरकतवाला है वह जिसके हाथ में सारी बादशाही है और वह हर चीज़ की सामर्थ्य रखता है।
➢अल्लाह मुसलमानों से डर चाहता है
  • 24:52 ➤ और जो कोई अल्लाह और उसके रसूल का आज्ञा का पालन करे और अल्लाह से डरे और उसकी सीमाओं का ख़याल रखे, तो ऐसे ही लोग सफल है।
  • 24:53 ➤ वे अल्लाह की कड़ी-कड़ी क़समें खाते है कि यदि तुम उन्हें हुक्म दो तो वे अवश्य निकल खड़े होंगे। कह दो, "क़समें न खाओ। सामान्य नियम के अनुसार आज्ञापालन ही वास्तकिव चीज़ है। तुम जो कुछ करते हो अल्लाह उसकी ख़बर रखता है।"
 
➢अल्लाह के कुछ अजीब कर्मकांड
  • 28:58 ➤ हमने कितनी ही बस्तियों को विनष्ट कर डाला, जिन्होंने अपनी गुज़र-बसर के संसाधन पर इतराते हुए अकृतज्ञता दिखाई। तो वे है उनके घर, जो उनके बाद आबाद थोड़े ही हुए। अन्ततः हम ही वारिस हुए।
  • 46:27 ➤ हम तुम्हारे आस-पास की बस्तियों को विनष्ट कर चुके हैं, हालाँकि हमने तरह-तरह से आयते पेश की थीं, ताकि वे रुजू करें।
  • 13:41 ➤ क्या उन्होंने देखा नहीं कि हम धरती पर चले आ रहे है, उसे उसके किनारों से घटाते हुए? अल्लाह ही फ़ैसला करता है। कोई नहीं जो उसके फ़ैसले को पीछे डाल सके। वह हिसाब भी जल्द लेता है।
  • 33:27 ➤ और उसने तुम्हें उनके भू-भाग और उनके घरों और उनके मालों का वारिस बना दिया और उस भू-भाग का भी जिसे तुमने पददलित नहीं किया। वास्तव में अल्लाह को हर चीज़ की सामर्थ्य प्राप्त है।
  • 59:2 ➤ वही है जिसने किताबवालों में से उन लोगों को जिन्होंने इनकार किया, उनके घरों से पहले ही जमावड़े में निकल बाहर किया। तुम्हें गुमान न था कि उनकी गढ़ियाँ अल्लाह से उन्हें बचा लेंगी। किन्तु अल्लाह उनपर वहाँ से आया जिसका उन्हें गुमान भी न था। और उसने उनके दिलों में रोब डाल दिया कि वे अपने घरों को स्वयं अपने हाथों और ईमानवालों के हाथों भी उजाड़ने लगे। अतः शिक्षा ग्रहण करो, ऐ दृष्टि रखनेवालो!
  • 3:151 ➤ हम शीघ्र ही इनकार करनेवालों के दिलों में धाक बिठा देंगे, इसलिए कि उन्होंने ऐसी चीज़ो को अल्लाह का साक्षी ठहराया है जिनसे साथ उसने कोई सनद नहीं उतारी, और उनका ठिकाना आग (जहन्नम) है। और अत्याचारियों का क्या ही बुरा ठिकाना है।
➢Non-muslim का हत्यारा है अल्लाह
  • 3:127 ➤ ताकि इनकार करनेवालों के एक हिस्से को काट डाले या उन्हें बुरी पराजित और अपमानित कर दे कि वे असफल होकर लौटें।
  • 10:24 ➤ सांसारिक जीवन की उपमा तो बस ऐसी है जैसे हमने आकाश से पानी बरसाया, तो उसके कारण धरती से उगनेवाली चीज़े, जिनको मनुष्य और चौपाये सभी खाते है, घनी हो गई, यहाँ तक कि धरती ने अपना शृंगार कर लिया और सँवर गई और उसके मालिक समझने लगे कि उन्हें उसपर पूरा अधिकार प्राप्त है कि रात या दिन में हमारा आदेश आ पहुँचा। फिर हमने उसे कटी फ़सल की तरह कर दिया, मानो कल वहाँ कोई आबादी ही न थी। इसी तरह हम उन लोगों के लिए खोल-खोलकर निशानियाँ बयान करते है, जो सोच-विचार से काम लेना चाहें।
  • 14:13 ➤ अन्ततः इनकार करनेवालों ने अपने रसूलों से कहा, "हम तुम्हें अपने भू-भाग से निकालकर रहेंगे, या तो तुम्हें हमारे पंथ में लौट आना होगा।" तब उनके रब ने उनकी ओर प्रकाशना की, "हम अत्याचारियों को विनष्ट करके रहेंगे।
  • 17:16 ➤ और जब हम किसी बस्ती को विनष्ट करने का इरादा कर लेते है तो उसके सुखभोगी लोगों को आदेश देते है तो (आदेश मानने के बजाए) वे वहाँ अवज्ञा करने लग जाते है, तब उनपर बात पूरी हो जाती है, फिर हम उन्हें बिलकुल उखाड़ फेकते है।
  • 17:17 ➤ हमने नूह के पश्चात कितनी ही नस्लों को विनष्ट कर दिया। तुम्हारा रब अपने बन्दों के गुनाहों की ख़बर रखने, देखने के लिए काफ़ी है।
  • 20:81 ➤ "खाओ, जो कुछ पाक अच्छी चीज़े हमने तुम्हें प्रदान की है, किन्तु इसमें हद से आगे न बढ़ो कि तुमपर मेरा प्रकोप टूट पड़े और जिस किसी पर मेरा प्रकोप टूटा, वह तो गिरकर ही रहा।
  • 21:6 ➤ इनसे पहले कोई बस्ती भी, जिसको हमने विनष्ट किया, ईमान न लाई। फिर क्या ये ईमान लाएँगे?
  • 21:11 ➤ कितनी ही बस्तियों को, जो ज़ालिम थीं, हमने तोड़कर रख दिया और उनके बाद हमने दूसरे लोगों को उठाया।
➢अल्लाह एक white supremacist
  • 3:106 ➤  जिस दिन कितने ही चेहरे उज्ज्वल होंगे और कितने ही चेहरे काले पड़ जाएँगे, तो जिनके चेहेर काले पड़ गए होंगे (वे सदा यातना में ग्रस्त रहेंगे। खुली निशानियाँ आने का बाद जिन्होंने विभेद किया) उनसे कहा जाएगा, "क्या तुमने ईमान के पश्चात इनकार की नीति अपनाई? तो लो अब उस इनकार के बदले में जो तुम करते रहे हो, यातना का मज़ा चखो।"
  • 3:107 ➤ रहे वे लोग जिनके चेहरे उज्ज्वल होंगे, वे अल्लाह की दयालुता की छाया में होंगे। वे उसी में सदैव रहेंगे।
  • 10:26 ➤ अच्छे से अच्छा कर्म करनेवालों के लिए अच्छा बदला है और इसके अतिरिक्त और भी। और उनके चहरों पर न तो कलौस छाएगी और न ज़िल्लत। वही जन्नतवाले है; वे उसमें सदैव रहेंगे।
  • 10:27 ➤ रहे वे लोग जिन्होंने बुराइयाँ कमाई, तो एक बुराई का बदला भी उसी जैसा होगा; और ज़िल्लत उनपर छा रही होगी। उन्हें अल्लाह से बचानेवाला कोई न होगा। उनके चहरों पर मानो अँधेरी रात के टुकड़े ओढ़ा दिए गए हों। वही आगवाले हैं, उन्हें उसमें सदैव रहना है।
  • 39:60 ➤ और क़ियामत के दिन तुम उन लोगों को देखोगे जिन्होंने अल्लाह पर झूठ घड़कर थोपा है कि उनके चेहरे स्याह है। क्या अहंकारियों का ठिकाना जहन्नम में नहीं हैं?"


🌹🥀🌷🌺 नमस्ते 🌹🥀🌷🌺

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