सोमवार, 29 जुलाई 2019

बाइबल में परस्पर विरोधी वचन (अन्तिम भाग)

✍️ लेखक ➩ अरुण कुमार आर्यवीर


🌹१. यहूदा ने अपने को आप ही फांसी दी
  • तब वह उन सिक्कों मन्दिर में फेंककर चला गया, और जाकर अपने आप को फांसी दी। (मत्ती २७:५)
🌺यहूदा फांसी ‌‌‌से नहीं मरा

🌹२. महायाजकों ने कुम्हार के खेत को खरीदा
  •  सो उन्होंने सम्मति करके उन सिक्कों से परदेशियों के गाड़ने के लिये कुम्हार का खेत मोल ले लिया। (मत्ती २७:७)
🌺यहूदा ने कुम्हार के खेत को खरीदा
  • उस ने अधर्म की कमाई से एक खेत मोल लिया। (प्रेरितों के काम १:१८)

🌹३. केवल एक स्त्री कब्र पर आई
  • सप्ताह के पहिले दिन मरियम मगदलीनी भोर को अंधेरा रहते ही कब्र पर आई, और पत्थर को कब्र से हटा हुआ देखा। (यूहन्ना २०:१)
🌺दो स्त्रियां कब्र पर आई
  • सब्त के दिन के बाद सप्ताह के पहिले दिन पह फटते ही मरियम मगदलीनी और दूसरी मरियम कब्र को देखने आईं। (मत्ती २८:१)

🌹४. तीन स्त्रीयां कब्र पर आई
  • जब सब्त का दिन बीत गया, तो मरियम मगदलीनी और याकूब की माता मरियम और शलोमी ने सुगन्धित वस्तुएं मोल लीं, कि आकर उस पर मलें। (मरकुस १६:१)
🌺तीन से अधिक स्त्रियां कब्र पर आई
  • जिन्हों ने प्रेरितों से ये बातें कहीं, वे मरियम मगदलीनी और योअन्ना और याकूब की माता मरियम और उन के साथ की और स्त्रियां भी थीं। (लूका २४:१०)

🌹५. कब्र के निकट दो फरिश्ते दिखाई दिए
  • जब वे इस बात से भौचक्की हो रही थीं तो देखो, दो पुरूष झलकते वस्त्र पहिने हुए उन के पास आ खड़े हुए। (लूका २४:४)
🌺कब्र से निकट एक फरिश्ता दिखाई दिया
  • और देखो एक बड़ा भुईंडोल हुआ, क्योंकि प्रभु का एक दूत स्वर्ग से उतरा, और पास आकर उसने पत्थर को लुढ़का दिया, और उस पर बैठ गया। (मत्ती २८:२)

बाइबल में परस्पर विरोधी वचन

🌹६. दो फरिश्ते कब्र के अंदर दिखाई दिए
  • परन्तु मरियम रोती हुई कब्र के पास ही बाहर खड़ी रही और रोते रोते कब्र की ओर झुककर, दो स्वर्गदूतों को उज्ज़वल कपड़े पहिने हुए एक को सिरहाने और दूसरे को पैताने बैठे देखा, जहां यीशु की लोथ पड़ी थी। (यूहन्ना २०:११,१२)
🌺केवल एक फरिश्ता कब्र के अंदर दिखाई दिया
  • और कब्र के भीतर जाकर, उन्होंने एक जवान को श्वेत वस्त्र पहिने हुए दाहिनी ओर बैठे देखा, और बहुत चकित हुईं। (मरकुस १६:५)
🌺कब्र के बाहर एक फरिश्ता दिखाई दिया
  • और देखो एक बड़ा भुईंडोल हुआ, क्योंकि प्रभु का एक दूत स्वर्ग से उतरा, और पास आकर उसने पत्थर को लुढ़का दिया, और उस पर बैठ गया। (मत्ती २८:२)

🌹७. स्त्रियों ने यीशु के चेलों को खबर दी
  • और वे भय और बड़े आनन्द के साथ कब्र से शीघ्र लौटकर उसके चेलों को समाचार देने के लिये दौड़ गई। (मत्ती २८:८)
  • और कब्र से लौटकर उन्होंने उन ग्यारहों को, और, और सब को, ये बातें कह सुनाईं। (लूका २४:९)
🌺स्त्रियों ने यीशु के चेलों को खबर नहीं दी
  • और वे निकलकर कब्र से भाग गईं; क्योंकि कपकपी और घबराहट उन पर छा गई थीं और उन्होंने किसी से कुछ न कहा, क्योंकि डरती थीं (मरकुस १६:८)

🌹८. पतरस के कब्र देखने के बाद फरिश्ते दिखाई दिया
  • तब पतरस और वह दूसरा चेला निकलकर कब्र की ओर चले। तब शमौन पतरस उसके पीछे पीछे पहुंचा और कब्र के भीतर गया और कपड़े पड़े देखे। तब ये चेले अपने घर लौट गए। दो स्वर्गदूतों को उज्ज़वल कपड़े पहिने हुए एक को सिरहाने और दूसरे को पैताने बैठे देखा, जहां यीशु की लोथ पड़ी थी। (यूहन्ना २०:३,६,१०,१२)
🌺फरिश्ते दिखाई देने के बाद पतरस ने कब्र को देखा
  • जब वे इस बात से भौचक्की हो रही थीं तो देखो, दो पुरूष झलकते वस्त्र पहिने हुए उन के पास आ खड़े हुए। तब उस की बातें उन को स्मरण आईं। और कब्र से लौटकर उन्होंने उन ग्यारहों को, और, और सब को, ये बातें कह सुनाईं। तब पतरस उठकर कब्र पर दौड़ गया, और झुककर केवल कपड़े पड़े देखे, और जो हुआ था, उस से अचम्भा करता हुआ, अपने घर चला गया। (लूका २४:४,८,९,१२)

🌹९. मरियम मकदालीन को यीशु पहले दिखाई दिया
  • जब वह अस्सुस में हमें मिला तो हम उसे चढ़ाकर मितुलेने में आए। (यूहन्ना २०:१४)
🌺दो मरियम को यीशु पहले दिखाई दिया
  • और देखो, यीशु उन्हें मिला और कहा; ‘सलाम’और उन्होंने पास आकर और उसके पाँव पकड़कर उस को दणडवत किया। (मत्ती २८:९)

🌹१०. यीशु ने गलील के पहाड़ पर पहले दर्शन दिए
  • और ग्यारह चेले गलील में उस पहाड़ पर गए, जिसे यीशु ने उन्हें बताया था। और उन्होंने उसके दर्शन पाकर उसे प्रणाम किया, पर किसी किसी को सन्देह हुआ। (मत्ती २८:१६,१७)
🌺यीशु ने यरूशलेम में पहले दर्शन दिए
  •  वे उसी घड़ी उठकर यरूशलेम को लौट गए, और उन ग्यारहों और उन के साथियों को इकट्ठे पाया।  वे ये बातें कह ही रहे ये, कि वह आप ही उन के बीच में आ खड़ा हुआ; और उन से कहा, तुम्हें शान्ति मिले। (लूका २४:३३,३६)
बाइबल में परस्पर विरोधी वचन

🌹११. उसके साथियों ने आवाज सुनी पर किसी को नहीं देखा
  • जो मनुष्य उसके साथ थे, वे चुपचाप रह गए; क्योंकि शब्द तो सुनते थे, परन्तु किसी को दखते न थे। (प्रेरितों के काम ९:७)
🌺उसके  साथियों ने आवाज नहीं सुनी पर ज्योति को देखा
  • और मेरे साथियों ने ज्योति तो देखी, परन्तु जो मुझ से बोलता था उसका शब्द न सुना। (प्रेरितों के काम २२:८)

🌹१२. इब्राहिम के केबल एक बेटा था
  • और जिस से यह कहा गया था, कि इसहाक से तेरा वंश कहलाएगा; वह अपने एकलौते को चढ़ाने लगा। (इब्रानियों ११:१८)
🌺इब्राहिम के दो बेटे थे
  • यह लिखा है, कि इब्राहीम के दो पुत्र हुए; एक दासी से, और एक स्वतंत्र स्त्री से। ( गलातियों ४:२२)

🌹१३. कतूरा इब्राहिम की पत्नी थी
  • तब इब्राहीम ने एक और पत्नी ब्याह ली जिसका नाम कतूरा था। (उत्पत्ति २५:१)
🌺कतूरा इब्राहिम की रखैल थी

🌹१४. मीकल निःसन्तान थी
  • और शाऊल की बेटी मीकल के मरने के दिन तक उसके कोई सन्तान न हुआ। (२ शमूएल ६:२३)
🌺मीकल के पांच बच्चे थे
  • और शाऊल की बेटी मीकल के पांचों बेटे। (२ शमूएल २१:८)

🌹१५. इस्राइल के आठ लाख लड़ाका थे और यहूदा के पांच लाख
  • तब योआब ने प्रजा की गिनती का जोड़ राजा को सुनाया; और तलवार चलाने वाले योद्धा इस्राएल के तो आठ लाख, और यहूदा के पांच लाख निकले। (२ शमूएल २४:९)
🌺इस्राइल के ग्यारह लाख लड़ाका थे और यहूदा के चार लाख सत्तर हजार
  • तब योआब ने प्रजा की गिनती का जोड़, दाऊद को सुनाया और सब तलवारिये पुरुष इस्राएल के तो ग्यारह लाख, और यहूदा के चार लाख सत्तर हजार ठहरे। (१ इतिहास २१:५)
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🌹१६. दाऊद ने सात सौ रथियों और चालीस हजार सवारों को मार डाला
  • और चालीस हजार सवारों को मार डाला। (२ शमूएल १०:१८)
🌺दाऊद ने सात हजार रथियों और चालीस हजार सवारों को मार डाला
  • दाऊद ने उन में से सात हजार रथियों और चालीस हजार प्यादों को मार डाला। (१ इतिहास १९:१८)

🌹१७. यीशु ईश्वर के समान है
  • मैं और पिता एक हैं। (यूहन्ना १०:३०)
🌺यीशु ईश्वर के समान नहीं है
  • मैं पिता के पास जाता हूं क्योंकि पिता मुझ से बड़ा है। (यूहन्ना १४:२८)

🌹१८. यीशु न्याय करता है
  • और पिता किसी का न्याय भी नहीं करता, परन्तु न्याय करने का सब काम पुत्र को सौंप दिया है। (यूहन्ना ५:२२)
🌺यीशु न्याय नहीं करता है
  • मैं किसी का न्याय नहीं करता। (यूहन्ना ८:१४)

🌹१९. यीशु सर्वशक्तिमान है
  • पिता पुत्र से प्रेम रखता है, और उस ने सब वस्तुएं उसके हाथ में दे दी हैं। (यूहन्ना ३:३४)
🌺यीशु सर्वशक्तिमान नहीं है
  • और वह वहां कोई सामर्थ का काम न कर सका, केवल थोड़े बीमारों पर हाथ रखकर उन्हें चंगा किया। (मरकुस ६:५)

🌹२०. व्यवस्था रद्द की गई
  • और अपने शरीर में बैर अर्थात वह व्यवस्था जिस की आज्ञाएं विधियों की रीति पर थीं, मिटा दिया, कि दोनों से अपने में एक नया मनुष्य उत्पन्न करके मेल करा दे। (इफिसियों २:१५)
🌺व्यवस्था कायम रहेगी
  • लोप करने नहीं, परन्तु पूरा करने आया हूं, क्योंकि मैं तुम से सच कहता हूं, कि जब तक आकाश और पृथ्वी टल न जाएं, तब तक व्यवस्था से एक मात्रा या बिन्दु भी बिना पूरा हुए नहीं टलेगा। (मत्ती ५:१८)

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🌹२१. यीशु का उद्देश्य शान्ति था
  • कि आकाश में परमेश्वर की महिमा और पृथ्वी पर उन मनुष्यों में जिनसे वह प्रसन्न है शान्ति हो। (लूका २:१४)
🌺यीशु का उद्देश्य शान्ति न था
  • यह न समझो, कि मैं पृथ्वी पर मिलाप कराने को आया हूं; मैं मिलाप कराने को नहीं, पर तलवार चलवाने आया हूं। (मत्ती १०:३४)

🌹२२. यीशु मनुष्य से गवाही नहीं चाहता
  • परन्तु मैं अपने विषय में मनुष्य की गवाही नहीं चाहता। (यूहन्ना ५:३४)
🌺यीशु मनुष्य से गवाही चाहता है
  • और तुम भी गवाह हो क्योंकि तुम आरम्भ से मेरे साथ रहे हो। (यूहन्ना १५:२७)

🌹२३. यीशु की अपने लिए गवाही अच्छी है
  • एक तो मैं आप अपनी गवाही देता हूं, और दूसरा पिता मेरी गवाही देता है जिस ने मुझे भेजा। (यूहन्ना ८:१८)
🌺यीशु की अपने लिए गवाही झूठी है
  • यदि मैं आप ही अपनी गवाही दूं; तो मेरी गवाही सच्ची नहीं। (यूहन्ना ५:३१)

🌹२४. यीशु को मारना यहूदियों की व्यवस्था अनुसार था
  • यहूदियों ने उस को उत्तर दिया, कि हमारी भी व्यवस्था है और उस व्यवस्था के अनुसार वह मारे जाने के योग्य है क्योंकि उस ने अपने आप को परमेश्वर का पुत्र बनाया। (यूहन्ना १९:७)
🌺यीशु को मारना यहूदियों की व्यवस्था अनुसार नहीं था
  • पीलातुस ने उन से कहा, तुम ही इसे ले जाकर अपनी व्यवस्था के अनुसार उसका न्याय करो: यहूदियों ने उस से कहा, हमें अधिकार नहीं कि किसी का प्राण लें। (यूहन्ना १८:३१)

🌹२५. बच्चे अपने माता-पिता के कर्मों का दण्ड भोगेंगे
  • क्योंकि मैं तेरा परमेश्वर यहोवा जलन रखने वाला ईश्वर हूं, और जो मुझ से बैर रखते है, उनके बेटों, पोतों, और परपोतों को भी पितरों का दण्ड दिया करता हूं। (निर्गमण २०:५)
🌺बच्चे अपने माता-पिता के कर्मों का दण्ड नहीं भोगेंगे
  • जो प्राणी पाप करे वही मरेगा, न तो पुत्र पिता के अधर्म का भार उठाएगा और न पिता पुत्र का; धमीं को अपने ही धर्म का फल, और दुष्ट को अपनी ही दुष्टता का फल मिलेगा। (यहेजकेल १८:२०)
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🌹२६. केवल व्यवस्था से मनुष्य जांचा जाएगा
  • क्योंकि परमेश्वर के यहां व्यवस्था के सुनने वाले धर्मी नहीं, पर व्यवस्था पर चलने वाले धर्मी ठहराए जाएंगे। (रोमियों २:१३)
🌺केवल व्यवस्था से मनुष्य नहीं जांचा जाएगा
  • क्योंकि व्यवस्था के कामों से कोई प्राणी उसके साम्हने धर्मी नहीं ठहरेगा, इसलिये कि व्यवस्था के द्वारा पाप की पहिचान होती है। (रोमियों ३:२०)

🌹२७. कोई भी पाप नहीं करता
  • जो कोई परमेश्वर से जन्मा है वह पाप नहीं करता; क्योंकि उसका बीज उस में बना रहता है: और वह पाप कर ही नहीं सकता, क्योंकि परमेश्वर से जन्मा है। (१ यूहन्ना ३:९)
🌺पाप से कोई नहीं बच सकता
  • नि:सन्देह पृथ्वी पर कोई ऐसा धर्मी मनुष्य नहीं जो भलाई ही करे और जिस से पाप न हुआ हो। (सभोपदेशक ७:२०)

🌹२८. कर्मों का फल यहीं दिया जाएगा
  • देख, धर्मी को पृथ्वी पर फल मिलेगा, तो निश्चय है कि दुष्ट और पापी को भी मिलेगा। (नीतिवचन ११:३१)
🌺कर्मों का फल स्वर्ग में मिलेगा
  • मनुष्य का पुत्र अपने स्वर्गदूतों के साथ अपने पिता की महिमा में आएगा, और उस समय वह हर एक को उसके कामों के अनुसार प्रतिफल देगा। (मत्ती १६:२७)

🌹२९. सांसारिक समृद्धि अभिशाप है
  • धन्य हो तुम, जो दीन हो, क्योंकि परमेश्वर का राज्य तुम्हारा है। (लूका ६:२०)
🌺सांसारिक समृद्धि अभिशाप नहीं है

🌹३०. बुद्धि शोक और क्लेश का कारण है
  • क्योंकि बहुत बुद्धि के साथ बहुत खेद भी होता है, और जो अपना ज्ञान बढ़ाता है वह अपना दु:ख भी बढ़ाता है। (सभोपदेशक १:१८)
🌺बुद्धि प्रसन्नता का कारण है
  • क्या ही धन्य है वह मनुष्य जो बुद्धि पाए, और वह मनुष्य जो समझ प्राप्त करे, क्योंकि बुद्धि की प्राप्ति चान्दी की प्राप्ति से बड़ी, और उसका लाभ चोखे सोने के लाभ से भी उत्तम है। (नीतिवचन ३:१३,१४)


बाइबल Vs वेद (भाग ६)
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