✍️ लेखक ➩ अरुण कुमार आर्यवीर
🌹१. यीशु ने सहिष्णुता की शिक्षा दी
- परन्तु जो कोई तेरे दाहिने गाल पर थप्पड़ मारे, उस की ओर दूसरा भी फेर दे। (मत्ती ५:३९)
- क्योंकि जो तलवार चलाते हैं, वे सब तलवार से नाश किए जाएंगे। (मत्ती २६:५२)
🌺यीशु ने असहिष्णुता की शिक्षा दी
- किसी के पास तलवार न हो वह अपने कपड़े बेचकर एक मोल ले। (लूका २२:३६)
- और रस्सियों का को ड़ा बनाकर, सब भेड़ों और बैलों को मन्दिर से निकाल दिया, और सर्राफों के पैसे बिथरा दिए, और पीढ़ों को उलट दिया। (यूहन्ना २:१५)
🌹२. यीशु की अनुयायियों को उपदेश की मरने से न डरो
- परन्तु मैं तुम से जो मेरे मित्र हो कहता हूं, कि जो शरीर को घात करते हैं परन्तु उसके पीछे और कुछ नहीं कर सकते उन से मत डरो। (लूका १२:४)
🌺यीशु स्वयं मारे जाने से डरता फिरा
- इन बातों के बाद यीशु गलील में फिरता रहा, क्योंकि यहूदी उसे मार डालने का यत्न कर रहे थे, इसलिये वह यहूदिया में फिरना न चाहता था। (यूहन्ना ७:१)
🌹३. सबथ के रोज (सातवें रोज) कोई काम न किया जाए
- छ: दिन तो काम काज किया जाए, पर सातवां दिन पर मविश्राम का दिन और यहोवा के लिये पवित्र है; इसलिये जो कोई विश्राम के दिन में कुछ काम काज करे वह निश्चय मार डाला जाए। (निर्गमण ३१:१५)
🌺यीशु ने सबथ के दिन काम किया
- इस कारण यहूदी यीशु को सताने लगे, क्योंकि वह ऐसे ऐसे काम सब्त के दिन करता था। (यूूहन्ना ५:१६)
🌹४. बप्तिस्मे की आज्ञा
- इसलिये तुम जाकर सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ और उन्हें पिता और पुत्र और पवित्रआत्मा के नाम से बपतिस्मा दो। (मत्ती २८:१९)
🌺बप्तिस्मे का निषेध
- क्योंकि मसीह ने मुझे बपतिस्मा देने को नहीं, वरन सुसमाचार सुनाने को भेजा है। (१ कुरिन्थियों १:१७)
🌹५. हर प्रकार के जानवरों को खाने की आज्ञा
- सब चलने वाले जन्तु तुम्हारा आहार होंगे; जैसा तुम को हरे हरे छोटे पेड़ दिए थे, वैसा ही अब सब कुछ देता हूं। (उत्पत्ति ९:३)
- जो कुछ कस्साइयों के यहां बिकता है, वह खाओ और विवेक के कारण कुछ न पूछो। (१ कुरिन्थियों १०:२५)
🌺 हर प्रकार के जानवरों को खाने की आज्ञा नहीं है
- परन्तु पागुर करने वाले वा चिरे खुर वालों में से इन पशुओं को, अर्थात ऊंट, खरहा, और शापान को न खाना, क्योंकि ये पागुर तो करते हैं परन्तु चिरे खुर के नही होते, इस कारण वे तुम्हारे लिये अशुद्ध हैं। (व्यवस्थाविवरण १४:७)
🌹६. शपथ खाने की आज्ञा
- कि जब कोई पुरूष यहोवा की मन्नत माने, वा अपने आप को वाचा से बान्धने के लिये शपथ खाए, तो वह अपना वचन न टाले; जो कुछ उसके मुंह से निकला हो उसके अनुसार वह करे। (गिनती ३०:२)
- और जो कोई देश में शपथ खाए वह सच्चे परमेश्वर के नाम से शपथ खाएगा। (यशायाह ६५:१६)
- और परमेश्वर ने इब्राहीम को प्रतिज्ञा देते समय जब कि शपथ खाने के लिये किसी को अपने से बड़ा न पाया, तो अपनी ही शपथ खाकर कहा। (इब्रानियों ६:१३)
🌺शपथ खाने का निषेध
- परन्तु मैं तुम से यह कहता हूं, कि कभी शपथ न खाना; न तो स्वर्ग की, क्योंकि वह परमेश्वर का सिंहासन है। (मत्ती ५:३४)
🌹७. विवाह का अनुमोदन और आज्ञा
- और परमेश्वर ने उन को आशीष दी: और उन से कहा, फूलो-फलो, और पृथ्वी में भर जाओ। (उत्पत्ति १:२८)
- फिर यहोवा परमेश्वर ने कहा, आदम का अकेला रहना अच्छा नहीं; मैं उसके लिये एक ऐसा सहायक बनाऊंगा जो उससे मेल खाए। (उत्पत्ति २:१८)
- कि इस कारण मनुष्य अपने माता पिता से अलग होकर अपनी पत्नी के साथ रहेगा और वे दोनों एक तन होंगे। (मत्ती १९:५)
- विवाह सब में आदर की बात समझी जाए। (इब्रानियों १३:४)
🌺विवाह का निषेध
- परन्तु मैं अविवाहितों और विधवाओं के विषय में कहता हूं, कि उन के लिये ऐसा ही रहना अच्छा है, जैसा मैं हूं। (१ कुरिन्थियों ७:८)
🌹८. स्त्री के त्याग की आज्ञा
- यदि कोई पुरूष किसी स्त्री को ब्याह ले, और उसके बाद उसमें लज्जा की बात पाकर उस से अप्रसन्न हो, तो वह उसके लिये त्यागपत्र लिखकर और उसके हाथ में देकर उसको अपने घर से निकाल दे। (व्यवस्थाविवरण २४:१)
🌺स्त्री के त्याग का निषेध
- परन्तु मैं तुम से यह कहता हूं कि जो कोई अपनी पत्नी को व्यभिचार के सिवा किसी और कारण से छोड़ दे, तो वह उस से व्यभिचार करवाता है; और जो कोई उस त्यागी हुई से ब्याह करे, वह व्यभिचार करता है। (मत्ती ५:३२)
🌹९. व्यभिचार की आज्ञा
- परन्तु जितनी लड़कियों ने पुरूष का मुंह न देखा हो उन सभों को तुम अपने लिये जीवित रखो। (गिनती ३१:१८)
- जब यहोवा ने होशे के द्वारा पहिले पहिल बातें कीं, तब उसने होशे से यह कहा, जा कर एक वेश्या को अपनी पत्नी बना ले, और उसके कुकर्म के लड़के-बालों को अपने लड़के-बाले कर ले। (होशे १:२)
🌺व्यभिचार का निषेध
- तू व्यभिचार न करना। (निर्गमण २०:१४)
- विवाह सब में आदर की बात समझी जाए, और बिछौना निष्कलंक रहे; क्योंकि परमेश्वर व्यभिचारियों, और परस्त्रीगामियों का न्याय करेगा। (इब्रानियों १३:४)
🌹१०. बहन से विवाह और व्यभिचार की निन्दा
- और यदि कोई अपनी बहिन का, चाहे उसकी संगी बहिन हो चाहे सौतेली, उसका नग्न तन देखे, तो वह निन्दित बात है, वे दोनों अपने जाति भाइयों की आंखों के साम्हने नाश किए जाएं। (लैव्यव्यवस्था २०:१७)
- शापित हो वह जो अपनी बहिन, चाहे सगी हो चाहे सौतेली, उस से कुकर्म करे। तब सब लोग कहें। (व्यवस्थाविवरण २७:२२)
🌺भाई–बहन के विवाह में ईश्वर का आशीर्वाद
- और फिर भी सचमुच वह मेरी बहिन है, वह मेरे पिता की बेटी तो है पर मेरी माता की बेटी नहीं; फिर वह मेरी पत्नी हो गई। (उत्पत्ति २०:१२)
🌹११. अपने भाई की विधवा से विवाह की आज्ञा
- जब कोई भाई संग रहते हों, और उन में से एक निपुत्र मर जाए, तो उसकी स्त्री का ब्याह पर गोत्री से न किया जाए; उसके पति का भाई उसके पास जा कर उसे अपनी पत्नी कर ले, और उस से पति के भाई का धर्म पालन करे। और जो पहिला बेटा उस स्त्री से उत्पन्न हो वह उस मरे हुए भाई के नाम का ठहरे। (व्यवस्थाविवरण २५:५,६)
🌺अपने भाई की विधवा से विवाह का निषेध
- और यदि कोई भौजी वा भयाहू को अपनी पत्नी बनाए, तो इसे घिनौना काम जानना। (लैव्यव्यवस्था २०:२१)
🌹१२. कुटुम्बियों से नफ़रत करने की आज्ञा
- यदि कोई मेरे पास आए, और अपने पिता और माता और पत्नी और लड़के बालों और भाइयों और बहिनों बरन अपने प्राण को भी अप्रिय न जाने, तो वह मेरा चेला नहीं हो सकता। (लूका १४:२६)
🌺कुटुम्बियों से घृणा का विरोध
- हे पतियों, अपनी अपनी पत्नी से प्रेम रखो। (इफिसियों ५:२५)
- अपनी माता और पिता का आदर कर। (इफिसियों ६:२)
🌹१३. नशा पीने की आज्ञा
- और वहां गाय-बैल, वा भेड़-बकरी, वा दाखमधु, वा मदिरा, वा किसी भांति की वस्तु क्यों न हो, जो तेरा जी चाहे, उसे उसी रूपये से मोल ले कर अपने घराने समेत अपने परमेश्वर यहोवा के साम्हने खाकर आनन्द करना। (व्यवस्थाविवरण १४:२६)
- दाखलता ने उन से कहा, क्या मैं अपने नये मधु को छोड़, जिस से परमेश्वर और मनुष्य दोनों को आनन्द होता है। (न्यायियों ९:१३)
🌺नशा पीने का विरोध
- दाखमधु ठट्ठा करने वाला और मदिरा हल्ला मचाने वाली है; जो कोई उसके कारण चूक करता है, वह बुद्धिमान नहीं। (नीतिवचन २०:१)
- जब दाखमधु लाल दिखाई देता है, और कटोरे में उसका सुन्दर रंग होता है, और जब वह धार के साथ उण्डेला जाता है, तब उस को न देखना। क्योंकि अन्त में वह सर्प की नाईं डसता है, और करैत के समान काटता है। (नीतिवचन २३:३१,३२)
🌹१४. राजा की आज्ञा मानना कर्त्तव्य है
- शास्त्री और फरीसी मूसा की गद्दी पर बैठे हैं। इसलिये वे तुम से जो कुछ कहें वह करना, और मानना। (मत्ती २३:२,३)
- प्रभु के लिये मनुष्यों के ठहराए हुए हर एक प्रबन्ध के आधीन में रहो, राजा के इसलिये कि वह सब पर प्रधान है। (१ पतरस २:१३)
🌺राजा की आज्ञा न मानने का उपदेश
- शद्रक, मेशक और अबेदनगो ने राजा से कहा, हे नबूकदनेस्सर, इस विषय में तुझे उत्तर देने का हमें कुछ प्रयोजन नहीं जान पड़ता। हमारा परमेश्वर, जिसकी हम उपासना करते हैं वह हम को उस धधकते हुए भट्टे की आग से बचाने की शक्ति रखता है; वरन हे राजा, वह हमें तेरे हाथ से भी छुड़ा सकता है। (दानिय्येल ३:१६,१७)
🌹१५. नारी के अधिकारों का निषेध
- तेरी लालसा तेरे पति की ओर होगी, और वह तुझ पर प्रभुता करेगा। (उत्पत्ति ३:१३)
- स्त्रियां कलीसिया की सभा में चुप रहें, क्योंकि उन्हें बातें करने की आज्ञा नहीं, परन्तु आधीन रहने की आज्ञा है: जैसा व्यवस्था में लिखा भी है। (१ कुरिन्थियों १४:३४)
🌺नारी के अधिकारों का समर्थन
- उस समय लप्पीदोत की स्त्री दबोरा जो नबिया थी इस्राएलियों का न्याय करती थी। (न्यायियों ४:४)
- वरन मैं अपने दासों और अपनी दासियों पर भी उन दिनों में अपने आत्मा में से उंडेलूंगा, और वे भविष्यद्वाणी करेंगे। (प्रेरितों के काम २:९८)
🌹१६. स्वामी की आज्ञा का आदेश
- हे सेवकों, हर प्रकार के भय के साथ अपने स्वामियों के आधीन रहो, न केवल भलों और नम्रों के, पर कुटिलों के भी। (१ पतरस २:१८)
- सेवकों, जो शरीर के अनुसार तुम्हारे स्वामी हैं, सब बातों में उन की आज्ञा का पालन करो, मनुष्यों को प्रसन्न करने वालों की नाईं दिखाने के लिये नहीं, परन्तु मन की सीधाई और परमेश्वर के भय से। (कुलुस्सियों २:२२)
🌺केवल ईश्वर की आज्ञा माननी चाहिए
- तू प्रभु अपने परमेश्वर को प्रणाम कर, और केवल उसी की उपासना कर। (मत्ती ४:१०)
- और स्वामी भी न कहलाना, क्योंकि तुम्हारा एक ही स्वामी है, अर्थात मसीह। (मत्ती २३:१०)
🌹१७. एलिय्याह स्वर्ग पर चढ़ गया
- और एलिय्याह बवंडर में हो कर स्वर्ग पर चढ़ गया। (२ राजा २:११)
🌺यीशु के अतिरिक्त कोई भी स्वर्ग पर नहीं गया
- और कोई स्वर्ग पर नहीं चढ़ा, केवल वही जो स्वर्ग से उतरा, अर्थात मनुष्य का पुत्र जो स्वर्ग में है। (यूहन्ना ३:१३)
🌹१८. मनुष्य अन्य जानवरों के पश्चात उत्पन्न हुआ
- सो परमेश्वर ने पृथ्वी के जाति जाति के वन पशुओं को, और जाति जाति के घरेलू पशुओं को, और जाति जाति के भूमि पर सब रेंगने वाले जन्तुओं को बनाया: और परमेश्वर ने देखा कि अच्छा है। फिर परमेश्वर ने कहा, हम मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार अपनी समानता में बनाएं। (उत्पत्ति १:२५,२६)
🌺मनुष्य अन्य जानवरों के पूर्व उत्पन्न हुआ
- और यहोवा परमेश्वर भूमि में से सब जाति के बनैले पशुओं, और आकाश के सब भाँति के पक्षियों को रचकर आदम के पास ले आया कि देखें। (उत्पत्ति २:१९)
🌹१९. मूसा बड़ा नर्म मनुष्य था
- मूसा तो पृथ्वी भर के रहने वाले मनुष्यों से बहुत अधिक नम्र स्वभाव का था। (गिनती १२:३)
🌺मूसा बड़ा क्रूर मनुष्य था
- सो अब बाल-बच्चों में से हर एक लड़के को, और जितनी स्त्रियों ने पुरूष का मुंह देखा हो उन सभों को घात करो। (गिनती ३१:१७)
🌹२०. बोना और काटना बन्द न होगा
- अब से जब तक पृथ्वी बनी रहेगी, तब तक बोने और काटने के समय, ठण्ड और तपन, धूपकाल और शीतकाल, दिन और रात, निरन्तर होते चले जाएंगे। (उत्पत्ति ८:२२)
🌺बोना और काटना सात वर्ष तक बन्द रहा
- और यूसुफ के कहने के अनुसार सात वर्षों के लिये अकाल आरम्भ हो गया। (उत्पत्ति ४१:५४)
- क्योंकि अब दो वर्ष से इस देश में अकाल है; और अब पांच वर्ष और ऐसे ही होंगे, कि उन में न तो हल चलेगा और न अन्न काटा जाएगा। (उत्पत्ति ४५:६)
🌹२१. ईश्वर ने फिरौन के हृदय को कठोर कर दिया
- परन्तु मैं उसके मन को हठीला करूंगा, और वह मेरी प्रजा को जाने न देगा। (निर्गमण ४:२१)
🌺फिरौन ने अपना हृदय स्वयं कठोर किया
- परन्तु जब फिरोन ने देखा कि अब आराम मिला है तक यहोवा के कहने के अनुसार उसने फिर अपने मन को कठोर किया, और उनकी न सुनी। (निर्गमण ८:१५)
🌹२२. मिस्र के तमाम पशु मर गए
- दूसरे दिन यहोवा ने ऐसा ही किया; और मिस्र के तो सब पशु मर गए, परन्तु इस्राएलियों का एक भी पशु न मरा। (निर्गमण ९:६)
🌺मिस्र के तमाम पशु नहीं मरे
- पर फिरौन के सब घोड़ों, और रथों, और सवारों समेत मिस्री सेना ने उनका पीछा करके उन्हें, जो पीहहीरोत के पास, बालसपोन के साम्हने, समुद्र के तीर पर डेरे डाले पड़े थे, जा लिया। (निर्गमण १४:९)
🌹२३. मरियम के पति यूसुफ का पिता याकूब था
- और याकूब से यूसुफ उत्पन्न हुआ; जो मरियम का पति था जिस से यीशु जो मसीह कहलाता है उत्पन्न हुआ। (मत्ती १:१६)
🌺मरियम के पति का पिता एली था
- जब यीशु आप उपदेश करने लगा, जो लगभग तीस वर्ष की आयु का था और यूसुफ का पुत्र था; और वह एली का। (लूका ३:२३)
🌹२४. बालक यीशु को मिश्र ले गए
- वह रात ही को उठकर बालक और उस की माता को लेकर मिस्र को चल दिया। (मत्ती २:१४)
🌺 बालक यीशु को मिस्र नहीं ले गए
- और जब मूसा की व्यवस्था के अनुसार उन के शुद्ध होने के दिन पूरे हुए तो वे उसे यरूशलेम में ले गए। (लूका २:२२)
🌹२५. दो अन्धों ने यीशु से विनती की
- जब वे यरीहो से निकल रहे थे, तो एक बड़ी भीड़ उसके पीछे हो ली। और देखो, दो अन्धे, जो सड़कर के किनारे बैठे थे, यह सुनकर कि यीशु जा रहा है, पुकारकर कहने लगे; कि हे प्रभु, दाऊद की सन्तान, हम पर दया कर। (मत्ती २०:२९,३०)
🌺 एक अंधे ने यीशु से बिनती की
- जब वह यरीहो के निकट पहुंचा, तो एक अन्धा सड़क के किनारे बैठा हुआ भीख मांग रहा था। तब उस ने पुकार के कहा, हे यीशु दाऊद की सन्तान, मुझ पर दया कर। (लूका १८:३५,३९)
🌹२६. दो आदमी कब्र से निकलकर यीशु से मिले
- जब वह उस पार गदरेनियों के देश में पहुंचा, तो दो मनुष्य जिन में दुष्टात्माएं थीं कब्रों से निकलते हुए उसे मिले, जो इतने प्रचण्ड थे, कि कोई उस मार्ग से जा नहीं सकता था। (मत्ती ८:२८)
🌺एक आदमी कब्र से निकलकर यीशु से मिला
- और वे झील के पार गिरासेनियों के देश में पहुंचे। और जब वह नाव पर से उतरा तो तुरन्त एक मनुष्य जिस में अशुद्ध आत्मा थी कब्रों से निकल कर उसे मिला। (मरकुस ५:१,२)
🌹२७. सुबेदार ने दास को निरोग करने की प्रार्थना की
- और जब वह कफरनहूम में आया तो एक सूबेदार ने उसके पास आकर उस से बिनती की। कि हे प्रभु, मेरा सेवक घर में झोले का मारा बहुत दुखी पड़ा है। (मत्ती ८:५,६)
🌺सुबेदार के नौकरों ने दास को निरोग करने की प्रार्थना की
- जब वह लोगों को अपनी सारी बातें सुना चुका, तो कफरनहूम में आया। और किसी सूबेदार का एक दास जो उसका प्रिय था, बीमारी से मरने पर था। उस ने यीशु की चर्चा सुनकर यहूदियों के कई पुरनियों को उस से यह बिनती करने को उसके पास भेजा, कि आकर मेरे दास को चंगा कर। (लूका ७:१,२,३)
🌹२८. यीशु को तीसरे घण्टे फांसी दी गई
- और पहर दिन चढ़ा था, जब उन्होंने उस को क्रूस पर चढ़ाया। (मरकुस २५:२५)
🌺यीशु को छठे घण्टे फांसी दी गई
- यह फसह की तैयारी का दिन था और छठे घंटे के लगभग था: तब उस ने यहूदियों से कहा, देखो, यही है, तुम्हारा राजा! परन्तु वे चिल्लाए कि ले जा! ले जा! उसे क्रूस पर चढ़ा। (यूहन्ना १९:१४,१५)
🌹२९. केवल एक ने यीशु की निन्दा की
- जो कुकर्मी लटकाए गए थे, उन में से एक ने उस की निन्दा करके कहा। (लूका २३:३९)
🌺उन दोनों ने यीशु की निन्दा की
- और जो उसके साथ क्रूसों पर चढ़ाए गए थे, वे भी उस की निन्दा करते थे। (मरकुस १५:३२)
🌹३०. यहूदा ने चांदी के रुपए वापिस कर दिए
- जब उसके पकड़वाने वाले यहूदा ने देखा कि वह दोषी ठहराया गया है तो वह पछताया और वे तीस चान्दी के सिक्के महायाजकों और पुरनियों के पास फेर लाया। (मत्ती २७:३)
🌺यहूदा ने चांदी के रुपए वापिस नहीं किए
- उस ने अधर्म की कमाई से एक खेत मोल लिया। (प्रेरितों के काम १:१८)
- धन्य हो तुम, जो दीन हो, क्योंकि परमेश्वर का राज्य तुम्हारा है। (लूका ६:२०)
🌺धन ईश्वर की देन है
- धनी का धन उसका दृढ़ नगर है, परन्तु कंगाल लोग निर्धन होने के कारण विनाश होते हैं। (नीतिवचन १०:१५)
🙏🙏🙏 नमस्ते 🙏🙏🙏
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