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सोमवार, 29 जुलाई 2019

बाइबल में परस्पर विरोधी वचन (अन्तिम भाग)

✍️ लेखक ➩ अरुण कुमार आर्यवीर


🌹१. यहूदा ने अपने को आप ही फांसी दी
  • तब वह उन सिक्कों मन्दिर में फेंककर चला गया, और जाकर अपने आप को फांसी दी। (मत्ती २७:५)
🌺यहूदा फांसी ‌‌‌से नहीं मरा

🌹२. महायाजकों ने कुम्हार के खेत को खरीदा
  •  सो उन्होंने सम्मति करके उन सिक्कों से परदेशियों के गाड़ने के लिये कुम्हार का खेत मोल ले लिया। (मत्ती २७:७)
🌺यहूदा ने कुम्हार के खेत को खरीदा
  • उस ने अधर्म की कमाई से एक खेत मोल लिया। (प्रेरितों के काम १:१८)

🌹३. केवल एक स्त्री कब्र पर आई
  • सप्ताह के पहिले दिन मरियम मगदलीनी भोर को अंधेरा रहते ही कब्र पर आई, और पत्थर को कब्र से हटा हुआ देखा। (यूहन्ना २०:१)
🌺दो स्त्रियां कब्र पर आई
  • सब्त के दिन के बाद सप्ताह के पहिले दिन पह फटते ही मरियम मगदलीनी और दूसरी मरियम कब्र को देखने आईं। (मत्ती २८:१)

🌹४. तीन स्त्रीयां कब्र पर आई
  • जब सब्त का दिन बीत गया, तो मरियम मगदलीनी और याकूब की माता मरियम और शलोमी ने सुगन्धित वस्तुएं मोल लीं, कि आकर उस पर मलें। (मरकुस १६:१)
🌺तीन से अधिक स्त्रियां कब्र पर आई
  • जिन्हों ने प्रेरितों से ये बातें कहीं, वे मरियम मगदलीनी और योअन्ना और याकूब की माता मरियम और उन के साथ की और स्त्रियां भी थीं। (लूका २४:१०)

🌹५. कब्र के निकट दो फरिश्ते दिखाई दिए
  • जब वे इस बात से भौचक्की हो रही थीं तो देखो, दो पुरूष झलकते वस्त्र पहिने हुए उन के पास आ खड़े हुए। (लूका २४:४)
🌺कब्र से निकट एक फरिश्ता दिखाई दिया
  • और देखो एक बड़ा भुईंडोल हुआ, क्योंकि प्रभु का एक दूत स्वर्ग से उतरा, और पास आकर उसने पत्थर को लुढ़का दिया, और उस पर बैठ गया। (मत्ती २८:२)

बाइबल में परस्पर विरोधी वचन

🌹६. दो फरिश्ते कब्र के अंदर दिखाई दिए
  • परन्तु मरियम रोती हुई कब्र के पास ही बाहर खड़ी रही और रोते रोते कब्र की ओर झुककर, दो स्वर्गदूतों को उज्ज़वल कपड़े पहिने हुए एक को सिरहाने और दूसरे को पैताने बैठे देखा, जहां यीशु की लोथ पड़ी थी। (यूहन्ना २०:११,१२)
🌺केवल एक फरिश्ता कब्र के अंदर दिखाई दिया
  • और कब्र के भीतर जाकर, उन्होंने एक जवान को श्वेत वस्त्र पहिने हुए दाहिनी ओर बैठे देखा, और बहुत चकित हुईं। (मरकुस १६:५)
🌺कब्र के बाहर एक फरिश्ता दिखाई दिया
  • और देखो एक बड़ा भुईंडोल हुआ, क्योंकि प्रभु का एक दूत स्वर्ग से उतरा, और पास आकर उसने पत्थर को लुढ़का दिया, और उस पर बैठ गया। (मत्ती २८:२)

🌹७. स्त्रियों ने यीशु के चेलों को खबर दी
  • और वे भय और बड़े आनन्द के साथ कब्र से शीघ्र लौटकर उसके चेलों को समाचार देने के लिये दौड़ गई। (मत्ती २८:८)
  • और कब्र से लौटकर उन्होंने उन ग्यारहों को, और, और सब को, ये बातें कह सुनाईं। (लूका २४:९)
🌺स्त्रियों ने यीशु के चेलों को खबर नहीं दी
  • और वे निकलकर कब्र से भाग गईं; क्योंकि कपकपी और घबराहट उन पर छा गई थीं और उन्होंने किसी से कुछ न कहा, क्योंकि डरती थीं (मरकुस १६:८)

🌹८. पतरस के कब्र देखने के बाद फरिश्ते दिखाई दिया
  • तब पतरस और वह दूसरा चेला निकलकर कब्र की ओर चले। तब शमौन पतरस उसके पीछे पीछे पहुंचा और कब्र के भीतर गया और कपड़े पड़े देखे। तब ये चेले अपने घर लौट गए। दो स्वर्गदूतों को उज्ज़वल कपड़े पहिने हुए एक को सिरहाने और दूसरे को पैताने बैठे देखा, जहां यीशु की लोथ पड़ी थी। (यूहन्ना २०:३,६,१०,१२)
🌺फरिश्ते दिखाई देने के बाद पतरस ने कब्र को देखा
  • जब वे इस बात से भौचक्की हो रही थीं तो देखो, दो पुरूष झलकते वस्त्र पहिने हुए उन के पास आ खड़े हुए। तब उस की बातें उन को स्मरण आईं। और कब्र से लौटकर उन्होंने उन ग्यारहों को, और, और सब को, ये बातें कह सुनाईं। तब पतरस उठकर कब्र पर दौड़ गया, और झुककर केवल कपड़े पड़े देखे, और जो हुआ था, उस से अचम्भा करता हुआ, अपने घर चला गया। (लूका २४:४,८,९,१२)

🌹९. मरियम मकदालीन को यीशु पहले दिखाई दिया
  • जब वह अस्सुस में हमें मिला तो हम उसे चढ़ाकर मितुलेने में आए। (यूहन्ना २०:१४)
🌺दो मरियम को यीशु पहले दिखाई दिया
  • और देखो, यीशु उन्हें मिला और कहा; ‘सलाम’और उन्होंने पास आकर और उसके पाँव पकड़कर उस को दणडवत किया। (मत्ती २८:९)

🌹१०. यीशु ने गलील के पहाड़ पर पहले दर्शन दिए
  • और ग्यारह चेले गलील में उस पहाड़ पर गए, जिसे यीशु ने उन्हें बताया था। और उन्होंने उसके दर्शन पाकर उसे प्रणाम किया, पर किसी किसी को सन्देह हुआ। (मत्ती २८:१६,१७)
🌺यीशु ने यरूशलेम में पहले दर्शन दिए
  •  वे उसी घड़ी उठकर यरूशलेम को लौट गए, और उन ग्यारहों और उन के साथियों को इकट्ठे पाया।  वे ये बातें कह ही रहे ये, कि वह आप ही उन के बीच में आ खड़ा हुआ; और उन से कहा, तुम्हें शान्ति मिले। (लूका २४:३३,३६)
बाइबल में परस्पर विरोधी वचन

🌹११. उसके साथियों ने आवाज सुनी पर किसी को नहीं देखा
  • जो मनुष्य उसके साथ थे, वे चुपचाप रह गए; क्योंकि शब्द तो सुनते थे, परन्तु किसी को दखते न थे। (प्रेरितों के काम ९:७)
🌺उसके  साथियों ने आवाज नहीं सुनी पर ज्योति को देखा
  • और मेरे साथियों ने ज्योति तो देखी, परन्तु जो मुझ से बोलता था उसका शब्द न सुना। (प्रेरितों के काम २२:८)

🌹१२. इब्राहिम के केबल एक बेटा था
  • और जिस से यह कहा गया था, कि इसहाक से तेरा वंश कहलाएगा; वह अपने एकलौते को चढ़ाने लगा। (इब्रानियों ११:१८)
🌺इब्राहिम के दो बेटे थे
  • यह लिखा है, कि इब्राहीम के दो पुत्र हुए; एक दासी से, और एक स्वतंत्र स्त्री से। ( गलातियों ४:२२)

🌹१३. कतूरा इब्राहिम की पत्नी थी
  • तब इब्राहीम ने एक और पत्नी ब्याह ली जिसका नाम कतूरा था। (उत्पत्ति २५:१)
🌺कतूरा इब्राहिम की रखैल थी

🌹१४. मीकल निःसन्तान थी
  • और शाऊल की बेटी मीकल के मरने के दिन तक उसके कोई सन्तान न हुआ। (२ शमूएल ६:२३)
🌺मीकल के पांच बच्चे थे
  • और शाऊल की बेटी मीकल के पांचों बेटे। (२ शमूएल २१:८)

🌹१५. इस्राइल के आठ लाख लड़ाका थे और यहूदा के पांच लाख
  • तब योआब ने प्रजा की गिनती का जोड़ राजा को सुनाया; और तलवार चलाने वाले योद्धा इस्राएल के तो आठ लाख, और यहूदा के पांच लाख निकले। (२ शमूएल २४:९)
🌺इस्राइल के ग्यारह लाख लड़ाका थे और यहूदा के चार लाख सत्तर हजार
  • तब योआब ने प्रजा की गिनती का जोड़, दाऊद को सुनाया और सब तलवारिये पुरुष इस्राएल के तो ग्यारह लाख, और यहूदा के चार लाख सत्तर हजार ठहरे। (१ इतिहास २१:५)
बाइबल में परस्पर विरोधी वचन

🌹१६. दाऊद ने सात सौ रथियों और चालीस हजार सवारों को मार डाला
  • और चालीस हजार सवारों को मार डाला। (२ शमूएल १०:१८)
🌺दाऊद ने सात हजार रथियों और चालीस हजार सवारों को मार डाला
  • दाऊद ने उन में से सात हजार रथियों और चालीस हजार प्यादों को मार डाला। (१ इतिहास १९:१८)

🌹१७. यीशु ईश्वर के समान है
  • मैं और पिता एक हैं। (यूहन्ना १०:३०)
🌺यीशु ईश्वर के समान नहीं है
  • मैं पिता के पास जाता हूं क्योंकि पिता मुझ से बड़ा है। (यूहन्ना १४:२८)

🌹१८. यीशु न्याय करता है
  • और पिता किसी का न्याय भी नहीं करता, परन्तु न्याय करने का सब काम पुत्र को सौंप दिया है। (यूहन्ना ५:२२)
🌺यीशु न्याय नहीं करता है
  • मैं किसी का न्याय नहीं करता। (यूहन्ना ८:१४)

🌹१९. यीशु सर्वशक्तिमान है
  • पिता पुत्र से प्रेम रखता है, और उस ने सब वस्तुएं उसके हाथ में दे दी हैं। (यूहन्ना ३:३४)
🌺यीशु सर्वशक्तिमान नहीं है
  • और वह वहां कोई सामर्थ का काम न कर सका, केवल थोड़े बीमारों पर हाथ रखकर उन्हें चंगा किया। (मरकुस ६:५)

🌹२०. व्यवस्था रद्द की गई
  • और अपने शरीर में बैर अर्थात वह व्यवस्था जिस की आज्ञाएं विधियों की रीति पर थीं, मिटा दिया, कि दोनों से अपने में एक नया मनुष्य उत्पन्न करके मेल करा दे। (इफिसियों २:१५)
🌺व्यवस्था कायम रहेगी
  • लोप करने नहीं, परन्तु पूरा करने आया हूं, क्योंकि मैं तुम से सच कहता हूं, कि जब तक आकाश और पृथ्वी टल न जाएं, तब तक व्यवस्था से एक मात्रा या बिन्दु भी बिना पूरा हुए नहीं टलेगा। (मत्ती ५:१८)

बाइबल में परस्पर विरोधी वचन

🌹२१. यीशु का उद्देश्य शान्ति था
  • कि आकाश में परमेश्वर की महिमा और पृथ्वी पर उन मनुष्यों में जिनसे वह प्रसन्न है शान्ति हो। (लूका २:१४)
🌺यीशु का उद्देश्य शान्ति न था
  • यह न समझो, कि मैं पृथ्वी पर मिलाप कराने को आया हूं; मैं मिलाप कराने को नहीं, पर तलवार चलवाने आया हूं। (मत्ती १०:३४)

🌹२२. यीशु मनुष्य से गवाही नहीं चाहता
  • परन्तु मैं अपने विषय में मनुष्य की गवाही नहीं चाहता। (यूहन्ना ५:३४)
🌺यीशु मनुष्य से गवाही चाहता है
  • और तुम भी गवाह हो क्योंकि तुम आरम्भ से मेरे साथ रहे हो। (यूहन्ना १५:२७)

🌹२३. यीशु की अपने लिए गवाही अच्छी है
  • एक तो मैं आप अपनी गवाही देता हूं, और दूसरा पिता मेरी गवाही देता है जिस ने मुझे भेजा। (यूहन्ना ८:१८)
🌺यीशु की अपने लिए गवाही झूठी है
  • यदि मैं आप ही अपनी गवाही दूं; तो मेरी गवाही सच्ची नहीं। (यूहन्ना ५:३१)

🌹२४. यीशु को मारना यहूदियों की व्यवस्था अनुसार था
  • यहूदियों ने उस को उत्तर दिया, कि हमारी भी व्यवस्था है और उस व्यवस्था के अनुसार वह मारे जाने के योग्य है क्योंकि उस ने अपने आप को परमेश्वर का पुत्र बनाया। (यूहन्ना १९:७)
🌺यीशु को मारना यहूदियों की व्यवस्था अनुसार नहीं था
  • पीलातुस ने उन से कहा, तुम ही इसे ले जाकर अपनी व्यवस्था के अनुसार उसका न्याय करो: यहूदियों ने उस से कहा, हमें अधिकार नहीं कि किसी का प्राण लें। (यूहन्ना १८:३१)

🌹२५. बच्चे अपने माता-पिता के कर्मों का दण्ड भोगेंगे
  • क्योंकि मैं तेरा परमेश्वर यहोवा जलन रखने वाला ईश्वर हूं, और जो मुझ से बैर रखते है, उनके बेटों, पोतों, और परपोतों को भी पितरों का दण्ड दिया करता हूं। (निर्गमण २०:५)
🌺बच्चे अपने माता-पिता के कर्मों का दण्ड नहीं भोगेंगे
  • जो प्राणी पाप करे वही मरेगा, न तो पुत्र पिता के अधर्म का भार उठाएगा और न पिता पुत्र का; धमीं को अपने ही धर्म का फल, और दुष्ट को अपनी ही दुष्टता का फल मिलेगा। (यहेजकेल १८:२०)
बाइबल में परस्पर विरोधी वचन

🌹२६. केवल व्यवस्था से मनुष्य जांचा जाएगा
  • क्योंकि परमेश्वर के यहां व्यवस्था के सुनने वाले धर्मी नहीं, पर व्यवस्था पर चलने वाले धर्मी ठहराए जाएंगे। (रोमियों २:१३)
🌺केवल व्यवस्था से मनुष्य नहीं जांचा जाएगा
  • क्योंकि व्यवस्था के कामों से कोई प्राणी उसके साम्हने धर्मी नहीं ठहरेगा, इसलिये कि व्यवस्था के द्वारा पाप की पहिचान होती है। (रोमियों ३:२०)

🌹२७. कोई भी पाप नहीं करता
  • जो कोई परमेश्वर से जन्मा है वह पाप नहीं करता; क्योंकि उसका बीज उस में बना रहता है: और वह पाप कर ही नहीं सकता, क्योंकि परमेश्वर से जन्मा है। (१ यूहन्ना ३:९)
🌺पाप से कोई नहीं बच सकता
  • नि:सन्देह पृथ्वी पर कोई ऐसा धर्मी मनुष्य नहीं जो भलाई ही करे और जिस से पाप न हुआ हो। (सभोपदेशक ७:२०)

🌹२८. कर्मों का फल यहीं दिया जाएगा
  • देख, धर्मी को पृथ्वी पर फल मिलेगा, तो निश्चय है कि दुष्ट और पापी को भी मिलेगा। (नीतिवचन ११:३१)
🌺कर्मों का फल स्वर्ग में मिलेगा
  • मनुष्य का पुत्र अपने स्वर्गदूतों के साथ अपने पिता की महिमा में आएगा, और उस समय वह हर एक को उसके कामों के अनुसार प्रतिफल देगा। (मत्ती १६:२७)

🌹२९. सांसारिक समृद्धि अभिशाप है
  • धन्य हो तुम, जो दीन हो, क्योंकि परमेश्वर का राज्य तुम्हारा है। (लूका ६:२०)
🌺सांसारिक समृद्धि अभिशाप नहीं है

🌹३०. बुद्धि शोक और क्लेश का कारण है
  • क्योंकि बहुत बुद्धि के साथ बहुत खेद भी होता है, और जो अपना ज्ञान बढ़ाता है वह अपना दु:ख भी बढ़ाता है। (सभोपदेशक १:१८)
🌺बुद्धि प्रसन्नता का कारण है
  • क्या ही धन्य है वह मनुष्य जो बुद्धि पाए, और वह मनुष्य जो समझ प्राप्त करे, क्योंकि बुद्धि की प्राप्ति चान्दी की प्राप्ति से बड़ी, और उसका लाभ चोखे सोने के लाभ से भी उत्तम है। (नीतिवचन ३:१३,१४)


बाइबल Vs वेद (भाग ६)
🕉️🕉️🕉️ नमस्ते 🕉️🕉️🕉️

सोमवार, 22 जुलाई 2019

बाइबल के परस्पर विरोधी वचन (भाग २)

✍️ लेखक ➩ अरुण कुमार आर्यवीर


🌹१. यीशु ने सहिष्णुता की शिक्षा दी

  • परन्तु जो कोई तेरे दाहिने गाल पर थप्पड़ मारे, उस की ओर दूसरा भी फेर दे। (मत्ती ५:३९)
  • क्योंकि जो तलवार चलाते हैं, वे सब तलवार से नाश किए जाएंगे। (मत्ती २६:५२)
🌺यीशु ने असहिष्णुता की शिक्षा दी
  • किसी के पास तलवार न हो वह अपने कपड़े बेचकर एक मोल ले। (लूका २२:३६)
  • और रस्सियों का को ड़ा बनाकर, सब भेड़ों और बैलों को मन्दिर से निकाल दिया, और सर्राफों के पैसे बिथरा दिए, और पीढ़ों को उलट दिया। (यूहन्ना २:१५)

🌹२. यीशु की अनुयायियों को उपदेश की मरने से न डरो
  • परन्तु मैं तुम से जो मेरे मित्र हो कहता हूं, कि जो शरीर को घात करते हैं परन्तु उसके पीछे और कुछ नहीं कर सकते उन से मत डरो। (लूका १२:४)
🌺यीशु स्वयं मारे जाने से डरता फिरा
  • इन बातों के बाद यीशु गलील में फिरता रहा, क्योंकि यहूदी उसे मार डालने का यत्न कर रहे थे, इसलिये वह यहूदिया में फिरना न चाहता था (यूहन्ना ७:१)

🌹३. सबथ के रोज (सातवें रोज) कोई काम न किया जाए
  • छ: दिन तो काम काज किया जाए, पर सातवां दिन पर मविश्राम का दिन और यहोवा के लिये पवित्र है; इसलिये जो कोई विश्राम के दिन में कुछ काम काज करे वह निश्चय मार डाला जाए। (निर्गमण ३१:१५)
🌺यीशु ने सबथ के दिन काम किया 
  • इस कारण यहूदी यीशु को सताने लगे, क्योंकि वह ऐसे ऐसे काम सब्त के दिन करता था। (यूूहन्ना ५:१६)

🌹४. बप्तिस्मे की आज्ञा
  • इसलिये तुम जाकर सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ और उन्हें पिता और पुत्र और पवित्रआत्मा के नाम से बपतिस्मा दो। (मत्ती २८:१९)
🌺बप्तिस्मे का निषेध
  • क्योंकि मसीह ने मुझे बपतिस्मा देने को नहीं, वरन सुसमाचार सुनाने को भेजा है। (१ कुरिन्थियों १:१७)

🌹५. हर प्रकार के जानवरों को खाने की आज्ञा
  • सब चलने वाले जन्तु तुम्हारा आहार होंगे; जैसा तुम को हरे हरे छोटे पेड़ दिए थे, वैसा ही अब सब कुछ देता हूं। (उत्पत्ति ९:३)
  • जो कुछ कस्साइयों के यहां बिकता है, वह खाओ और विवेक के कारण कुछ न पूछो। (१ कुरिन्थियों १०:२५)


🌺 हर प्रकार के जानवरों को खाने की आज्ञा नहीं है
  • परन्तु पागुर करने वाले वा चिरे खुर वालों में से इन पशुओं को, अर्थात ऊंट, खरहा, और शापान को न खाना, क्योंकि ये पागुर तो करते हैं परन्तु चिरे खुर के नही होते, इस कारण वे तुम्हारे लिये अशुद्ध हैं। (व्यवस्थाविवरण १४:७)
बाइबल के परस्पर विरोधी वचन

🌹६. शपथ खाने की आज्ञा
  • कि जब कोई पुरूष यहोवा की मन्नत माने, वा अपने आप को वाचा से बान्धने के लिये शपथ खाए, तो वह अपना वचन न टाले; जो कुछ उसके मुंह से निकला हो उसके अनुसार वह करे। (गिनती ३०:२)
  • और जो कोई देश में शपथ खाए वह सच्चे परमेश्वर के नाम से शपथ खाएगा। (यशायाह ६५:१६)
  • और परमेश्वर ने इब्राहीम को प्रतिज्ञा देते समय जब कि शपथ खाने के लिये किसी को अपने से बड़ा न पाया, तो अपनी ही शपथ खाकर कहा। (इब्रानियों ६:१३)
🌺शपथ खाने का निषेध
  • परन्तु मैं तुम से यह कहता हूं, कि कभी शपथ न खाना; न तो स्वर्ग की, क्योंकि वह परमेश्वर का सिंहासन है। (मत्ती ५:३४)

🌹७. विवाह का अनुमोदन और आज्ञा
  • और परमेश्वर ने उन को आशीष दी: और उन से कहा, फूलो-फलो, और पृथ्वी में भर जाओ। (उत्पत्ति १:२८)
  • फिर यहोवा परमेश्वर ने कहा, आदम का अकेला रहना अच्छा नहीं; मैं उसके लिये एक ऐसा सहायक बनाऊंगा जो उससे मेल खाए। (उत्पत्ति २:१८)
  • कि इस कारण मनुष्य अपने माता पिता से अलग होकर अपनी पत्नी के साथ रहेगा और वे दोनों एक तन होंगे। (मत्ती १९:५)
  • विवाह सब में आदर की बात समझी जाए। (इब्रानियों १३:४)
🌺विवाह का निषेध
  • परन्तु मैं अविवाहितों और विधवाओं के विषय में कहता हूं, कि उन के लिये ऐसा ही रहना अच्छा है, जैसा मैं हूं। (१ कुरिन्थियों ७:८)

🌹८. स्त्री के त्याग की आज्ञा
  • यदि कोई पुरूष किसी स्त्री को ब्याह ले, और उसके बाद उसमें लज्जा की बात पाकर उस से अप्रसन्न हो, तो वह उसके लिये त्यागपत्र लिखकर और उसके हाथ में देकर उसको अपने घर से निकाल दे। (व्यवस्थाविवरण २४:१)
🌺स्त्री के त्याग का निषेध
  • परन्तु मैं तुम से यह कहता हूं कि जो कोई अपनी पत्नी को व्यभिचार के सिवा किसी और कारण से छोड़ दे, तो वह उस से व्यभिचार करवाता है; और जो कोई उस त्यागी हुई से ब्याह करे, वह व्यभिचार करता है। (मत्ती ५:३२)

🌹९. व्यभिचार की आज्ञा
  • परन्तु जितनी लड़कियों ने पुरूष का मुंह न देखा हो उन सभों को तुम अपने लिये जीवित रखो। (गिनती ३१:१८)
  • जब यहोवा ने होशे के द्वारा पहिले पहिल बातें कीं, तब उसने होशे से यह कहा, जा कर एक वेश्या को अपनी पत्नी बना ले, और उसके कुकर्म के लड़के-बालों को अपने लड़के-बाले कर ले। (होशे १:२)
🌺व्यभिचार का निषेध
  • तू व्यभिचार न करना। (निर्गमण २०:१४)
  • विवाह सब में आदर की बात समझी जाए, और बिछौना निष्कलंक रहे; क्योंकि परमेश्वर व्यभिचारियों, और परस्त्रीगामियों का न्याय करेगा। (इब्रानियों १३:४)

🌹१०. बहन से विवाह और व्यभिचार की निन्दा
  • और यदि कोई अपनी बहिन का, चाहे उसकी संगी बहिन हो चाहे सौतेली, उसका नग्न तन देखे, तो वह निन्दित बात है, वे दोनों अपने जाति भाइयों की आंखों के साम्हने नाश किए जाएं। (लैव्यव्यवस्था २०:१७)
  • शापित हो वह जो अपनी बहिन, चाहे सगी हो चाहे सौतेली, उस से कुकर्म करे। तब सब लोग कहें। (व्यवस्थाविवरण २७:२२)
🌺भाई–बहन के विवाह में ईश्वर का आशीर्वाद
  • और फिर भी सचमुच वह मेरी बहिन है, वह मेरे पिता की बेटी तो है पर मेरी माता की बेटी नहीं; फिर वह मेरी पत्नी हो गई। (उत्पत्ति २०:१२)

 
बाइबल के परस्पर विरोधी वचन

🌹११. अपने भाई की विधवा से विवाह की आज्ञा
  • जब कोई भाई संग रहते हों, और उन में से एक निपुत्र मर जाए, तो उसकी स्त्री का ब्याह पर गोत्री से न किया जाए; उसके पति का भाई उसके पास जा कर उसे अपनी पत्नी कर ले, और उस से पति के भाई का धर्म पालन करे। और जो पहिला बेटा उस स्त्री से उत्पन्न हो वह उस मरे हुए भाई के नाम का ठहरे। (व्यवस्थाविवरण २५:५,६)
🌺अपने भाई की विधवा से विवाह का निषेध

🌹१२. कुटुम्बियों से नफ़रत करने की आज्ञा
  • यदि कोई मेरे पास आए, और अपने पिता और माता और पत्नी और लड़के बालों और भाइयों और बहिनों बरन अपने प्राण को भी अप्रिय न जाने, तो वह मेरा चेला नहीं हो सकता। (लूका १४:२६)
🌺कुटुम्बियों से घृणा का विरोध
  • हे पतियों, अपनी अपनी पत्नी से प्रेम रखो। (इफिसियों ५:२५)
  • अपनी माता और पिता का आदर कर। (इफिसियों ६:२)

🌹१३. नशा पीने की आज्ञा
  • और वहां गाय-बैल, वा भेड़-बकरी, वा दाखमधु, वा मदिरा, वा किसी भांति की वस्तु क्यों न हो, जो तेरा जी चाहे, उसे उसी रूपये से मोल ले कर अपने घराने समेत अपने परमेश्वर यहोवा के साम्हने खाकर आनन्द करना। (व्यवस्थाविवरण १४:२६)
  • दाखलता ने उन से कहा, क्या मैं अपने नये मधु को छोड़, जिस से परमेश्वर और मनुष्य दोनों को आनन्द होता है। (न्यायियों ९:१३
🌺नशा पीने का विरोध
  • दाखमधु ठट्ठा करने वाला और मदिरा हल्ला मचाने वाली है; जो कोई उसके कारण चूक करता है, वह बुद्धिमान नहीं। (नीतिवचन २०:१)
  • जब दाखमधु लाल दिखाई देता है, और कटोरे में उसका सुन्दर रंग होता है, और जब वह धार के साथ उण्डेला जाता है, तब उस को न देखना। क्योंकि अन्त में वह सर्प की नाईं डसता है, और करैत के समान काटता है। (नीतिवचन २३:३१,३२)

🌹१४. राजा की आज्ञा मानना कर्त्तव्य है
  • शास्त्री और फरीसी मूसा की गद्दी पर बैठे हैं। इसलिये वे तुम से जो कुछ कहें वह करना, और मानना। (मत्ती २३:२,३)
  • प्रभु के लिये मनुष्यों के ठहराए हुए हर एक प्रबन्ध के आधीन में रहो, राजा के इसलिये कि वह सब पर प्रधान है। (१ पतरस २:१३)
🌺राजा की आज्ञा न मानने का उपदेश
  • शद्रक, मेशक और अबेदनगो ने राजा से कहा, हे नबूकदनेस्सर, इस विषय में तुझे उत्तर देने का हमें कुछ प्रयोजन नहीं जान पड़ता। हमारा परमेश्वर, जिसकी हम उपासना करते हैं वह हम को उस धधकते हुए भट्टे की आग से बचाने की शक्ति रखता है; वरन हे राजा, वह हमें तेरे हाथ से भी छुड़ा सकता है। (दानिय्येल ३:१६,१७)

🌹१५. नारी के अधिकारों का निषेध
  • तेरी लालसा तेरे पति की ओर होगी, और वह तुझ पर प्रभुता करेगा। (उत्पत्ति ३:१३)
  • स्त्रियां कलीसिया की सभा में चुप रहें, क्योंकि उन्हें बातें करने की आज्ञा नहीं, परन्तु आधीन रहने की आज्ञा है: जैसा व्यवस्था में लिखा भी है। (१ कुरिन्थियों १४:३४)
🌺नारी के अधिकारों का समर्थन
  • उस समय लप्पीदोत की स्त्री दबोरा जो नबिया थी इस्राएलियों का न्याय करती थी। (न्यायियों ४:४)
  • वरन मैं अपने दासों और अपनी दासियों पर भी उन दिनों में अपने आत्मा में से उंडेलूंगा, और वे भविष्यद्वाणी करेंगे। (प्रेरितों के काम २:९८)

बाइबल के परस्पर विरोधी वचन

🌹१६. स्वामी की आज्ञा का आदेश
  • हे सेवकों, हर प्रकार के भय के साथ अपने स्वामियों के आधीन रहो, न केवल भलों और नम्रों के, पर कुटिलों के भी। (१ पतरस २:१८)
  • सेवकों, जो शरीर के अनुसार तुम्हारे स्वामी हैं, सब बातों में उन की आज्ञा का पालन करो, मनुष्यों को प्रसन्न करने वालों की नाईं दिखाने के लिये नहीं, परन्तु मन की सीधाई और परमेश्वर के भय से। (कुलुस्सियों २:२२)
🌺केवल ईश्वर की आज्ञा माननी चाहिए
  •  तू प्रभु अपने परमेश्वर को प्रणाम कर, और केवल उसी की उपासना कर। (मत्ती ४:१०)
  • और स्वामी भी न कहलाना, क्योंकि तुम्हारा एक ही स्वामी है, अर्थात मसीह। (मत्ती २३:१०)

🌹१७. एलिय्याह स्वर्ग पर चढ़ गया
  • और एलिय्याह बवंडर में हो कर स्वर्ग पर चढ़ गया। (२ राजा २:११)
🌺यीशु के अतिरिक्त कोई भी स्वर्ग पर नहीं गया
  • और कोई स्वर्ग पर नहीं चढ़ा, केवल वही जो स्वर्ग से उतरा, अर्थात मनुष्य का पुत्र जो स्वर्ग में है। (यूहन्ना ३:१३)

🌹१८. मनुष्य अन्य जानवरों के पश्चात उत्पन्न हुआ
  • सो परमेश्वर ने पृथ्वी के जाति जाति के वन पशुओं को, और जाति जाति के घरेलू पशुओं को, और जाति जाति के भूमि पर सब रेंगने वाले जन्तुओं को बनाया: और परमेश्वर ने देखा कि अच्छा है। फिर परमेश्वर ने कहा, हम मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार अपनी समानता में बनाएं। (उत्पत्ति १:२५,२६)
🌺मनुष्य अन्य जानवरों के पूर्व उत्पन्न हुआ
  • और यहोवा परमेश्वर भूमि में से सब जाति के बनैले पशुओं, और आकाश के सब भाँति के पक्षियों को रचकर आदम के पास ले आया कि देखें। (उत्पत्ति २:१९)

🌹१९. मूसा बड़ा नर्म मनुष्य था
  • मूसा तो पृथ्वी भर के रहने वाले मनुष्यों से बहुत अधिक नम्र स्वभाव का था। (गिनती १२:३)
🌺मूसा बड़ा क्रूर मनुष्य था
  • सो अब बाल-बच्चों में से हर एक लड़के को, और जितनी स्त्रियों ने पुरूष का मुंह देखा हो उन सभों को घात करो। (गिनती ३१:१७)

🌹२०. बोना और काटना बन्द न होगा
  • अब से जब तक पृथ्वी बनी रहेगी, तब तक बोने और काटने के समय, ठण्ड और तपन, धूपकाल और शीतकाल, दिन और रात, निरन्तर होते चले जाएंगे। (उत्पत्ति ८:२२)
🌺बोना और काटना सात वर्ष तक बन्द रहा
  •  और यूसुफ के कहने के अनुसार सात वर्षों के लिये अकाल आरम्भ हो गया। (उत्पत्ति ४१:५४)
  • क्योंकि अब दो वर्ष से इस देश में अकाल है; और अब पांच वर्ष और ऐसे ही होंगे, कि उन में न तो हल चलेगा और न अन्न काटा जाएगा। (उत्पत्ति ४५:६)

बाइबल के परस्पर विरोधी वचन

🌹२१. ईश्वर ने फिरौन के हृदय को कठोर कर दिया
  • परन्तु मैं उसके मन को हठीला करूंगा, और वह मेरी प्रजा को जाने न देगा। (निर्गमण ४:२१)
🌺फिरौन ने अपना हृदय स्वयं कठोर किया
  • परन्तु जब फिरोन ने देखा कि अब आराम मिला है तक यहोवा के कहने के अनुसार उसने फिर अपने मन को कठोर किया, और उनकी न सुनी। (निर्गमण ८:१५)

🌹२२. मिस्र के तमाम पशु मर गए
  • दूसरे दिन यहोवा ने ऐसा ही किया; और मिस्र के तो सब पशु मर गए, परन्तु इस्राएलियों का एक भी पशु न मरा। (निर्गमण ९:६)
🌺मिस्र के तमाम पशु नहीं मरे
  • पर फिरौन के सब घोड़ों, और रथों, और सवारों समेत मिस्री सेना ने उनका पीछा करके उन्हें, जो पीहहीरोत के पास, बालसपोन के साम्हने, समुद्र के तीर पर डेरे डाले पड़े थे, जा लिया। (निर्गमण १४:९)

🌹२३. मरियम के पति यूसुफ का पिता याकूब था
  • और याकूब से यूसुफ उत्पन्न हुआ; जो मरियम का पति था जिस से यीशु जो मसीह कहलाता है उत्पन्न हुआ। (मत्ती १:१६)
🌺मरियम के पति का पिता एली था
  • जब यीशु आप उपदेश करने लगा, जो लगभग तीस वर्ष की आयु का था और यूसुफ का पुत्र था; और वह एली का। (लूका ३:२३)

🌹२४. बालक यीशु को मिश्र ले गए
  • वह रात ही को उठकर बालक और उस की माता को लेकर मिस्र को चल दिया। (मत्ती २:१४)
🌺 बालक यीशु को मिस्र नहीं ले गए
  • और जब मूसा की व्यवस्था के अनुसार उन के शुद्ध होने के दिन पूरे हुए तो वे उसे यरूशलेम में ले गए। (लूका २:२२)

🌹२५. दो अन्धों ने यीशु से विनती की
  • जब वे यरीहो से निकल रहे थे, तो एक बड़ी भीड़ उसके पीछे हो ली। और देखो, दो अन्धे, जो सड़कर के किनारे बैठे थे, यह सुनकर कि यीशु जा रहा है, पुकारकर कहने लगे; कि हे प्रभु, दाऊद की सन्तान, हम पर दया कर। (मत्ती २०:२९,३०)
🌺 एक अंधे ने यीशु से बिनती की
  • जब वह यरीहो के निकट पहुंचा, तो एक अन्धा सड़क के किनारे बैठा हुआ भीख मांग रहा था। तब उस ने पुकार के कहा, हे यीशु दाऊद की सन्तान, मुझ पर दया कर। (लूका १८:३५,३९)

बाइबल के परस्पर विरोधी वचन

🌹२६. दो आदमी कब्र से निकलकर यीशु से मिले
  • जब वह उस पार गदरेनियों के देश में पहुंचा, तो दो मनुष्य जिन में दुष्टात्माएं थीं कब्रों से निकलते हुए उसे मिले, जो इतने प्रचण्ड थे, कि कोई उस मार्ग से जा नहीं सकता था। (मत्ती ८:२८)
🌺एक आदमी कब्र से निकलकर यीशु से मिला
  • और वे झील के पार गिरासेनियों के देश में पहुंचे। और जब वह नाव पर से उतरा तो तुरन्त एक मनुष्य जिस में अशुद्ध आत्मा थी कब्रों से निकल कर उसे मिला। (मरकुस ५:१,२)

🌹२७. सुबेदार ने दास को निरोग करने की प्रार्थना की
  • और जब वह कफरनहूम में आया तो एक सूबेदार ने उसके पास आकर उस से बिनती की। कि हे प्रभु, मेरा सेवक घर में झोले का मारा बहुत दुखी पड़ा है। (मत्ती ८:५,६)
🌺सुबेदार के नौकरों ने दास को निरोग करने की प्रार्थना की
  • जब वह लोगों को अपनी सारी बातें सुना चुका, तो कफरनहूम में आया। और किसी सूबेदार का एक दास जो उसका प्रिय था, बीमारी से मरने पर था। उस ने यीशु की चर्चा सुनकर यहूदियों के कई पुरनियों को उस से यह बिनती करने को उसके पास भेजा, कि आकर मेरे दास को चंगा कर। (लूका ७:१,२,३)

🌹२८. यीशु को तीसरे घण्टे फांसी दी गई
  • और पहर दिन चढ़ा था, जब उन्होंने उस को क्रूस पर चढ़ाया। (मरकुस २५:२५) 
🌺यीशु को छठे घण्टे फांसी दी गई
  •  यह फसह की तैयारी का दिन था और छठे घंटे के लगभग था: तब उस ने यहूदियों से कहा, देखो, यही है, तुम्हारा राजा! परन्तु वे चिल्लाए कि ले जा! ले जा! उसे क्रूस पर चढ़ा। (यूहन्ना १९:१४,१५)

🌹२९. केवल एक ने यीशु की निन्दा की
  •  जो कुकर्मी लटकाए गए थे, उन में से एक ने उस की निन्दा करके कहा। (लूका २३:३९)
🌺उन दोनों ने यीशु की निन्दा की
  • और जो उसके साथ क्रूसों पर चढ़ाए गए थे, वे भी उस की निन्दा करते थे। (मरकुस १५:३२)

🌹३०. यहूदा ने चांदी के रुपए वापिस कर दिए
  • जब उसके पकड़वाने वाले यहूदा ने देखा कि वह दोषी ठहराया गया है तो वह पछताया और वे तीस चान्दी के सिक्के महायाजकों और पुरनियों के पास फेर लाया। (मत्ती २७:३)
🌺यहूदा ने चांदी के रुपए वापिस नहीं किए
  • उस ने अधर्म की कमाई से एक खेत मोल लिया। (प्रेरितों के काम १:१८)



🌹३१. निर्धनता ईश्वर की देन है
  • धन्य हो तुम, जो दीन हो, क्योंकि परमेश्वर का राज्य तुम्हारा है। (लूका ६:२०)
🌺धन ईश्वर की देन है
  • धनी का धन उसका दृढ़ नगर है, परन्तु कंगाल लोग निर्धन होने के कारण विनाश होते हैं। (नीतिवचन १०:१५)

🙏🙏🙏 नमस्ते 🙏🙏🙏

सोमवार, 15 जुलाई 2019

बाइबल के परस्पर विरोधी वचन (भाग १)

✍️ लेखक ➩ अरुण कुमार आर्यवीर


१. परमेश्वर अपने कार्यों से संतुष्ट है
  • तब परमेश्वर ने जो कुछ बनाया था, सब को देखा, तो क्या देखा, कि वह बहुत ही अच्छा है। तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार छठवां दिन हो गया। (उत्पत्ति १:३१)
  • मैं तुझे न छोड़ूंगा, न तुझ पर तरस खऊंगा न पछताऊंगा; तेरे चालचलन और कामों ही के अनुसार तेरा न्याय किया जाएगा, प्रभु यहोवा की यही वाणी है। (यहेजकेल २४:१४)
परमेश्वर अपने कार्यों से असंतुष्ट है
  • और यहोवा पृथ्वी पर मनुष्य को बनाने से पछताया, और वह मन में अति खेदित हुआ। (उत्पत्ति ६:६)

२. परमेश्वर चुने हुए मंदिरों में निवास करता है
  • यों सुलैमान यहोवा के भवन और राजभवन को बना चुका, और यहोवा के भवन में और अपने भवन में जो कुछ उसने बनाना चाहा, उस में उसका मनोरथ पूरा हुआ। (२ इतिहास ७:११)
परमेश्वर मंदिरों में नहीं रहता

३. परमेश्वर प्रकाश में रहता है
परमेश्वर अंधकार में रहता है।
  • तब सुलैमान कहने लगा, यहोवा ने कहा था, कि मैं घोर अंधकार में वास किए रहूंगा। (१ राजा ८:१२)

४.  परमेश्वर को देखा और सुना जा सकता है
  • फिर मैं अपना हाथ उठा लूंगा, तब तू मेरी पीठ का तो दर्शन पाएगा, परन्तु मेरे मुख का दर्शन नहीं मिलेगा। (निर्गमण ३३:२३)
  • और यहोवा मूसा से इस प्रकार आम्हने-साम्हने बातें करता था, जिस प्रकार कोई अपने भाई से बातें करे। (निर्गमण ३३:११)
  • तब यहोवा परमेश्वर जो दिन के ठंडे समय बाटिका में फिरता था उसका शब्द उन को सुनाई दिया। (उत्पत्ति ३:८)
  • तब याकूब ने यह कह कर उस स्थान का नाम पनीएल रखा: कि परमेश्वर को आम्हने साम्हने देखने पर भी मेरा प्राण बच गया है। (उत्पत्ति ३२:३०)
  • जिस वर्ष उज्जिय्याह राजा मरा, मैं ने प्रभु को बहुत ही ऊंचे सिंहासन पर विराजमान देखा। (यशायाह ६:१)
  • तब मूसा, हारून, नादाब, अबीहू और इस्त्राएलियों के सत्तर पुरनिए ऊपर गए, और इस्त्राएल के परमेश्वर का दर्शन किया। (निर्गमण २४:९,१०)
परमेश्वर अदृष्ट है और सुना भी नहीं जा सकता है
  • परमेश्वर को किसी ने कभी नहीं देखा, एकलौता पुत्र जो पिता की गोद में हैं, उसी ने उसे प्रगट किया। (युहन्ना १:१८)
  • और पिता जिस ने मुझे भेजा है, उसी ने मेरी गवाही दी है: तुम ने न कभी उसका शब्द सुना, और न उसका रूप देखा है। (युहन्ना ५:३७)
  • फिर उसने कहा, तू मेरे मुख का दर्शन नहीं कर सकता; क्योंकि मनुष्य मेरे मुख का दर्शन करके जीवित नहीं रह सकता। (निर्गमण ३३:२०)
  • और न उसे किसी मनुष्य ने देखा, और न कभी देख सकता है। (१ तीमुथियुस ६:१६)

५. परमात्मा थक जाता है और विश्राम करता है
  • क्योंकि छ: दिन में यहोवा ने आकाश और पृथ्वी को बनाया, और सातवें दिन विश्राम करके अपना जी ठण्डा किया। (निर्गमण ३१:१७)
  • इसलिये मैं तुझ पर हाथ बढ़ाकर तेरा नाश करूंगा; क्योंकि, मैं तरस खाते खाते उकता गया हूँ। (यिर्मयाह १५:६)
  • परन्तु तू ने अपने पापों के कारण मुझ पर बोझ लाट दिया है। (यशायाह ४३:२४)
परमात्मा न थकता है और न विश्राम करता है
  • यहोवा जो सनातन परमेश्वर और पृथ्वी भर का सिरजनहार है, वह न थकता, न श्रमित होता है, उसकी बुद्धि अगम है। (यशायाह ४०:२८)



६.  ईश्वर सर्वव्यापक है और सब वस्तुओं को देखता जानता है
  • यदि मैं भोर की किरणों पर चढ़ कर समुद्र के पार जा बसूं, तो वहां भी तू अपने हाथ से मेरी अगुवाई करेगा। (भजन संहिता १३९:९,१०)
  • क्योंकि ईश्वर की आंखें मनुष्य की चालचलन पर लगी रहती हैं, और वह उसकी सारी चाल को देखता रहता है। (अय्युब ३४:२१)
ईश्वर सर्वव्यापक नहीं है न तमाम वस्तुओं को देखता है और न जानता है
  • जब लोग नगर और गुम्मट बनाने लगे; तब इन्हें देखने के लिये यहोवा उतर आया। (उत्पत्ति ११:५)
  • इसलिये मैं उतरकर देखूंगा, कि उसकी जैसी चिल्लाहट मेरे कान तक पहुंची है, उन्होंने ठीक वैसा ही काम किया है कि नहीं: और न किया हो तो मैं उसे जान लूंगा। (उत्पत्ति १८:२१)
  • तब यहोवा परमेश्वर जो दिन के ठंडे समय बाटिका में फिरता था उसका शब्द उन को सुनाई दिया। तब आदम और उसकी पत्नी बाटिका के वृक्षों के बीच यहोवा परमेश्वर से छिप गए। (उत्पत्ति ३:८)
बाईबल के परस्पर विरोधी वचन

७.  ईश्वर मनुष्य के हृदय को जानता है
  • हे प्रभु, तू जो सब के मन जानता है, यह प्रगट कर कि इन दानों में से तू ने किस को चुना है। (प्रेरितों के काम १:२४)
  • क्योंकि वह तो मन की गुप्त बातों को जानता है। (भजन संहिता ४४:२१)
  • तू मेरा उठना बैठना जानता है; और मेरे विचारों को दूर ही से समझ लेता है। मेरे चलने और लेटने की तू भली भांति छानबीन करता है, और मेरी पूरी चालचलन का भेद जानता है। (भजन संहिता १३९:२,३)
ईश्वर लोगों के दिलों की बात जानने के लिए उनकी जांच करता है
  • और स्मरण रख कि तेरा परमेश्वर यहोवा उन चालीस वर्षों में तुझे सारे जंगल के मार्ग में से इसलिये ले आया है, कि वह तुझे नम्र बनाए, और तेरी परीक्षा करके यह जान ले कि तेरे मन में क्या क्या है, और कि तू उसकी आज्ञाओं का पालन करेगा वा नहीं। (व्यवस्थाविवरण ८:२)
  • क्योंकि तुम्हारा परमेश्वर यहोवा तुम्हारी परीक्षा लेगा, जिस से यह जान ले, कि ये मुझ से अपने सारे मन और सारे प्राण के साथ प्रेम रखते हैं वा नहीं? (व्यवस्थाविवरण १३:३)
see also: बाइबल की अश्लीलता (भाग २)
  ८. ईश्वर सर्वशक्तिमान है
  • हे प्रभु यहोवा, तू ने बड़े सामर्थ और बढ़ाई हुई भुजा से आकाश और पृथ्वी को बनाया है! तेरे लिये कोई काम कठिन नहीं है। (यिर्मयाह ३२:१७)
  • क्या मेरे लिये कोई भी काम कठिन है? (यिर्मयाह ३२:२७)
  • यीशु ने उन की ओर देखकर कहा, मनुष्यों से तो यह नहीं हो सकता, परन्तु परमेश्वर से सब कुछ हो सकता है। (मत्ती १९:२६)
ईश्वर सर्वशक्तिमान नहीं है
  • और यहोवा यहूदा के साथ रहा, इसलिये उसने पहाड़ी देश के निवासियों निकाल दिया; परन्तु तराई के निवासियों के पास लोहे के रथ थे, इसलिये वह उन्हें न निकाल सका। (न्यायियों १:१९)

९. ईश्वर अपरिवर्तनशील है
  • क्योंकि हर एक अच्छा वरदान और हर एक उत्तम दान ऊपर ही से है, और ज्योतियों के पिता की ओर से मिलता है, जिस में न तो कोई परिवर्तन हो सकता है, ओर न अदल बदल के कारण उस पर छाया पड़ती है। (याकुब १:१७)
  • क्योंकि मैं यहोवा बदलता नहीं; इसी कारण, हे याकूब की सन्तान तुम नाश नहीं हुए। (मलाकी ३:६)
  • ईश्वर मनुष्य नहीं, कि झूठ बोले, और न वह आदमी है, कि अपनी इच्छा बदले। क्या जो कुछ उसने कहा उसे न करे? क्या वह वचन देकर उस पूरा न करे? (गिनती २३:१९)
ईश्वर परिवर्तनशील है
  • और यहोवा पृथ्वी पर मनुष्य को बनाने से पछताया, और वह मन में अति खेदित हुआ। (उत्पत्ति ६:६)
  • जब परमेश्वर ने उनके कामों को देखा, कि वे कुमार्ग से फिर रहे हैं, तब परमेश्वर ने अपनी इच्छा बदल दी, और उनकी जो हानि करने की ठानी थी, उसको न किया। (योना ३:१०)
  • इसलिये इस्राएल के परमेश्वर यहोवा की यह वाणी है, कि मैं ने कहा तो था, कि तेरा घराना और तेरे मूलपुरूष का घराना मेरे साम्हने सदैव चला करेगा; परन्तु अब यहोवा की वाणी यह है, कि यह बात मुझ से दूर हो; क्योंकि जो मेरा आदर करें मैं उनका आदर करूंगा, और जो मुझे तुच्छ जानें वे छोटे समझे जाएंगे। (१ शमुएल २:३०)

१०. ईश्वर न्यायी और पक्षपातरहित है
  • क्या सारी पृथ्वी का न्यायी न्याय न करे? (उत्पत्ति १८:२५)
  • जिस से यह प्रगट हो, कि यहोवा सीधा है; वह मेरी चट्टान है, और उस में कुटिलता कुछ भी नहीं। (भजन संहिता ९२:१५)
  • क्योंकि परमेश्वर किसी का पक्ष नहीं करता। (रोमियो २:११)
ईश्वर अन्यायी और पक्षपाती है
  • तू उन को दण्डवत न करना, और न उनकी उपासना करना; क्योंकि मैं तेरा परमेश्वर यहोवा जलन रखने वाला ईश्वर हूं, और जो मुझ से बैर रखते है, उनके बेटों, पोतों, और परपोतों को भी पितरों का दण्ड दिया करता हूं। (निर्गमण २०:५)
  • क्योंकि जिस के पास है, उसे दिया जाएगा; और उसके पास बहुत हो जाएगा; पर जिस के पास कुछ नहीं है, उस से जो कुछ उसके पास है, वह भी ले लिया जाएगा। (मत्ती १३:१२)
  • और अभी तक न तो बालक जन्मे थे, और न उन्होंने कुछ भला या बुरा किया था कि उस ने कहा, कि जेठा छुटके का दास होगा। इसलिये कि परमेश्वर की मनसा जो उसके चुन लेने के अनुसार है, कर्मों के कारण नहीं, परन्तु बुलाने वाले पर बनी रहे। जैसा लिखा है, कि मैं ने याकूब से प्रेम किया, परन्तु एसौ को अप्रिय जाना। (रोमियो ९:११-१३)



११. ईश्वर विपत्ति का निर्माता नहीं है
  • क्योंकि परमेश्वर गड़बड़ी का नहीं, परन्तु शान्ति का कर्त्ता है। (१ कुरिन्थियों १४:३३)
  • वह सच्चा ईश्वर है, उस में कुटिलता नहीं, वह धर्मी और सीधा है। (व्यवस्थाविवरण ३२:४)
  • क्योंकि न तो बुरी बातों से परमेश्वर की परीक्षा हो सकती है, और न वह किसी की परीक्षा आप करता है। (याकुब १:१३)
ईश्वर विपत्ति पैदा करता है
  • विपत्ति और कल्याण, क्या दोनों परमप्रधान की आज्ञा से नहीं होते? (विलापगीत ३:३८)

१२. जो मांगते हैं उन्हें ईश्वर उदारता से देता है 
  • पर यदि तुम में से किसी को बुद्धि की घटी हो, तो परमेश्वर से मांगे, जो बिना उलाहना दिए सब को उदारता से देता है; और उस को दी जाएगी। (याकुब १:५)
ईश्वर अपनी देन रोक लेता है और उसकी प्राप्ति में रुकावट उत्पन्न करता है
  • क्योंकि यहोवा की जो मनसा थी, कि अपनी उस आज्ञा के अनुसार जो उसने मूसा को दी थी उन पर कुछ भी दया न करे; वरन सत्यानाश कर डाले, इस कारण उसने उनके मन ऐसे कठोर कर दिए, कि उन्होंने इस्राएलियों का साम्हना करके उन से युद्ध किया। (यहोशू ११:२०)
  • कि उस ने उन की आंखें अन्धी, और उन का मन कठोर किया है; कहीं ऐसा न हो, कि आंखों से देखें, और मन से समझें, और फिरें, और मैं उन्हें चंगा करूं। (यूहन्ना १२:४०)
  •  हे यहोवा, तू क्यों हम को अपने मार्गों से भटका देता, और हमारे मन ऐसे कठोर करता है कि हम तेरा भय नहीं मानते? अपने दास, अपने निज भाग के गोत्रों के निमित्त लौट आ। (यशायाह ६३:१७)
बाईबल के परस्पर विरोधी वचन

१३. ईश्वर जो उसे ढूंढते हैं उन्हें मिल जाता है 
  • क्योंकि जो कोई मांगता है, उसे मिलता है; और जो ढूंढ़ता है, वह पाता है। (मत्ती ७:८)
  • और जो मुझ को यत्न से तड़के उठ कर खोजते हैं, वे मुझे पाते हैं। (नीतिवचन ८:१७)
ईश्वर जो उन्हें ढूंढते हैं उन्हें नहीं मिलता
  • उस समय वे मुझे पुकारेंगे, और मैं न सुनूंगी; वे मुझे यत्न से तो ढूंढ़ेंगे, परन्तु न पाएंगे। (नीतिवचन १:२८)
  • जब तुम मेरी ओर हाथ फैलाओ, तब मैं तुम से मुंह फेर लूंगा; तुम कितनी ही प्रार्थना क्यों न करो, तौभी मैं तुम्हारी न सुनूंगा। (यशायाह १:१५)
  • उन्होंने दोहाई तो दी परन्तु उन्हें कोई भी बचाने वाला न मिला, उन्होंने यहोवा की भी दोहाई दी, परन्तु उसने भी उन को उत्तर न दिया। (भजन संहिता १८:४१)

१४. ईश्वर शांतिप्रिय है 
  • शान्ति का परमेश्वर तुम सब के साथ रहे। (रोमियो १५:३३)
  • क्योंकि परमेश्वर गड़बड़ी का नहीं, परन्तु शान्ति का कर्त्ता है। (१ कुरिन्थियों १४:३३)
ईश्वर लड़ाकू है
  • वह मैं ही तेरा परमेश्वर यहोवा हूं मेरा नाम सेनाओं का यहोवा है। (यशायाह ५१:१५)
  • धन्य है यहोवा, जो मेरी चट्टान है, वह मेरे हाथों को लड़ने, और युद्ध करने के लिये तैयार करता है। (भजन संहिता १४४:१)
  • यहोवा योद्धा है; उसका नाम यहोवा है। (निर्गमण १५:३)

१५. ईश्वर दयालु कृपालु और नेक है 
  • जिस से प्रभु की अत्यन्त करूणा और दया प्रगट होती है। (याकुब ५:११)
  • क्योंकि वह मनुष्यों को अपने मन से न तो दबाता है और न दु:ख देता है। (विलापगीत ३:३३)
  • क्योंकि, प्रभु यहोवा की यह वाणी है, जो मरे, उसके मरने से मैं प्रसन्न नहीं होता, इसलिये पश्चात्ताप करो, तभी तुम जीवित रहोगे। (यहेजकेल १८:३२)
  • यहोवा का धन्यवाद करो, क्योंकि वह भला है; उसकी करुणा सदा की है। (१ इतिहास १६:३४)
  • यहोवा सभों के लिये भला है, और उसकी दया उसकी सारी सृष्टि पर है। (भजन संहिता १४५:९)
  • वह यह चाहता है, कि सब मनुष्यों का उद्धार हो; और वे सत्य को भली भांति पहिचान लें। (१ तिमुथियुस २:४)
  • हे प्रियों, हम आपस में प्रेम रखें; क्योंकि प्रेम परमेश्वर से है: और जो कोई प्रेम करता है, वह परमेश्वर से जन्मा है; और परमेश्वर को जानता है। (१ यूहन्ना ४:७)
ईश्वर निर्दयी, घातक और क्रूर है
  • और देश देश के जितने लोगों को तेरा परमेश्वर यहोवा तेरे वश में कर देगा, तू उन सभों को सत्यानाश करना; उन पर तरस की दृष्टि न करना, और न उनके देवताओं की उपासना करना, नहीं तो तू फन्दे में फंस जाएगा। (व्यवस्थाविवरण ७:१६)
  • उनके विष्य यहोवा यों कहता है कि मैं उन को उनकी भूमि में से उखाड़ डालूंगा, और यहूदा के घराने को भी उनके बीच में से उखड़ूंगा। (यिर्मयाह १२:१४)
  • मैं उन पर कोमलता नहीं दिखाऊंगा, न तरस खऊंगा और न दया कर के उन को नष्ट होने से बचाऊंगा। (यिर्मयाह १३:१४)
  • फिर इस कारण से कि बेतशेमेश के लोगों ने यहोवा के सन्दूक के भीतर झांका था उसने उन में से सत्तर मनुष्य, और फिर पचास हजार मनुष्य मार डाले; और वहां के लोगों ने इसलिये विलाप किया कि यहोवा ने लोगों का बड़ा ही संहार किया था। (१ शमूएल ६:१९)
  • इसलिये अब तू जा कर अमालेकियों को मार, और जो कुछ उनका है उसे बिना कोमलता किए सत्यानाश कर; क्या पुरूष, क्या स्त्री, क्या बच्चा, क्या दूधपिउवा, क्या गाय-बैल, क्या भेड़-बकरी, क्या ऊंट, क्या गदहा, सब को मार डाल। (१ शमूएल १५:३)
  • फिर जब वे इस्राएलियों के साम्हने से भागकर बेथोरोन की उतराई पर आए, तब अजेका पहुंचने तक यहोवा ने आकाश से बड़े बड़े पत्थर उन पर बरसाए, और वे मर गए; जो ओलों से मारे गए उनकी गिनती इस्राएलियों की तलवार से मारे हुओं से अधिक थी। (यहोशू १०:११)



१६. ईश्वर का कोप क्षणिक और मंद है 
  • क्योंकि उसका क्रोध, तो क्षण भर का होता है। (भजन संहिता ३०:५)
  • यहोवा दयालु और अनुग्रहकरी, विलम्ब से कोप करने वाला और अति करूणामय है। (भजन संहिता १०३:८)
ईश्वर का कोप बड़ा भयानक, बार-बार होने वाला और चिरकालीन है
  • और ऐसा हुआ कि मार्ग पर सराय में यहोवा ने मूसा से भेंट करके उसे मार डालना चाहा। (निर्गमण ४:२४)
  • और यहोवा ने मूसा से कहा, प्रजा के सब प्रधानों को पकड़कर यहोवा के लिये धूप में लटका दे, जिस से मेरा भड़का हुआ कोप इस्त्राएल के ऊपर से दूर हो जाए। (गिनती २५:४)
  • सो यहोवा का कोप इस्त्राएलियों पर भड़का, और जब तक उस पीढ़ी के सब लोगों का अन्त न हुआ, जिन्होंने यहोवा के प्रति बुरा किया था, तब तक अर्थात चालीस वर्ष तक वह जंगल में मारे मारे फिराता रहा। (गिनती ३२:१३)

१७. ईश्वर जली हुई भेटों की और पवित्र दिनों की आज्ञा देता है और प्रसन्न होता है
 
  • अर्थात पापबलि का एक बछड़ा प्रायश्चित्त के लिये प्रतिदिन चढ़ाना। (निर्गमण २९:३६)
  • और वह उसकी अंतडिय़ों और पैरों को जल से धोए। तब याजक सब को वेदी पर जलाए, कि वह होमबलि यहोवा के लिये सुखदायक सुगन्धवाला हवन ठहरे। (लैव्यव्यवस्था १:९)
  • उसी सातवें महीने का दसवां दिन प्रायश्चित्त का दिन माना जाए; वह तुम्हारी पवित्र सभा का दिन होगा, और उस में तुम अपने अपने जीव को दु:ख देना और यहोवा का हव्य चढ़ाना।(लैव्यव्यवस्था २३:२७) 
ईश्वर पवित्र दिनों को और भेटों को नापसंद करता है
  • तुम्हारे होमबलियों से मैं प्रसन्न नहीं हूँ, और न तुम्हारे मेलबलि मुझे मीठे लगते हैं। (यिर्मयाह ६:२०)

१८. ईश्वर मनुष्यों की बलि बर्जता है
  • तू अपने परमेश्वर यहोवा से ऐसा व्यवहार न करना; क्योंकि जितने प्रकार के कामों से यहोवा घृणा करता है और बैर-भाव रखता है, उन सभों को उन्होंने अपने देवताओं के लिये किया है, यहां तक कि अपने बेटे बेटियों को भी वे अपने देवताओं के लिये अग्नि में डालकर जला देते हैं॥ (व्यवस्थाविवरण १२:३१)
ईश्वर मनुष्यों की भेंट की आज्ञा देता है और स्वीकार करता है
  • उसने कहा, अपने पुत्र को अर्थात अपने एकलौते पुत्र इसहाक को, जिस से तू प्रेम रखता है, संग ले कर मोरिय्याह देश में चला जा, और वहां उसको एक पहाड़ के ऊपर जो मैं तुझे बताऊंगा होमबलि करके चढ़ा। (उत्पत्ति २२:२)
बाईबल के परस्पर विरोधी वचन

१९. ईश्वर किसी को परखता नहीं है
  • क्योंकि न तो बुरी बातों से परमेश्वर की परीक्षा हो सकती है, और न वह किसी की परीक्षा आप करता है। (याकूब १:१३)
ईश्वर मनुष्यों को परखता है
  • इन बातों के पश्चात ऐसा हुआ कि परमेश्वर ने, इब्राहीम से यह कहकर उसकी परीक्षा की, कि हे इब्राहीम: उसने कहा, देख, मैं यहां हूं। (उत्पत्ति २२:१)
  • और यहोवा का कोप इस्राएलियों पर फिर भड़का, और उसने दाऊद को इनकी हानि के लिये यह कहकर उभारा, कि इस्राएल और यहूदा की गिनती ले। (२ शमूएल २४:१)

२०. ईश्वर झूठ नहीं बोल सकता
  • ईश्वर मनुष्य नहीं, कि झूठ बोले, और न वह आदमी है, कि अपनी इच्छा बदले। (गिनती २३:१९)
ईश्वर झूठ बोलता है 
  • तब परमेश्वर ने अबीमेलेक और शकेम के मनुष्यों के बीच एक बुरी आत्मा भेज दी; सो शकेम के मनुष्य अबीमेलेक का विश्वासघात करने लगे; (न्यायियों ९:२३)
  • तो अब सुन यहोवा ने तेरे इन सब भविष्यद्वक्ताओं के मुंह में एक झूठ बोलने वाली आत्मा पैठाई है, और यहोवा ने तेरे विषय हानि की बात कही है। (१ राजा २२:२३)
  • तब मैंने कहा, हाय, प्रभु यहोवा, तू ने तो यह कह कर कि तुम को शान्ति मिलेगी निश्चय अपनी इस प्रजा को और यरूशलेम को भी बड़ा धोखा दिया है; क्योंकि तलवार प्राणों को मिटाने पर है। (यिर्मयाह ४:१०)
  • और यदि भविष्यद्वक्ता ने धोखा खाकर कोई वचन कहा हो, तो जानो कि मुझ यहोवा ने उस भविष्यद्वक्ता को धोखा दिया है। (यहेजकेल १४:९)



२१. ईश्वर मनुष्य को उसकी दुष्टता से नष्ट करता है
  • तब यहोवा ने सोचा, कि मैं मनुष्य को जिसकी मैं ने सृष्टि की है पृथ्वी के ऊपर से मिटा दूंगा; क्या मनुष्य, क्या पशु, क्या रेंगने वाले जन्तु, क्या आकाश के पक्षी, सब को मिटा दूंगा क्योंकि मैं उनके बनाने से पछताता हूं। (उत्पत्ति ६:७)
ईश्वर मनुष्य को उसकी दुष्टता के लिए नष्ट नहीं करेगा
  • इस पर यहोवा ने सुखदायक सुगन्ध पाकर सोचा, कि मनुष्य के कारण मैं फिर कभी भूमि को शाप न दूंगा, यद्यपि मनुष्य के मन में बचपन से जो कुछ उत्पन्न होता है सो बुरा ही होता है; तौभी जैसा मैं ने सब जीवों को अब मारा है, वैसा उन को फिर कभी न मारूंगा। (उत्पत्ति ८:२१)

२२. ईश्वर केवल एक ही है
  • हे इस्राएल, सुन, यहोवा हमारा परमेश्वर है, यहोवा एक ही है; (व्यवस्थाविवरण ६:४)
  • और एक को छोड़ और कोई परमेश्वर नहीं। (१ कुरिन्थियों ८:४)
ईश्वर अनेक है
  • तब परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार उत्पन्न किया। (उत्पत्ति १:२७)
  • फिर यहोवा परमेश्वर ने कहा, मनुष्य भले बुरे का ज्ञान पाकर हम में से एक के समान हो गया है। (उत्पत्ति ३:२२)

See also: बाइबल की अश्लीलता (भाग १)
  २३. चोरी की आज्ञा
  • वरन तुम्हारी एक एक स्त्री अपक्की अपक्की पड़ोसिन, और अपके अपके घर की पाहुनी से सोने चांदी के गहने, और वस्त्र मांग लेगी, और तुम उन्हें अपके बेटोंऔर बेटियोंको पहिराना; इस प्रकार तुम मिस्रियोंको लूटोगे। (निर्गमण ३:२२)
  • और यहोवा ने मिस्रियों को अपनी प्रजा के लोगों पर ऐसा दयालु किया, कि उन्होंने जो जो मांगा वह सब उन को दिया। इस प्रकार इस्राएलियों ने मिस्रियों को लूट लिया। (निर्गमण १२:३६)
चोरी का निषेध
  • तू चोरी न करना। (निर्गमण २०:१५)
  • तुम चोरी न करना, और एक दूसरे से न तो कपट करना, और न झूठ बोलना। (लैव्यव्यवस्था १९:११)

२४. सारी धर्मपुस्तक ईश्वर प्रेरित है
  • हर एक पवित्रशास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है और उपदेश, और समझाने, और सुधारने, और धर्म की शिक्षा के लिये लाभदायक है। (२ तिमुथियुस ३:१६)
धर्मपुस्तक का कुछ भाग ईश्वर प्रेरित नहीं है
  • इस बेधड़क घमण्ड से बोलने में जो कुछ मैं कहता हूं वह प्रभू की आज्ञा के अनुसार नहीं पर मानों मूर्खता से ही कहता हूं। (२  कुरिन्थियों ११:१७)
बाईबल के परस्पर विरोधी वचन

२५. वध की आज्ञा
  • उसने उन से कहा, इस्त्राएल का परमेश्वर यहोवा यों कहता है, कि अपनी अपनी जांघ पर तलवार लटका कर छावनी से एक निकास से दूसरे निकास तक घूम घूमकर अपने अपने भाइयों, संगियों, और पड़ोसियों घात करो। (निर्गमण ३२:२७)
वध का निषेध
  • तू खून न करना। (निर्गमण २०:१३)
  • जो कोई अपने भाई से बैर रखता है, वह हत्यारा है; और तुम जानते हो, कि किसी हत्यारे में अनन्त जीवन नहीं रहता। (१ युहन्ना ३:१५)



२६. खून बहाने वाला जरूर मारा जाएगा
  • और निश्चय मैं तुम्हारा लोहू अर्थात प्राण का पलटा लूंगा: सब पशुओं, और मनुष्यों, दोनों से मैं उसे लूंगा: मनुष्य के प्राण का पलटा मैं एक एक के भाई बन्धु से लूंगा। (उत्पत्ति ९:५)
खून बहाने वाला न मारा जाएगा
  • तब कैन ने अपने भाई हाबिल पर चढ़ कर उसे घात किया।और यहोवा ने कैन के लिये एक चिन्ह ठहराया ऐसा ने हो कि कोई उसे पाकर मार डाले। (उत्पत्ति ४:८,१५)

२७. मूर्तियों का बनाने का निषेध
  • तू अपने लिये कोई मूर्ति खोदकर न बनाना, न किसी कि प्रतिमा बनाना, जो आकाश में, वा पृथ्वी पर, वा पृथ्वी के जल में है। (निर्गमण २०:४)
मूर्तियों का बनाने की आज्ञा
  • और सोना ढालकर दो करूब बनवाकर प्रायश्चित्त के ढकने के दोनों सिरों पर लगवाना। एक करूब तो एक सिरे पर और दूसरा करूब दूसरे सिरे पर लगवाना; और करूबों को और प्रायश्चित्त के ढकने को उसके ही टुकड़े से बनाकर उसके दोनो सिरों पर लगवाना। और उन करूबों के पंख ऊपर से ऐसे फैले हुए बनें कि प्रायश्चित्त का ढकना उन से ढंपा रहे, और उनके मुख आम्हने-साम्हने और प्रायश्चित्त के ढकने की ओर रहें। (निर्गमण २५:१८–२०)

२८. दासता और अत्याचार की आज्ञा
  • इसलिये उसने कहा, कनान शापित हो: वह अपने भाई बन्धुओं के दासों का दास हो। (उत्पत्ति ९:२५)
  •  मैं तुम्हारे बेटे-बेटियों को यहूदियों के हाथ बिकवा दूंगा, और वे उसको शबाइयों के हाथ बेच देंगे जो दूर देश के रहने वाले हैं; क्योंकि यहोवा ने यह कहा है। (योएल ३:८)
दासता और अत्याचार का निषेध
  • जो किसी मनुष्य को चुराए, चाहे उसे ले जा कर बेच डाले, चाहे वह उसके पास पाया जाए, तो वह भी निश्चय मार डाला जाए। (निर्गमण २१:१६)

२९. क्रोध का अनुमोदन
  •  तब उसने पीछे की ओर फिर कर उन पर दृष्टि की और यहोवा के नाम से उन को शाप दिया, तब जंगल में से दो रीछिनियों ने निकल कर उन में से बयालीस लड़के फाड़ डाले। (२ राजा २:२४)
  • क्रोध तो करो, पर पाप मत करो। (इफिसियों ४:२६)
क्रोध का निषेध
  • क्रोधी मनुष्य का मित्र न होना, और झट क्रोध करने वाले के संग न चलना। (नीतिवचन २२:२४)
  • अपने मन में उतावली से क्रोधित न हो, क्योंकि क्रोध मूर्खों ही के हृदय में रहता है। (सभोपदेशक ७:९)

३०. मनुष्यों के अच्छे कर्म दिखाई देने चाहिए
  • उसी प्रकार तुम्हारा उजियाला मनुष्यों के साम्हने चमके कि वे तुम्हारे भले कामों को देखकर तुम्हारे पिता की, जो स्वर्ग में हैं, बड़ाई करें। (मत्ती ५:१६)
मनुष्यों के अच्छे कर्म दिखाई न दे
  • तुम मनुष्यों को दिखाने के लिये अपने धर्म के काम न करो, नहीं तो अपने स्वर्गीय पिता से कुछ भी फल न पाओगे। (मत्ती ६:१)



३१. दुष्ट लोगों का समृद्ध और लम्बी आयु का होना

  • कोई धर्मी अपने धर्म का काम करते हुए नाश हो जाता है, और दुष्ट बुराई करते हुए दीर्घायु होता है। (सभोपदेशक ७:१५)

दुष्ट लोगों का समृद्ध और लम्बी आयु नहीं होना

  • परन्तु दुष्ट का भला नहीं होने का, और न उसकी जीवनरूपी छाया लम्बी होने पाएगी, क्योंकि वह परमेश्वर का भय नहीं मानता। (सभोपदेशक ८:१३)

🙏🙏🙏 नमस्ते 🙏🙏🙏